
सांकेतिक तस्वीर।
कीव/मॉस्को। एक दिन पहले जब रूसी रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन के दक्षिणी खेरसाॅन को पूरी तरह से खाली करने का ऐलान किया तो यूक्रेनी सैनिकों का उत्साह सातवें आसमान पर था। लेकिन इस बीच “कीव” ने अपने सैनिकों और अन्य सुरक्षा ऐजेंसियों को अत्यंत सावधान रहने के लिए कहा। जहां इसी दौरान दुनिया की सबसे बड़ी रूसी पनडुब्बी “बेलगारोड” अचानक चर्चा में आ गई। जिसे लेकर अमेरिकी खुफिया ऐजेंसियों ने बेहद खतरनाक खुलासा किया है।दरअसल,अमेरिकी ऐजेंसियों का मानना है कि रूसी पनडुब्बी बेलगारोड करीब एक हफ्ते पहले घातक परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम मिसाइलों के परीक्षण की पूरी तैयारी पर थी,लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के कारण बेलगारोड को वापस बेस पर लौटना पड़ा। हालांकि, बेलगारोड एक बार फिर से अपने अधूरे मिशन को पूरा करने की तैयारी पर है।
बता दे कि बेलगारोड को वर्ष 2021 में रूसी नौसेना में शामिल किया गया है। लेकिन इस पनडुब्बी के कमांडर सीधे क्रेमलिन को रिपोर्ट करते हैं। 604 फीट लंबी तथा 30 हजार टन वजनी सबमरीन है। यह समुंदर में लगभग 1700 फीट की गहराई में जाने में सक्षम है। इतना ही नहीं 6 पोडायसन ड्रोन ले जाने में भी सक्षम है। यानि नागासाकी और हिरोशिमा पर गिराये गए परमाणु बमों से 130 गुना अधिक शक्तिशाली परमाणु हथियार ले जाने में इसकी क्षमता है। इसीलिए रूस में इसे “अंडर वाटर इंटेलीजेंस ऐजेंसी” के नाम से जाना जाता है।
दरअसल,अमेरिकी ऐजेंसियों ने इस पनडुब्बी की चर्चा अचानक शुरू कर दी है,वजह साफ है,क्योंकि,हाल ही में यूक्रेन के कई फ्रंट पर रूसी फौज को जबरदस्त रजिस्टेंश का सामना करना पड़ रहा है। जिस वजह से रुस को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं रूसी फौज के जनरलों का भी कहना है कि कई ऐसे फ्रंट है जहां पर सप्लाई संभव नहीं है। ऐसे में कमांड फौज को पीछे हटने का आदेश दे रखी है। जिसकी परिणिती दक्षिणी खेरसाॅन है। जहां अभी एक दिन पहले ही रूसी फौज इस फ्रंट से पूरी तरह से पीछे हट गई। हालांकि, यूक्रेन व उसके अन्य सहयोगी देश रूसी फौज के पीछे हटने को एक संदिग्ध साजिश मानकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं।
जहां इस बीच रूसी पनडुब्बी बेलगारोड की चर्चा अचानक तेज हो गई। बता दे कि इससे पहले भी इसी अक्टूबर के शुरूआती दिनों में हीं इसकी चर्चा तेज हो गई थी। क्योंकि,इसी जुलाई में एक स्पेशल मिशन पर बेलगारोड आर्कटिक सागर में उतरी,जहां पहले से ही इस पर अमेरिका के लीडरशिप में नाटों पूरी निगरानी बनाये हुये थे। लेकिन बाद में वह नाटों की निगरानी से गायब हो गई। जिससे नाटों में हड़कंप मच गया। जिसे लेकर नाटों की तरफ से सदस्य देशों को एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी गई लेकिन इटली में यह सीक्रेट रिपोर्ट लीक हो जाने से पब्लिक डोमेन में आ गई।
जहां अब अमेरिकी ऐजेंसियों द्वारा एक बार फिर से इस पर चर्चा की जा रही है। जिसमें दावा किया गया है कि करीब एक हफ्ते पहले आर्कटिक सागर में रूस की यह खतरनाक पनडुब्बी बेलगारोड घातक परमाणु हथियारों के ले जाने में सक्षम मिसाइलों के परीक्षण की पूरी तैयारी पर थी। लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के चलते यह वापस बेस पर लौट गई। इस दौरान यह भी जानकारी सामने आई है कि रूस जमीनी लड़ाई में भले ही कमजोर साबित हो रहा है लेकिन जल और वायु में वह अभी भी दुश्मन को नेस्तनाबूद करने की क्षमता रखता है। क्योंकि,रिपोर्ट है कि रूस ने ब्लैक सी में करीब 14 घातक युध्दपोत के साथ एक कैलिबर क्रूज मिसाइल कैरियर की भी तैनाती की है। इतना ही नहीं 10 युध्दपोत तथा 5 कैलिबर क्रूज मिसाइल कैरियर की तैनाती भूमध्य सागर में तैनाती किया है।
जहां इस तरह की तैनातियों से रूस सभी नाटो देशों को घेर रखा है। इस बीच यह भी दावा किया जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन अब परमाणु हमले की पूरी तैयारी पर है। क्योंकि,इस दौरान मॉस्को से 1400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यूराल की पर्वतमालाओं में पुतिन के सीक्रेट हेडक्वार्टर्स का खुलासा हुआ है। चर्चा तो यहां तक है कि पुतिन इसी अंडरग्राउंड बंकर से अपना पूरा कंट्रोल कर सकते हैं। दरअसल, वर्ष 1995 में जब अमेरिकी सेटेलाईट ने इन पहाडों पर संदिग्ध हरकतें डिटेक्ट की तो क्रेमलिन ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में अमेरिकी ऐजेंसियों का मानना है कि परमाणु हमले के दौरान लीड रोल में बेलगारोड पनडुब्बी रहेगी तथा पुतिन खुद इस अंडरग्राउंड बेस में रह सकते हैं। क्योंकि, परमाणु हमले के दौरान जबरदस्त काउंटर अटैक की आशंका रहेगी। ऐसे में एक सुरक्षित बेस बहुत जरूरी बन जाती है।
