इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

तवांग झड़प के बाद दुश्मन द्वारा डोकलाम में नये पुल बनाने की रिपोर्ट आई सामने, फ्रंट पर दुश्मन को काउंटर करने के लिए भारत भी आया हरकत में – राजेंद्र दूबे (स्पेशल एडिटर)


सांकेतिक तस्वीर।

बीजिंग/नई दिल्ली। इस महिने के बीते 9 तारीख को अरूणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय जवानों के बीच हुए सैन्य संघर्ष के बाद दुश्मन डोकलाम के पास एक पुल का निर्माण किये जाने की रिपोर्ट सामने आई है। बताया जा रहा है कि यह पुल उस जगह के करीब बनाया गया है, जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच विवाद हुआ था। जहां करीब 73 दिनों तक चले गतिरोध के बाद दोनों देशों ने अपनी सेनाओं को विवादित जगह से पीछे हटाया था। दरअसल,एक इंटेलीजेंस रिपोर्ट में चीन द्वारा डोकलाम के आसपास के इलाकों में बुनियादी ढांचे को मजबूत किये जाने का खुलासा हुआ है। जहां भारी मात्रा में घातक हथियारों को स्टोर करने के लिए अंडरग्राउंड सुरंगें भी बनाई गई हैं।

दरअसल,पूर्वी लद्दाख बार्डर पर दुश्मन द्वारा लगातार गतिरोध जारी रखने के बीच एक भारतीय मीडिया समूह ने एक इंटेलीजेंस रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया है कि चीन ने डोकलाम में विवादित इलाके के पास एक नए पुल का निर्माण किया है। इतना ही नहीं, चीन ने डोकलाम के आसपास के इलाकों में कई नई सड़कें भी बनाई है। रिपोर्ट में अमेरिकी अंतरिक्ष फर्म प्लैनेट लैब्स पीबीसी से ली गई सैटेलाइट तस्वीरों से भी खुफिया जानकारी की तस्दीक की गई है। भारत-भूटान-चीन ट्राई जंक्शन से लगभग 9 किलोमीटर दूर भूटानी क्षेत्र में चीन अपने विस्तार को जारी रखे हुए है। चीन ने 2020 में भूटानी इलाके में पंगडा गांव स्थापित किया था। 2021 में इस गांव का विस्तार देखा गया था।

इतना ही नहीं इस नये रिपोर्ट में नई सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से दावा किया गया है कि हाल में ही इस गांव के दक्षिण इलाके में काफी डेवलपमेंट देखने को मिला है। चीन ने इस इलाके में एक नदी पर पुल का भी निर्माण किया है। साथ-साथ कई नई इमारतों को भी बनाया है। हाल की तस्वीरें डोकलाम के दक्षिण में और अधिक जमीन पर चीनी कब्जे को दिखा रही हैं। सीमा से लगभग 20 किमी दूर चीन भूटानी क्षेत्र में लैंगमारपो कहे जाने वाले नए गांवों के समूहों को बसा रहा है। इनमें से कई निर्माणाधीन हैं। साइबुरु, चैतांगशा और कुले क्षेत्रों में चीन तेजी से इन गांवों का निर्माण कर रहा है।

ऐसे में डोकलाम में चीन के निर्माण से भारत की सबसे बड़ी चिंता सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा की है। इसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संकरा गलियारा है जो अपने सबसे पतले इलाके में केवल 22 किमी तक ही फैला है। यह गलियारा पूर्वोत्तर के राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। आशंका है कि डोकलाम के जरिए चीन पूर्वोत्तर भारत से संपर्क काटने के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर को निशाना बना सकता है।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख बार्डर पर दुश्मन की सभी गतिविधियों पर भारत और अमेरिका संयुक्त रूप से लगातार निगरानी बनाये हुये है। जहां बार्डर के पास दुश्मन की बढ़ती सैन्य तैनातियों और निर्माण कार्य की रिपोर्ट्स का खुलासा भी होता रहा है। जिस वजह से भारत भी अतिरिक्त सतर्कता के लिए फ्रंट पर दुश्मन के इन हरकतों को काउंटर करने के लिए अपनी सैन्य तैनातियों में इजाफा करने के साथ साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण को अंजाम देने में जुटा हुआ हैं। जिससे अभी हाल ही में तवांग झड़प के दौरान चीनी सैनिकों की घुसपैठ करने की कोशिश पर पानी फेर दिया।

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