सांकेतिक तस्वीर,फोटो साभार-(नेपाली सेना के ट्वीटर से)
काठमांडू। भारत के साथ के साथ विश्वासघात करते हुए नेपाल की सेना ने भारतीय सीमा के पास एक्सप्रेसवे बनाने का ठेका अब चीन के एक विवादित कंपनी को दिया है। काठमांडू-तराई-मधेश एक्सप्रेसवे को बनाने का काम चाइना फर्स्ट हाइवे इंजीनियरिंग कंपनी को दे दिया गया है। बता दे कि नेपाल में चुनाव से ठीक पहले नेपाली सेना ने भारतीय कंपनी को ठेका न देकर उसे चीनी कंपनी को दिया है। इससे पहले चीन के इसी कंपनी को यह कहकर ठेका नहीं दिया गया था कि उसके पास इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए तकनीकी क्षमता नहीं है।
दरअसल,नेपाल में 20 नवंबर को आम चुनाव होने वाले हैं और नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली पहले ही भारत के खिलाफ जहरीले बयान दे रहे हैं। इस बीच बीते 11 नवंबर को इस सड़क प्रोजेक्ट की प्रभारी नेपाली सेना ने एक पत्र जारी करके चीन की कंपनी को पिछले दरवाजे से सड़क बनाने की अनुमति दे दी। वहीं,नेपाली सेना ने जिन कंपनियों के प्रोजेक्ट को खारिज किया है, वे अब कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही हैं।
दरअसल,भारत की कंपनी अफकोन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भी इस सड़क के लिए बोली लगाई थी। लेकिन बैक डोर से नेपाली सेना ने इसे चीनी कंपनी को दे दिया। मालूम हो कि इस सड़क को बनाने का काम साल 2017 में शुरू हुआ था और इसे पूरा करने की नई अंतिम समय सीमा साल 2024 है। चीन की कंपनी ने नेपाल के प्रधानमंत्री के नियंत्रण में आने वाले पब्लिक प्रोक्योरमेंट ऑफिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी,जिसके बाद ही ऐसा किया गया।
इस पूरे घटनाक्रम को यदि कूटनीतिक स्तर पर देखा जाये तो यह भारत के लिए एक बड़ा झटका ही नहीं बल्कि भारत की नेपाल में कूटनीतिक हार भी हुई है। क्योंकि,नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ओली शर्मा पहले से ही चीनी ऐजेंट के रूप में भारत के खिलाफ लगातार जहर उगल रहे हैं। इतना ही उन्होंने कई विवादित मुद्दों को भी सामने रख दिया है। जिससे दोनों देशों के बीच अब दरार पड़नी शुरू हो गई है। ऐसे में यदि जल्द नई दिल्ली कोई प्रभावी फैसला करने से चूकती है तो वह दिन दूर नहीं जब नेपाल पूरी तरह से बीजिंग का गुलाम बन जायेगा, फिर बताने की जरूरत नहीं है इससे भारत को कितनी हानि उठानी पड़ेगी।