इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

केन्या में मारे गए पाकिस्तानी पत्रकार को लेकर “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल का सनसनीखेज खुलासा, जनरल “बाजवा” को रास्ते से हटाने के लिए हीं ISI के एक्स डीजी ने अरशद के कत्ल की रची साजिश – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


केन्या में मारे गए पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ,साभार -(अरशद की पत्नी के ट्वीटर एकाउंट से)

इस्लामाबाद। एक दिन पहले पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ की केन्या में गोली मारकर हत्या किये जाने की रिपोर्ट सामने आई है। जिसे लेकर पाकिस्तानी सोशल मीडिया में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है। जहां इसी कड़ी में “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह को विदेशी सूत्रों के हवाले से बेहद चौंकाने वाली जानकारी मिली है। जिस आधार पर “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल इस हत्याकांड को लेकर यह दावा कर सकता है कि इस कत्ल के मुख्य साजिशकर्ता पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी के पूर्व चीफ रहे लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद हीं है। क्योंकि,कत्ल के पीछे सबसे बड़ा कारण पाकिस्तानी फौज के वर्तमान चीफ कमर जावेद बाजवां को रास्ते से हटाना है और इस हत्याकांड की वजह से बाजवां का माहौल खराब होगा ताकि उनको सेवा विस्तार का लाभ न मिल सकें। चूंकि,मारे गए पाकिस्तानी पत्रकार पाक सरकार के साथ-साथ पाक फौज के चीफ जनरल बाजवा के भी वह ध्रुव विरोधी थे।

पाक खुफिया ऐजेंसी के पूर्व चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद,फोटो साभार -(सोशल मीडिया)

दरअसल, केन्या में में मारे गए पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ की पत्नी जावेरिया सिद्दकी ने सोमवार को इस घटना की पुष्टि करते हुए ट्विटर पर लिखा कि वह आज दोस्त, पति और अपने पसंदीदा पत्रकार को खो दिया,पुलिस के अनुसार उन्हें केन्या में गोली मार दी गई थी।

वहीं,इस घटनाक्रम में पाकिस्तान के तमाम स्थानिय मीडिया समूहों ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार के हवाले से यह रिपोर्ट किया है कि केन्या में पाकिस्तान का उच्चायोग अधिकारियों से जानकारी हासिल कर रहा है। जहां इस दौरान पत्रकार के निधन पर पाक राजनेताओं और सहयोगियों में शोक की लहर है।

इस बीच मारे गए पत्रकार अरशद शरीफ को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की अटकलें लग रही हैं। चूंकि,शरीफ लगातार पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण चर्चा में थे। वह पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के भी समर्थन करते रहे हैं। जबकि,पाकिस्तानी फौज के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा की कई बार उन्होंने आलोचना भी की थी। हालांकि, इस हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी बहुत जोर-शोर से उठ रही है।

लेकिन इस घटनाक्रम में “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह को विदेशी सूत्रों से जो जानकारी मिली है वह बहुत ही गंभीर व चौंकाने वाली है। जहां इस जानकारी को तथा अन्य तथ्यों का गंभीर विश्लेषण करने से यह साफ हो गया है कि इस हत्याकांड की साजिश पाकिस्तान में ही रची गई थी जिसके मुख्य सूत्रधार पाकिस्तानी खुफिया ऐजेंसी के एक्स.डीजी रहे लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद हीं है,क्योंकि जनरल फैज हमीद का वर्तमान पाक आर्मी चीफ जनरल बाजवा से छत्तीस का आंकड़ा बहुत दिनों से चल रहा है। चूंकि, जनरल बाजवा के हीं चलते जनरल हमीद की कुर्सी गई थी जहां अब वें पाकिस्तानी सेना के बलूच रेजिमेंट को लीड कर रहे हैं।

चूंकि,जनरल बाजवा इसी साल 29 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं,ऐसे में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की सरकार बाजवां पर विशेष मेहरबानी दिखाते हुए बाजवां को तीन साल का अतिरिक्त सेवा विस्तार देना चाहता था जिसे लेकर पाकिस्तान की सियासत में बहुत गहमागहमी का माहौल बना हुआ है। क्योंकि,शहबाज शरीफ की सरकार बनाने में जनरल बाजवा का बहुत बड़ा रोल रहा है। इसलिए स्वभाविक था कि शरीफ सरकार भी बाजवा के इस एहसान का बदला चुकायें। हालांकि,कुछ स्थानीय मीडिया समूहों ने हाल ही में सेना के सूत्रों के हवाले से यह दावा किया था कि जनरल बाजवां सेवा विस्तार में रूचि नहीं ले रहे हैं।

उधर,बाजवा से पहले से ही खार खाये इमरान खान समर्थक लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को जनरल बाजवा का यह सेवा विस्तार बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और वे बाजवां को अपने रास्ते का सबसे बड़ा कांटा समझते हुए उनका माहौल खराब करने की नियत से इस हत्याकांड की साजिश रच डाले। जहां इस साजिश में पाक फौज के वे अफसरान भी शामिल है जो बाजवां से चिढ़ते थे।

ऐसे में तलाश शुरू हुई उस टारगेट की जो कि पाकिस्तान के सियासत में इतना भूचाल ला दे कि बाजवा को अतिरिक्त सेवा विस्तार की तो बात ही छोड़िये उन्हें मजबूरन जेल जाना पड़ जाए। जहां इस तलाश का अंत हुआ पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार अरशद पर जो कि देशद्रोह के आरोप में देश से निर्वासित होकर केन्या में रह रहे थे। क्योंकि,अरशद शहबाज शरीफ के साथ-साथ पाक फौज के आर्मी चीफ जनरल बाजवा के भी ध्रुव विरोधी थे।

जहां अरशद के कत्ल के बाद पाकिस्तानी सियासत अब उफान की तरफ बढ़ती नजर आ रही है,यानि लेफ्टिनेंट जनरल फैज का यह मिशन अब फतेह के रास्ते पर है। अब यह सियासी तूफान कहां जाकर थमेगा ? यह कहना मुश्किल है,लेकिन पाकिस्तानी सियासत का इतिहास रहा है कि पावर के लिए वहां कभी भी कुछ भी हो सकता है।

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