इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

“सीक्रेट आॅपरेशन” मीडिया समूह की पड़ताल में भारत में बम शैल्टर्स की भारी कमी होने की रिपोर्ट आई सामने, सुरक्षा में साबित हो सकती है बड़ी चूंक, दुनिया के तमाम देश पहले ही कर चुके हैं ऐसे शैल्टरों का निर्माण – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली। इस साल जब 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो बम शैल्टर चर्चा में आया,क्योंकि जब रूसी फौज जमीन और आसमान से यूक्रेन के शहरो पर भीषण बमबारी और मिसाइल अटैक करती थी तो वाॅर सायरन बजते ही लोग यूक्रेन के बम शैल्टर में छिपकर रूसी हमलों से अपनी जान बचाते थे। इन बम शैल्टर के बारें में जब “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह ने विश्लेषण किया तो पाया कि दुनिया के तमाम देश अपने दुश्मन देशों की तरफ से युध्द के संभावित खतरों से बचने के लिए भारी संख्या में इन बम शैल्टरों का निर्माण पूर्व में कर चुके हैं,इसके साथ ही आगे भी इस तरह के शैल्टर का निर्माण कर रहे हैं। लेकिन बात जब भारत की आती है तो ऐसे शैल्टर भारत में अब तक कितने बने है ? या आगे निर्माण करने की कोई योजना है ? इसकी कोई रिपोर्ट “सीक्रेट आॅपरेशन” मीडिया हाउस के पास उपलब्ध नहीं है।

दरअसल, वर्ष 2014 में जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला करके उस पर कब्जा कर लिया था तो उसी समय यूक्रेन भारी मात्रा में सैन्य संसाधनों के अलावा अपने कई शहरों में भारी संख्या में बम शैल्टर भी बनाया ताकि भविष्य में रूस के साथ जंग की स्थिति में अपने नागरिकों को इन शैल्टरों की मदद से बचाया जा सकें। यूक्रेन की यह दूर दर्शिता आज उसके लाखों नागरिकों के लिए वरदान साबित हो रही है। यूक्रेन की यह तैयारी दुनिया के उन देशों के लिए एक बड़ी सबक के तौर हैं, जो अपने दुश्मन की तरफ से निश्चिंत है। हालांकि,दुनियां भर के तमाम देश अपने देशों में संतोषजनक संख्या में इस तरह के शैल्टरों का निर्माण कर रखें है, लेकिन बात जब भारत की आती है तो इस तरह की गंभीर लापरवाही की तुलना ठीक 62 के जंग से हो सकती है जब नेहरू सरकार सीमा पर बिना संतोषजनक तैयारी के इंडियन आर्मी की तैनाती कर रखी थी, उस जंग का परिणाम बताने की जरूरत नहीं है।

बता दे कि जब दुनिया शीत युद्ध का सामना कर रही थी तो समय नाटों देशों के अलावा रूस भी बम शैल्टर के अतिरिक्त भारी संख्या में न्यूक्लियर बंकर भी बनाया था। इससे साफ हो जाता है कि दुनिया अपने देश की सुरक्षा के प्रति पहले से ही कितनी प्रतिबध्द थी,अफसोस भारत की गंभीरता ठीक आज भी उसी तरह से है जिस तरह से 62,65 और आगे की जंगों में रहा है। फिलहाल, भारत में जो मैट्रो स्टेशन बनाये जा रहे हैं वें भी काफी हद तक बम शैल्टर का काम कर सकते हैं लेकिन वह उतना संतोषजनक नहीं है जितना कि एक बम शैल्टर होता है। क्योंकि,जब सीक्रेट आॅपरेशन न्यूज पोर्टल समूह ने यूक्रेन के बम शैल्टरों को देखते हुए भारत में इसकी पड़ताल किया तो हमें बम शैल्टर के संबंध में संतोषजनक परिणाम नहीं मिला। इससे यह साफ हो गया कि निश्चित रूप से भारत सुरक्षा के संबंध में अपनी पूरी तैयारी करके बैठा है लेकिन बात जब बम शैल्टर या न्यूक्लियर बंकर की आती है तो संबंधित जिम्मेदार बगले झांकनें लगते हैं। जो कि देश की सुरक्षा में एक गंभीर चूक साबित हो सकता है, बेहतर होगा कि भारत चेते और इस तरह की गंभीर लापरवाहियों से बचें।

गौरतलब है कि बम शेल्टर्स एक बंद जगह होती है जिसे लोगों को बम और मिसाइल जैसे विस्फोटक हथियारों के प्रभाव से बचाने के लिए बनाया जाता है। यहां रहकर लोग अपनी जान बचा सकते हैं। यह सामान्यतया ऐसा कमरा होता है जो कि अंडरग्राउंड होता है,इसे असल में बम के प्रभावों से बचाने के लिए खास डिजाइन किया जाता है, जो हवाई हमले के दौरान एक सेफ जगह रहने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बम शेल्टर में कई विशेष सुविधाएं होती हैं जैसे पीने का पानी, पैकेट बंद भोजन, आपातकालीन दवाएं, इमरजेंसी फ्लैश लाइट या टॉर्च, अतिरिक्त बैटरी, आदि ऐसी जगह पर कम से कम तीन दिन की जरूरतों के लिए इस तरह के सामान रखें जाते हैं।

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