
सांकेतिक तस्वीर।
मास्को/काबुल। रूस-यूक्रेन जंग में जहां अभी हाल ही में यह खुलासा हुआ था कि अफगानिस्तान के तालिबानी लड़ाकें रूस के खिलाफ यूक्रेन की ओर से जंग में शामिल हों रहे हैं। वहीं अब यह दावा सामने आया है जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान के वे सैनिक रूस की ओर से यूक्रेन के खिलाफ जंग में शामिल हुए हैं जो तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ चुके हैं और जबसे अफगानिस्तान में तालिबान शासन कायम हुआ है तभी से वे बेरोजगार और असुरक्षित माहौल में अंडरग्राउंड है।
दरअसल,एक मीडिया समूह ने अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व जनरल फरीद अहमदी के हवाले से दावा किया है कि अफ़ग़ान सेना के लिए प्रशिक्षित कमांडो का इस्तेमाल यूक्रेन और सीरिया में युद्ध के लिए किया जा रहा है। चूंकि,बीते साल तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने से पहले जनरल अहमदी अफ़ग़ान आर्मी में स्पेशल ऑपरेशन के इन्चार्ज थे। उनकी निगरानी में सेना के हज़ार से अधिक जवान थे।
अफगान सेना के पूर्व जनरल फरीद अहमदी ने खुलासा किया है दलाल पहले सेना में काम कर चुके सैनिकों से संपर्क कर रहे हैं। वो रूस की तरफ से यूक्रेन और ईरान की तरफ से सीरिया में लड़ने के लिए तैयार पूर्व सैनिकों को अच्छे पैसे दे रहे हैं। वही,इस पर अब तक न तो रूस के अधिकारियों ने और न ही यूक्रेन के अधिकारियों ने कोई टिप्पणी की है।
पूर्व जनरल फरीद अहमदी ने आगे भी बताया कि “ये दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन ये ख़बरें सच है और अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व कमांडो दुनिया के कम से कम छह जगहों पर युद्ध में शामिल हैं। ये वो जगहें हैं जहां दुनिया की बड़ी ताक़तें शामिल हैं, जैसे ईरान, सीरिया, नागोर्नो-काराबाख़, यूक्रेन और रूस।”
उन्होंने आगे यह भी कहा, “कितने अफ़ग़ानी पूर्व सैनिक युद्ध में शामिल हैं इसका सही-सही आंकड़ा मौजूद नहीं है क्योंकि वो इस बात को छिपा रहे हैं। लेकिन ये पता है कि इसके लिए नाम लिखना जारी हैं। सेना में छोटी रैंक में रहे कुछ ऐसे सैनिक और जनरल जो तालिबान के जेलों में सज़ा पा चुके हैं और अपने घरों में छिपे हुए हैं या फिर पड़ोसी मुल्कों में चले गए हैं उन्हें अच्छे पैसे, अच्छी ज़िंदगी और वीज़ा ऑफ़र किया जा रहा है।” हालांकि,उन्होंने ऐसे पूर्व सैनिकों से अपील की कि वो किसी तरह के प्रलोभन में आने से बचें और ऐसे युद्ध में शामिल न हो। फरीद ने आगे यह भी कहा कि मेरी राय होगी कि वो ऐसा कतई न करें। क्योंकि,ये वन-वे टिकट है और जहां वो जा रहे हैं वहां से उनका कफन तक वापिस नहीं आएगा।
इस बीच एक और मीडिया समूह ने इस खुलासे को लेकर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता से संपर्क किया तो अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा है कि रूस के अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व सैनिकों के युद्ध में इस्तेमाल की कोशिश से जुड़ी रिपोर्टों पर उनकी नज़र है। हालांकि प्रवक्ता ने यह भी कहा है कि वो अभी इस मामले पर कुछ नहीं कह सकते।
बता दे कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ जंग के दौरान अफ़ग़ान सरकार के पूर्व जनरल फरीद अहमदी एक बम धमाके में घायल हो गए थे,जहां वें उसके बाद से ही देश से बाहर किसी सुरक्षित स्थान पर है।
इससे पहले एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में तालिबान के सत्ता में आने से पहले अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व कमांडर रहे हैबतुल्लाह अलीज़ई के हवाले से दावा किया गया था कि रूस ने स्पेशल ऑपरेशन्स फोर्सेस से जुड़े 5,000 पूर्व अफगान सैनिकों को इसमें शामिल किया है। जहां ये लोग बीते साल ईरान चले गए थे। इसी रिपोर्ट में आगे यह भी कहा गया कि ईरान में मौजूद अफ़ग़ान सेना के पूर्व सैनिक रूस की तरफ से युद्ध में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं और उनमें से कुछ यूक्रेन पहुंच चुके हैं। चूंकि,इन अफगान सैनिकों के पास न तो नौकरी है और न ही अच्छी ज़िंदगी की उम्मीद थी ऐसे में रूसी सेना के लिए लड़ाकों की भर्ती के लिए वो आसान टार्गेट बन रहे हैं।
फिलहाल,अब यह पूरी तरह से साफ हो चुका है अफगानिस्तान के वे पूर्व सैनिक जो तालिबान शासन कायम होने के बाद देश से बाहर निकलने में सफल रहे, ऐसे लोग सीरिया, ईरान के बाद अब नौकरी और वीजा के लिए रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ जंग में शामिल हों रहे हैं।
