रूसी फौज, फाईल फोटो, साभार-(रूसी डिफेंस के टेलिग्राम से)
कीव/मॉस्को। इस साल जब बीते 24 फरवरी को रूसी फौज ने एक स्पेशल ऑपरेशन के तहत यूक्रेन पर हमला कर दी तो दुनिया भर के तमाम मीडिया हाउस और विशेषज्ञ रूस के जीत का एकतरफा दावा करने लगे, इतना ही नहीं यह भी कहा गया कि मात्र कुछ दिनों में ही रूसी फौज पूरे यूक्रेन पर फतेह कर लेगी। बता दे कि इन दावेदारों में तमाम अनुभवी सैन्य कमांडर भी शामिल रहे। लेकिन ऐसा हो न सका,युध्द लंबा खिंचता चला गया,जहां इस बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इसी साल 30 सितंबर को क्रेमलिन में गरजते हुए यूक्रेन के चार क्षेत्रों जापोरिजिया,लुहांसक,डोनेंसक तथा खेरसाॅन को रूसी क्षेत्र घोषित कर दिया। अफसोस,इनमें से दक्षिणी खेरसाॅन आज शुक्रवार को पूरी तरह से रूस के हाथ से निकल गया। जहां इस दौरान रूसी रक्षा मंत्रालय ने खुद इसकी औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि रूसी फौज दक्षिणी खेरसाॅन को पूरी तरह से खाली कर चुकी है। बता दे कि इस जंग में रुस के लिए इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
दरअसल,रूस के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उसने यूक्रेन के दक्षिणी खेरसॉन क्षेत्र में नीपर नदी के पश्चिमी किनारे से अपने सभी सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है। यह कदम यूक्रेन में युद्ध के दौरान रूस के लिए एक और झटका माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार की सुबह पांच बजे तक रूसी सैनिकों की वापसी पूरी हो गयी और अब एक भी सैन्य इकाई वहां नहीं बची है।
वहीं,इस बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने इस कदम के लिये रूस की तारीफ की है। साथ ही खेरसॉन घटनाक्रम को युद्ध में एक बड़ी जीत करार दिया है। उन्होंने ट्वीट किया और लिखा, ‘यूक्रेन के लिये यह इस समय एक और महत्वपूर्ण जीत है और इससे साबित होता है कि रूस कुछ भी कहे, कुछ भी करे, जीत यूक्रेन की ही होगी।’ बताया जा रहा है कि अब यूक्रेन की सेनायें खेरसॉन पहुंच गई हैं और उन्होंने इस जगह को अपने कब्जे में ले लिया है।
इस दौरान ऐसे भी दावें सामने आये हैं जिनमें कहा गया है कि रूस के घायल सैनिकों को वहीं छोड़ दिया गया है और कुछ को यूक्रेन के द्वारा बंदी भी बना लिया गया है। साथ ही रूस के जो सैनिक नीपर नदी को पार करके जा रहे हैं, उन पर फायरिंग भी की गई है। इतना ही नहीं एक मीडिया समूह ने एक रूसी सैनिक के हवाले से रिपोर्ट किया है कि कुछ यूनिट्स को कहा गया है कि वो जैसे भाग सकते हैं, भाग जाएं।
बताया जा रहा है कि जैसे ही रूस के रक्षा मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि रूसी सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है, नीपर नदी पर बने अहम पुलों को भी उड़ा दिया गया। जहां इस दौरान रूसी फौज डिफेंसिव पोजीशन में रही। उधर, क्रेमलिन प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव के हवाले से कहा गया है कि मॉस्को अब भी खेरसॉन क्षेत्र को रूस के हिस्से के रूप में देख रहा है। उन्होंने यहां तक दावा किया कि क्रेमलिन को करीब एक महीने पहले खेरसॉन और तीन अन्य यूक्रेनी क्षेत्रों पर अवैध कब्जे की खुशी मनाने पर कोई अफसोस नहीं है।
इधर,रूसी सैनिकों की वापसी के इस घोषणा से कुछ देर पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के कार्यालय ने खेरसॉन क्षेत्र की स्थिति को ‘मुश्किल’ वाली कहा था। शुक्रवार की सुबह खेरसॉन से जो तस्वीरें आईं उनमें साफ नजर आ रहा था कि यहां पर यूक्रेनी सैनिकों का जबरदस्त स्वागत किया जा रहा है। ऐसी खबरें हैं कि रूस ने उन कुछ गांवों और शहरों पर गोलाबारी की है जिन पर यूक्रेन के सैनिकों ने खेरसॉन क्षेत्र में अपने अभियान के दौरान पिछले कुछ हफ्तों में पुन: नियंत्रण प्राप्त किया है।
बता दे कि खेरसॉन का बॉर्डर क्रीमिया से सटा हुआ है और यह जगह रूस को काला सागर तक का जमीनी रास्ता मुहैया कराती है। साल 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। ऐसे में यदि यूक्रेन की सेनाएं एक बार फिर से इस क्षेत्र में आक्रामक रहती हैं तो फिर रूस एक बड़ी जीत से वंचित हो जायेगा। इस तरह की लड़ाई यूक्रेन को क्रीमिया के करीब ले आयेगी जिसे रूस अपने लिये रणनीतिक तौर पर बहुत जरूरी मानता है। कुल मिलाकर अब यह साफ हो चुका है कि इस जंग का परिणाम रूस के विपरीत जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो रूस के लिए कितना बड़ा झटका साबित होगा,बताने की जरूरत नहीं है।