एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

नेपाली सैनिकों की मौजूदगी में उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ में पुल निर्माण में लगे मजदूरों पर नेपाली लोगों द्वारा की गई पत्थरबाजी, इससे पहले भी नेपाल ने बार्डर पर बढ़ाया था तनाव – राकेश पांडेय/अमरनाथ यादव


नेपाली सैनिक,सांकेतिक तस्वीर।

काठमांडू/देहरादून। नेपाल और भारत के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ाने वाली रिपोर्ट सामने आ रही है। जिसमें दावा किया गया है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भारत-नेपाल सीमा पर रविवार को तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई। दरअसल,रविवार की शाम नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पत्थरबाजी की गई है। जिससे निर्माण कार्य कर रहे मजदूरों में अफरातफरी मच गई। बताया जा रहा है कि पत्थरबाजी की यह घटना धारचूला इलाके में हुई है। बता दे कि यहां काली नदी पर भारत की तरफ से तटबंध का निर्माण चल रहा है। जहां कुछ अज्ञात नेपाली नागरिकों इस निर्माण का विरोध किया जा रहा हैं। इतना ही नहीं पत्थर बाजी के दौरान घटनास्थल पर मौजूद नेपाली सुरक्षाकर्मी सिर्फ तमाशबीन बने रहे।

बता दे कि इस तटबंध निर्माण के दौरान नेपाल की ओर से इससे पहले भी कई बार ऐसे ही पत्थरबाजी की घटना को अंजाम दिया जा चुका है। दरअसल, धारचूला नेपाल और चीन के बीच का सीमावर्ती इलाका है और नेपाल की सीमा धारचूला से शुरू होती है। धारचूला में काली नदी के एक किनारे पर भारत है और नेपाल दूसरी तरफ है। काली नदी के आसपास सैकड़ों गांव हैं। इन गांवों में यातायात के लिए कई सस्पेंशन ब्रिज बनाए गए हैं।

जबकि भारत अपने ही इलाकें में निर्माण कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद नेपाल की ओर से लगातार विरोध जताते हुए कुछ असामाजिक तत्व पथराव कर रहे हैं। वहीं,इसको लेकर भारत के क्षेत्र में भी नाराजगी है। नेपाल के लोगों का कहना है कि भारत की ओर तटबंध बनने से उनकी ओर काली नदी से कटाव हो जाएगा।

दरअसल,हाल के कुछ सालों से भारत और नेपाल के बीच लगातार तनाव बढ़ने की रिपोर्ट्स आती रही है। और यह तनाव वर्ष 2020 में उस वक्त बढ़ी जब नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया था। जहां इस नक्शे पर नेपाल ने अपने क्षेत्र में कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के इलाकों को दिखाया। जिसे भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है। इस बीच भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई 2020 को एक विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक सड़क संपर्क का उद्घाटन किया था। जिसका विरोध करते हुए नेपाल ने एक बार फिर लिपुलेख पर अपना दावा ठोक दिया था। मालूम हो कि उस समय नेपाल में ओली सरकार थी जो कि चीनी इशारें पर इस तरह के हरकतों को अंजाम दे रही थी। हालांकि इस समय ओली सत्ता में नहीं है फिर भी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाना, चीनी साजिश का अहम हिस्सा हो सकता है। ऐसे में भारत को पहले से अधिक सतर्क हो जाने की जरूरत है।

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