इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

पहले से ही यूक्रेन समेत ताइवान और कोरियाई प्रायद्वीप का भीषण जंगी तनाव झेल रहे अमेरिका के सामने आई एक और बड़ी मुसीबत, सऊदी ने खुफिया रिपोर्ट्स के हवाले से ईरानी हमले की जताई आशंका, मिडिल ईस्ट में अमेरिकी फौज हुई अलर्ट – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


ईरानी मिसाइल ड्रिल फायर के दौरान,फोटो साभार -(ईरानी डिफेंस के ट्वीटर से)

तेहरान/वॉशिंगटन। रूस-यूक्रेन जंग के बीच जहां एक ओर अमेरिका इस जंग में तमाम भूमिकाओं के माध्यम से शामिल हैं तो वही दूसरी ओर चीन-ताइवान और कोरियाई प्रायद्वीप में भी बढ़ते तनातनी को देखते हुए पेंटागन उधर भी पूरी निगरानी व अतिरिक्त सतर्कता बरतने के लिए मजबूर है। जहां इस बीच अमेरिका का सिरदर्द बढ़ाने के लिए अब मिडिल ईस्ट में एक और जंगी तनातनी की रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें दावा किया गया है कि सऊदी अरब ने अमेरिका के साथ बेहद गोपनीय खुफिया जानकारी साझा की है, जिसमें कहा गया है कि ईरान सऊदी में कई टार्गेट पर हमला कर सकता है। जहां इस जानकारी के सामने आते ही खाड़ी देशों में मौजूद अमेरिकी सेना को हाई अलर्ट कर दिया गया है।


ईरानी ट्रूप्स,एक माॅक ड्रिल के दौरान।

जहां इस रिपोर्ट की पुष्टि सऊदी और अमेरिकी अधिकारियों ने भी कर दिया है। इस दौरान इन दोनों हीं देशों के अधिकारियों ने कहा है खुफिया जानकारी के जवाब में सऊदी अरब, अमेरिका और कई अन्य पड़ोसी देशों ने अपने सैन्य बलों के लिए अलर्ट का स्तर बढ़ा दिया है। सऊदी को किस तरह की जानकारी मिली है ? इसके बारे में अधिकारियों ने नहीं बताया।

वहीं,सऊदी के अधिकारियों का कहना है कि इस साल सितंबर से ही ईरान में प्रदर्शन चल रहे हैं। घरेलू कलह से ध्यान हटाने के प्रयास में सऊदी और इराक पर हमला करने की तैयारी कर रहा है। उधर,व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा कि वह इन चेतावनियों के बारे में चिंतित हैं और अगर ईरान ने हमला किया तो वह जवाब देने के लिए तैयार हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम खतरे को लेकर चिंतित हैं। खुफिया चैनलों के माध्यम से हम लगातार सऊदी के संपर्क में हैं। हम मिडल ईस्ट में अपने हितों और भागीदारों की रक्षा से संकोच नहीं करेंगे।’

दरअसल,सितंबर के अंत में ईरान ने दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइल और आर्म्ड ड्रोन के जरिए उत्तरी इराक पर हमला किया है। जहां इस दौरान एक ड्रोन को अमेरिकी लड़ाकूं विमान ने मार गिराया था, क्योंकि वह अरबील शहर की ओर बढ़ रहा था जहां अमेरिकी सेना का बेस है। ईरानी अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से सऊदी अरब पर अमेरिका और इज़रायल के साथ देश में प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप लगाया है। पिछले महीने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडर ने सऊदी अरब को विरोध प्रदर्शन की टीवी कवरेज पर लगाम लगाने के लिए चेतावनी दी थी।

इतना ही नहीं ईरानी कमांडर ने कई फारसी टीवी चैनलों पर भी लगाम लगाने को कहा था, जिसमें सऊदी के समर्थन वाला ईरान इंटरनेशनल भी शामिल था। चूंकि,ईरान इंटरनेशनल लंदन में स्थित है और ईरानी लोगों के बीच लोकप्रिय है। इस बीच ईरान के एक और मेजर जनरल हुसैन सलामी ने कहा था, ‘यह हमारी आखिरी चेतावनी है क्योंकि आप इन मीडिया के माध्यम से हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं।’ ईरान के सरकारी मीडिया IRNA के मुताबिक ईरान इंटरनेशनल लंदन में सऊदी अरब द्वारा गठित एक नेटवर्क है जो पूरी तरह से ईरान के खिलाफ काम करता है। गौरतलब है कि ईरान में इस समय हिजाब से जुड़ा भारी विरोध प्रदर्शन चल रहा है, जिसमें अब तक 200 लोगों की मौत हो गई है तथा लगभग 1000 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

फिलहाल, पहले से हीं यूक्रेन समेत ताइवान व कोरियाई प्रायद्वीप का संकट झेल रहे अमेरिका के लिए मिडिल ईस्ट का यह ताजा जंगी तनातनी बढ़ी मुसीबत साबित हो सकता है पेंटागन के लिए। इससे यह साफ हो चला है कि दुनिया न चाहते हुए भी तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बहुत तेजी से बढ़ती नजर आ रही है। जो कि पूर्व में हुए दो विश्वयुद्ध की अपेक्षा यह तीसरा विश्वयुद्ध बहुत ही भयानक साबित होगा।

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