एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

तख्तापलट के विरोध में शामिल तमाम विदेशी कैदियों के साथ सात सौ कैदियों को रिहा करने का म्यांमार सेना ने किया बड़ा फैसला, एक साल पहले हुए तख्तापलट के बाद से हीं म्यांमार में लागू है आर्मी रूल – विजयशंकर दूबे/राजेंद्र दूबे


म्यामांर के सैनिक,सांकेतिक तस्वीर, फोटो साभार-(म्यांमार डिफेंस मिनिस्ट्री के ट्वीटर से)

रंगून। म्यांमार में जारी आर्मी रूल के बीच राष्ट्रीय दिवस के मौके पर 700 कैदियों को रिहा करने का म्यांमार आर्मी ने बड़ा फैसला किया है। इन रिहा होने वालों में पूर्व ब्रिटिश राजदूत विक्की बोमन, ऑस्ट्रेलियाई अर्थशास्त्र सलाहकार सीन टर्नेल और जापानी पत्रकार टोरू कुबोता भी शामिल हैं।

बता दे कि म्यांमार मीडिया ने गुरुवार को रिपोर्ट किया कि राष्ट्रीय दिवस के मौके पर इन सभी 700 क़ैदियों को रिहा करने का फैसला लिया गया है। रिहा किए जा रहे लोगों को क्षमा प्रदान की गई है। दरअसल,इन सभी कैदियों को पिछले साल हुए तख्तापलट के दौरान जनता को उकसाने के जुर्म में हिरासत में लिया गया था। इसमें विक्की बोमन, जिन्होंने 2002 से 2006 तक राजदूत के रूप में कार्य किया,उन्हें अगस्त में उनके पति के साथ हिरासत में लिया गया था। बोमन पर आप्रवासन उल्लंघन और कुबोटा पर राजद्रोह और संचार कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें एक साल की जेल हुई थी। हालांकि इस दौरान उनके पति जो कि प्रमुख कलाकार हेटिन लिन को भी रिहा किये जाने की खबर है।

वहीं आंग सान सू की के सलाहकार और ऑस्ट्रेलियाई अर्थशास्त्री सीन टर्नेल को पिछले साल फरवरी में तख्तापलट के तुरंत बाद हिरासत में लिया गया था,जिसके बाद सितंबर में, उन्हें और सू की को एक बंद जुंटा अदालत ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही 26 वर्षीय जापानी पत्रकार टोरू कुबोता को जुलाई में म्यांमार के दो नागरिकों के साथ यांगून में एक सरकार विरोधी रैली के पास हिरासत में लिया गया था और उन्हें 10 साल के लिए जेल में डाल दिया गया था।

बताया जा रहा है कि चार अन्य विदेशियों को भी रिहा किया जा रहा है और उन्हें उनके देश वापस भेजा जा रहा है। बता दें कि 1 फरवरी, 2021 को हुई छापेमारी में आंग सान सू की सहित कई नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है।

गौरतलब है कि चीन के इशारे पर म्यांमार में एक साल पहले म्यांमार की सेना ने तख्तापलट की कार्यवाही करते हुए तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष आंग सान सू सहित हजारों लोकतंत्र समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया था,इस दौरान सैकड़ों लोगों को मारे जाने की भी रिपोर्ट सामने आई थी। जिस वजह से वहा कई विद्रोही गुटों ने आर्मी रूल के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह भी शुरू कर दिया जो कि अभी भी जारी है। हालांकि, इन गुटों को अभी तक कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिल सकी है, लेकिन फिर भी इन गुटों की तरफ से लगातार संघर्ष को अंजाम दिया जा रहा है।

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