स्पेशल रिपोर्ट

यूक्रेनी राष्ट्रपति को बेहद खतरनाक जंगी हालातों के बीच सुरक्षित अमेरिका का दौरा कराना अमेरिकी ऐजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता – सतीश उपाध्याय/अमरनाथ यादव


फ्रंट पर दुश्मन के खिलाफ तोपों से हमले को अंजाम देते हुए यूक्रेन के सैनिक, फोटो साभार -(रूसी डिफेंस मिनिस्ट्री के ट्वीटर से)

वाशिंग्टन/कीव। रूस के साथ जारी भीषण जंग के बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के अमेरिका दौरे को लेकर पूरी दुनिया में खूब चर्चा हो रही है। क्योंकि,जिन भीषण जंगी हालातों के दौरान जेलेंस्की बेहद सुरक्षित तरीके बीते बुधवार को अमेरिका पहुंचे थे,बेहद मुश्किल टास्क था। बताया जा रहा है कि 11 दिसंबर को जेलेंस्की ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात की थी। इसके बाद से ही उनके अमेरिका दौरे की तैयारियां शुरू हो गई थी।

ऐसे में अमेरिकी ऐजेंसियों के सामने सबसे बड़ी मुश्किल थी कि इस दौरे की जरा सी भी भनक रूसी ऐजेंसियों को न लगे क्योंकि जेलेंस्की रूस के सबसे टाॅप लेवल के टारगेट है। यही कारण है कि रूसी खुफिया एजेंट जेलेंस्की से जुड़ी हर खबर पर पैनी नजर बनाए हुए थे। वहीं अमेरिकी अधिकारियों को डर था कि अगर जेलेंस्की कीव से हीं उड़ान भरते हैं तो रूसी मिसाइलें उसे निशाना बना सकती हैं। क्योंकि,जेलेंस्की के अमेरिका दौरे को लेकर रूस पहले ही चेतावनी भी दे चुका था। ऐसे में अमेरिकी अधिकारियों ने उनके दौरे से जुड़ी किसी भी आधिकारिक सूचना को जारी नहीं किया। शांतिकाल में भी किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की सुरक्षा का खासा ख्याल रखा जाता है, लेकिन जेलेंस्की तो युद्ध के बीच अपने देश से बाहर निकल रहे थे। ऐसे में वे रूस का आसान शिकार बन सकते थे।

ऐसे में रूसी हमले से बचाने के लिए जेलेंस्की के अमेरिका दौरे को बेहद गुप्त रखा गया। जहां 20 दिसंबर मंगलवार को उन्हें पूर्वी यूक्रेन में युद्ध प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते देखा गया उसके बाद मंगलवार रात को वे ट्रेन पर सवार हुए और बुधवार तड़के पोलैंड के शेमिश्ल रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। शेमिश्ल यूक्रेन सीमा पर बसा पोलैंड का एक सीमावर्ती शहर है। यहां जेलेंस्की और उनके सहयोगी पहले से इंतजार कर रहे काले रंग की गाड़ियों पर सवाल हो गए। ये गाड़ियां अमेरिकी सरकार की थी। इसके बाद उन्हें अमेरिकी वायु सेना के बोइंग सी-40बी विमान से ब्रिटेन के रास्ते वॉशिंगटन के लिए रवाना किया गया।

दुनियाभर की उड़ानों पर नजर रखने वाले प्लेटफॉर्म फ्लाइट डेटा के मुताबिक, जेलेंस्की के शेमिश्ल रेलवे स्टेशन पहुंचे के कुछ देर बाद 80 किलोमीटर दूर स्थित जेशोव एयरपोर्ट से अमेरिकी वायु सेना के बोइंग सी-40बी विमान ने उड़ान भरी थी। माना जाता है कि इसी विमान में जेलेंस्की अपने सहयोगियों के साथ सवार थे। इस विमान को पहले ब्रिटेन की ओर रवाना किया गया। इससे पहले अमेरिकी वायु सेना के एक खुफिया विमान ने पूरे हवाई क्षेत्र को स्कैन किया। उससे रूसी पनडुब्बियों, लड़ाकू विमानों की गैरमौजूदगी की जानकारी मिलने के बाद विमान आगे बढ़ा। इस दौरान ब्रिटेन में मौजूद अमेरिकी हवाई अड्डे से एक एफ-15 लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी और वह पूरे रास्ते जेलेंस्की के विमान को हवाई सुरक्षा देता रहा।

पोलैंड से निकलने के लगभग 10 घंटे बाद विमान ने वॉशिंगटन के हवाई अड्डे पर लैंड किया। विमान से उतरते ही जेलेंस्की सीक्रेट सर्विस की स्पेशल सुरक्षा दी गई। अमेरिका पहुंचने के बाद विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा दी जाती है, लेकिन रूस के साथ जारी युद्ध के कारण जेलेंस्की की सुरक्षा को लेकर सीक्रेट सर्विस के एजेंट कुछ ज्यादा ही अलर्ट थे। उन्हें जो बाइडेन से मिलाने लेकर जाया गया। जेलेंस्की ने अमेरिकी संसद को भी संबोधित किया। इसके बाद उन्हें गुरुवार को ही वापस पोलैंड पहुंचा दिया गया। पोलैंड में जेलेंस्की ने राष्ट्रपति आंद्रजेज डूडा से भी मुलाकात की।

दरअसल, इस जंग की शुरूआत में ही जेलेंसकी पर रूसी कमांडो फोर्स ने एक स्पेशल ऑपरेशन के दौरान उन पर खतरनाक हमलें को अंजाम दे चुकी थी। ऐसे में जेलेंसकी पर लगातार रूसी हमलें का खतरा बना रहता था। यही कारण था कि इस दौरे को लेकर अमेरिकी ऐजेंसियां पूरी तरह से अलर्ट थी। फिलहाल, जेलेंसकी की पूरी यात्रा सुरक्षित रही और वह सकुशल अपने देश पहुंच भी चुके हैं। हालांकि,इस दौरे को लेकर क्रेमलिन की तरफ से ऐसा कोई दावा अभी तक सामने नहीं आया है कि जिसमें जेलेंसकी पर हमला करने की बात कही गई हो। लेकिन इस सुरक्षित दौरे को लेकर नाटों द्वारा मीडिया में अतिरिक्त चर्चा के माध्यम से रूसी राष्ट्रपति पुतिन को चिढ़ाने का काम किया जा रहा है।

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