
सांकेतिक तस्वीर,फोटो साभार -(टर्की के डिफेंस के ट्वीटर से)
इस्लामाबाद/अंकारा। यूं तो भारत के खिलाफ तुर्की हमेशा खड़ा रहता है,लेकिन एक ताजे खुलासे ने तुर्की की पूरी पोल ही खोल कर रख दिया। दरअसल, एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि तुर्की ने गुप्त रूप से द्विपक्षीय समझौते के तहत एक साइबर-सेना स्थापित करने में पाकिस्तान की बड़ी मदद की है,जिसका इस्तेमाल घरेलू राजनीतिक लक्ष्यों के साथ-साथ भारत पर हमला करने के लिए किया गया था।
बता दे कि “नॉर्डिक मॉनिटर” के खुलासे में यह दावा किया है कि तुर्की ने जनता की राय को आकार देने, दक्षिण पूर्व एशिया में मुसलमानों के विचारों को प्रभावित करने,भारत पर हमला करने और पाकिस्तानी शासकों के खिलाफ की गई आलोचना को कम करने के लिए साइबर-सेना स्थापित करने में पाकिस्तान की बड़ी मदद की है।
दावें में बताया गया है कि वर्ष 2018 में तुर्की के आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू के साथ बैठक के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक साथ आंतरिक मंत्री का पद संभाला था और इस योजना को आगे बढ़ाया गया था। जहां नॉर्डिक मॉनिटर ने रिपोर्ट किया कि इस सीक्रेट मिशन को साइबर अपराध के खिलाफ सहयोग पर द्विपक्षीय समझौते के तहत छुपाया गया था, जबकि वास्तव में यह अमेरिका, भारत और अन्य विदेशी शक्तियों द्वारा किए गए कथित प्रभाव संचालन के खिलाफ था।
इस रिपोर्ट में आगे यह भी कहा गया है कि 17 दिसंबर, 2018 को तुर्की के आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू और उनके मेजबान शहरयार खान अफरीदी, तत्कालीन आंतरिक राज्य मंत्री के बीच निजी बातचीत के दौरान ऐसी इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव पहली बार मेज पर रखा गया था। जहां इस मामले पर चर्चा की गई थी। इतना ही नहीं नॉर्डिक मॉनिटर ने यह भी बताया कि वरिष्ठ स्तर पर और इस्लामाबाद के आंतरिक मंत्रालय के अधिकांश कर्मचारियों से इसे गोपनीय रखा गया।
तुर्की के इस गोपनीय ऑपरेशन की पहली सार्वजनिक स्वीकृति सोयलू ने 13 अक्टूबर, 2022 को कहारमनमारस में एक स्थानीय टीवी स्टेशन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान की थी। उन्होंने देश का नाम नहीं लिया, लेकिन स्पष्ट किया कि वे वास्तव में पाकिस्तान के बारे में बात कर रहे थे जब उन्होंने एक ऐसे देश का उल्लेख किया जो तुर्की से पांच या छह घंटे की सीधा उड़ान पर था।
दरअसल,सोयलू साइबर स्पेस में ट्रोल और बॉट सेना चलाने में कुख्याति प्राप्त की है और सितंबर 2016 में आंतरिक मंत्री बनने से पहले भी इसी तरह के कई गुप्त अभियानों पर काम किया था। इंटरनेट पर वास्तविक अपराध की जांच करने के बजाय, साइबर यूनिट की टीमें विरोधियों के ईमेल और सोशल मीडिया खातों को हैक करने, सेल फोन और कंप्यूटर से निजी डेटा एकत्र करने में व्यस्त हैं और हैक की गई सामग्री का उपयोग धमकाने और कभी-कभी असंतुष्टों को ब्लैकमेल करने के लिए करती हैं।
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका में अभी हाल के महीनों में कई सायबर अटैक हुए थे जिसमें चीनी हैकरों के अलावा पाकिस्तानी हैकरों का भी नाम सामने आया था। जिसमें कई और चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। हालांकि, भारत और अमेरिकी ऐजेंसियों की सक्रियता के चलते दुश्मन की तरफ से अब इन हमलों में बेहद कमी देखी जा रही है। जो कि साफ संकेत है कि दुश्मन पूरी तरह से भारतीय और अमेरिकी ऐजेंसियों की निगरानी में है।
