एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

जारी जंग के बीच भारत के विदेश मंत्री पहुंचे रूस, अमेरिका और यूरोप में जगी सीजफायर की आश – सतीश उपाध्याय/रविशंकर मिश्र


भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूसी समकक्ष सरगोई के साथ,फोटो साभार-(एस जयशंकर के ट्वीटर से)

नई दिल्ली/मास्‍को। रूस-यूक्रेन जंग अब बेहद भयानक दौर में पहुँच चुका है। जिससे अमेरिका सहित अन्य नाटों देशों की भी चिंताएं पहले से कही अधिक बढ़ गई है। क्योंकि,पुतिन की तरफ से बार-बार परमाणु हमले की धमकी दी जा रही है। ऐसे में शांति की सारी कोशिशें बेकार साबित हो रही है। यहीं कारण है कि इस यूक्रेन संकट के हल के लिए अमेरिका सहित नाटों देश नई दिल्ली से आशा कर रहे हैं कि भारत हीं अब इस संकट से मुक्ति दिला सकता है। जहां इस बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के मॉस्को पहुंचने की रिपोर्ट सामने आई है।

दरअसल,इस जंग में यूक्रेन समर्थक पश्चिमी देशों के हथियारों का जखीरा खाली होता जा रहा है। इस बीच रूस की सेना और राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन दोनों ने परमाणु हमले के संकेत दिए हैं। चूंकि,क्‍यूबा मिसाइल संकट के बाद इस सबसे बड़े खतरे से अमेरिका अब टेंशन में आ गया है और यूक्रेन की सरकार को चेतावनी दी है कि वे रूस के साथ बातचीत के लिए खुद को तैयार करें। अमेरिका ने कहा कि हमारे सहयोगी ‘यूक्रेन की थकावट’ के चपेट में आ सकते हैं। इस बीच अब पश्चिमी विशेषज्ञ और मीडिया कह रहा है कि भारत इस जंग को रोकने और युद्धरत दोनों ही दोस्‍त देशों के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभा सकता है। बता दे कि उन्‍होंने यह दलील ऐसे समय पर दी है जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के दौरे पर पहुंचे हैं।

बता दे कि भारत की यूक्रेन नीति की पश्चिमी देशों और मीडिया में पिछले दिनों काफी आलोचना हुई थी लेकिन अब तारीफ होना नई दिल्‍ली के लिए काफी सुखद है। पिछले 9 महीने में भारत ने रूस के यूक्रेन पर हमले की आलोचना नहीं की है। भारत ने हमेशा से ही दोनों पक्षों के बीच बातचीत का समर्थन किया है। वहीं भारत ने रूस के हमले का समर्थन भी नहीं किया है। साथ अपने दोस्‍त को संयुक्‍त राष्‍ट्र के चार्टर को मानने और क्षेत्रीय संप्रभुता का सम्‍मान करने की नसीहत दी है। भारत के इस रुख के बाद अब पश्चिमी मीडिया का कहना है कि नई दिल्‍ली इस संघर्ष को खत्‍म कराने में अहम भूमिका निभा सकता है।

वहीं,अमेरिकी मीडिया का कहना है कि भारत ने पिछले 9 महीने की लड़ाई के कई जटिल मौकों पर अहम योगदान दिया है। इसमें यूक्रेन के साथ अनाज आपूर्ति समझौता और परमाणु बिजली घर जापारिझझिआ पर हमले के खतरे को कम करना शामिल है। इधर,यूक्रेन में अब ठंड बढ़ रही है और अब यह मौका अपनी रणनीति और तैयारियों पर फिर से विचार करने की है। रूस और यूक्रेन दोनों को ही इस जंग में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। रूस को शुरूआती जंग में तो बड़ी सफलता मिली लेकिन अब यह उनके लिए एक और अफगानिस्‍तान साबित हो रहा है।

क्योंकि, पश्चिमी हथियारों के दम पर यूक्रेन लगातार हमले कर रहा है और रूस की सेनाएं लगातार भारी नुकसान उठा रही हैं। यूक्रेन की सड़कें रूसी टैंकों का कब्रिस्‍तान बन गई हैं। पुतिन की अभी भी कोशिश यूक्रेन के शहरों को तबाह करने की है और वह परमाणु धमकी दे रहे हैं जो उनकी कमजोरी को बता रहा है। अब ऐसे में पुतिन के पास केवल सम्‍माजनक वापसी का ही विकल्‍प बचा है। इससे वह राजनीतिक रूप से अपनी लाज बचा सकेंगे और यूक्रेन के कुछ इलाकों पर कब्‍जा कर लेंगे। वहीं यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की रूसी सेना को क्रीमिया समेत अपनी पूरी जमीन से भगाने पर अड़े हुए हैं।

उधर,अमेरिका ने भी जेलेंस्‍की से साफ कह दिया है कि वह रूस के साथ बातचीत करे। जहां जेलेंस्‍की ने भी कहा है कि वह तभी रूस से बातचीत करेंगे जब रूसी सेना यूक्रेन के सभी इलाकों से पीछे हट जाएं। साथ जिन लोगों ने अपराध किया है, उनके खिलाफ मुकदमा चले। जेलेंस्‍की ने यह भी कहा कि वह पुतिन के साथ बातचीत नहीं करेंगे।

फिलहाल,भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय मास्को में मौजूद है। जहां इस दौरान भारत की तरफ से बार बार दोनों ही पक्षों को आपस में बातचीत के जरिए मामला सुलझाने की सलाह दी जा रही है। भारत के इस कदम को अमेरिका सहित परे यूरोप में सराहा जा रहा है। अब ऐसे में तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में भारत हीं सीजफायर करा सकता है। अब आगे क्या होगा ? यह नहीं मालूम।

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