इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

पोलैंड पर हुए मिसाइल अटैक में रूसी हमलें के दावें को नाटों ने खारिज करते हुए करार दिया हादसा, जबकि रूस पहले ही कर चुका था खारिज – सतीश उपाध्याय/रविशंकर मिश्र


रूसी फौज, सांकेतिक तस्वीर।

कीव/मॉस्को। रूस-यूक्रेन जंग के बीच देर रात नाटों समूह के देश पोलैंड पर हुए मिसाइल हमले में नाटों देशों द्वारा की जा रही जांच के दौरान यह पाया गया कि ये हमला रूस की तरफ से नहीं बल्कि यूक्रेन की तरफ से किया गया था। बता दे कि पोलैंड में हुए मिसाइल अटैक में दो लोगों की मौत हो गई है। इसके साथ यक्रेन में संर्घष के बढ़ने की आशंका भी पैदा हो गई है। लेकिन अब यह दावा किया गया है कि पोलैंड में गिरने वाली मिसाइल रूस ने नहीं बल्कि यूक्रेन की सेना द्वारा एक आने वाली रूसी मिसाइल पर दागी गई थी,जिससे यह हादसा हुआ है।

दरअसल,पोलिश विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि रूसी मिसाइल यूक्रेन की सीमा से लगभग 6 किमी दूर पूर्वी पोलैंड के एक गांव प्रेज़वोडो में गिरी है जिसकी चपेट में आने से दो पोलिश नागरिकों की मौत हो गई है। इतना ही नहीं पोलिश विदेश मंत्रालय ने आगे यह कहा कि मिसाइल रूस निर्मित थी और हमले को लेकर स्पष्टीकरण के लिए वारसॉ में रूस के राजदूत को तलब किया है। वहीं रूसी रक्षा मंत्रालय ने, मिसाइल हमले में किसी भी भूमिका से साफ इंकार किया और पोलिश मास मीडिया और अधिकारियों पर स्थिति को बढ़ाने के लिए जानबूझकर उकसाने का आरोप लगाया। रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि तस्वीरों में कथित तौर पर जो नुकसान नजर आ रहा है, उसका रूसी हथियारों से कोई लेना-देना नहीं है।

उधर,अमेरिका के तीन अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार पोलैंड में गिरी मिसाइल को यूक्रेन की सेना ने रूस द्वारा दागी गई मिसाइल के जवाब में प्रक्षेपित किया था।

जबकि इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इस मिसाइल के रूस द्वारा दागे जाने की संभावना कम हैं, लेकिन वह जांच में पोलैंड का सहयोग करेंगे। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस हमले को युद्ध को बढ़ावा देने वाला कदम बताते हुए इसकी निंदा की। वहीं बाइडेन ने मामले पर इंडोनेशिया में जी7 और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) देशों के नेताओं की एक आपात बैठक बुलाई।

इस दौरान पोलैंड की सरकार ने कहा कि वह हमले की जांच कर रही है और सैन्य तैयारियां भी बढ़ा दी गई हैं। पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार देर रात एक बयान जारी कर कहा था कि मिसाइल के रूस निर्मित होने का पता चला है। हालांकि, पोलैंड के राष्ट्रपति एंड्रेज डूडा ने बताया कि अभी अधिकारियों को यह पता नहीं चल पाया है कि मिसाइल किसने और कहां से दागी. उन्होंने कहा कि यह शायद रूस निर्मित है, लेकिन इस तथ्य की अभी पुष्टि की जा रही है।

फिलहाल, सुबह के समय पूरी दुनिया में इस मिसाइल अटैक को लेकर जो तस्वीर सामने आई थी उससे तो यही लग रहा था कि तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत होने में बस कुछ हीं घंटे बचे है। लेकिन शाम होते-होते यह साफ हो गया कि यह रूसी हमला नहीं था, सिर्फ एक हादसा था। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी साफ संकेत दे दिया कि रूस के खिलाफ पूरा नाटों समुदाय ईमानदारी से एकजुट नहीं है, क्योंकि, घटना की जांच के पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बयान दिया कि यह रूसी हमला नहीं है फिर इसके तुरंत बाद नाटों की भाषा बोलते हुए बाइडेन ने कहा कि जांच के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। कमोबेस यही मिलती-जुलती प्रतिक्रिया नाटों समूह के अन्य देशों का भी रहा। इतना ही नहीं इस जंग के शुरूआत पर गौर किया जाये तो साफ हो जाता है कि शुरू से लेकर आजतक नाटों ने यूक्रेन की कितनी मदद की है ?

मसलन यूक्रेन जंग के शुरूआत में ही नाटों देशों से बार-बार यूक्रेन को नो फ्लाइंग जोन घोषित करने की मांग करता रहा लेकिन नाटों ने इस मांग को खारिज कर दिया। इतना ही नहीं यूक्रेन बार बार एअर डिफेंस सिस्टम की भी मांग करता रहा जब यूक्रेन अपने बर्बादी के अंतिम दौर में पहुंचा तब उसे एअर डिफेंस सिस्टम के साथ अन्य आक्रामक हथियार दिये गए जबकि मदद के नाम पर उसे सिर्फ रक्षात्मक हथियार ही दिये जा रहे थे। जिनकी क्षमता रूसी हथियारों के मुकाबले बहुत ही कम थी। जब यूक्रेन लगभग एक तिहाई बर्बादी का दंश झेल चुका तब नाटों सामने आये जिस वजह से अब यूक्रेन, रूसी फौज पर भारी पड़ता दीख रहा है। यही कारण है कि खेरसान से रूस को पीछे हटना पड़ा।

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