इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

तीन दिन पहले अरूणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में दुश्मन के साथ भारतीय सैनिकों के झड़प होने की रिपोर्ट आई सामने, 6 भारतीय जवानों के घायल होने की भी खबर, दुश्मन को भी पहुंचा भारी नुकसान – गौरव बरनवाल (डिप्टी एडिटर)


एक ड्रिल के दौरान इंडियन आर्मी के ईस्टर्न कमांड के सैनिक, फाईल फोटो, फोटो साभार -( ईस्टर्न कमांड के ट्वीटर से)

तवांग। इस महिने के बीते 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारतीय सैनिकों का दुश्मन के साथ संघर्ष होने की रिपोर्ट सामने आ रही है। दावा किया जा रहा है कि अरूणाचल प्रदेश की राजधानी तवांग सेक्टर में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच एक झड़प के चलते 6 भारतीय जवानों के घायल होने की ख़बर है। हालांकि, चीनी पक्ष में भी भारी नुकसान होने की जानकारी है।

दरअसल,एक भारतीय मीडिया समूह ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि भारतीय सेना ने चीनी घुसपैठ को करारा जवाब दिया। इस घटना में चीनी फौज को भारतीय सेना से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। बता दे कि दावे में कहा जा रहा है कि 17 हजार फीट की ऊंचाई पर यह झड़प हुई। जहां चीन के 300 सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की थी,लेकिन भारतीय सैनिकों ने दुश्मन के इस हरकत का जवाब देने के लिए पहले से ही तैयार थे।

वहीं,इस झड़प की रिपोर्ट सामने आते हीं दोनों हीं देशों के सैन्य कमांडर लेवल की बातचीत हुई और दोनों ही पक्षों के जवान वहां से हट गए। बता दे कि इस क्षेत्र में दोनों सेनाएं कुछ हिस्सों पर अपना-अपना दावा ठोकती आई हैं। 2006 से यह विवाद जारी है।

गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच मिलिट्री लेवल पर एक समझौता है। इसके तहत दोनों देशों के सैनिक एक तय दायरे में फायरिंग आर्म्स यानी रायफल या ऐसे ही किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे। अमूमन दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे को हाथों से ही पीछे धकेलते हैं। गलवान झड़प में चीनी सैनिकों ने कांटेदार डंडों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी इसी तरह के इलेक्ट्रिक बैटन और कांटेदार डंडों का इस्तेमाल शुरू कर दिया। लिहाजा, अब चीन को मुंहतोड़ जवाब मिलता है।

इससे पहले भी पिछले साल इसी क्षेत्र में 200 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। तब भी भारतीय सैनिकों ने इसे नाकाम कर दिया था। तब पेट्रोलिंग के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हो गए थे और कुछ घंटों तक यह सिलसिला चला था। हालांकि इसमें भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ और प्रोटोकॉल के मुताबिक बातचीत से विवाद सुलझा लिया गया।

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