सांकेतिक तस्वीर।
इस्लामाबाद/नई दिल्ली। दुनिया में एक ओर जहां रूस-यूक्रेन के बीच पिछले दस महिनों से लगातार जंग छिड़ी हुई है तो वही दूसरी तरफ एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन देश भारत-पाकिस्तान आपस में तय प्रोटोकॉल के अनुसार 1 जनवरी को अपने-अपने परमाणु हथियारों का डाटा एक-दूसरे से शेयर कर रहे हैं। इस बीच भारत-पाक ने एक दूसरे की जेलों में बंद नागरिकों और मछुआरों की सूची भी एक दूसरे को सौंपी है। जहां भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को बताया है कि उनके 434 भारत की जेलों में बंद हैं। इनमें 339 नागरिक और 95 मछुआरे हैं। पाकिस्तान ने भी 705 भारतीय कैदियों की लिस्ट शेयर की है। इसमें बताया गया है कि 51 नागरिक और 654 मछुआरे उनकी जेलों में बंद हैं।
हालांकि,इस दौरान भारत ने पाकिस्तान से अपनी भारतीय कैदियों को जल्द से जल्द रिहा करने के मांग भी की है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जिनकी सजा पूरी हो चुकी है और कंफर्म हो चुका है कि भारतीय हैं तो उन्हें रिहा कर दें। बता दे कि दोनों देशों के बीच वर्ष 2008 में कॉन्सुलर एक्सेस समझौता हुआ था। इसके तहत दोनों देश हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को अपने यहां बंद एक दूसरे के नागरिकों की जानकारी साझा करते हैं। इस बीच भारत और पाकिस्तान ने रविवार को अपने एटमी संस्थानों की सूची भी एक-दूसरे से की है। यह सिलसिला पिछले 32 साल से चल रहा है। दोनों देश आपस में परमाणु संस्थानों और सुविधाओं पर हमला नहीं करने के समझौते के तहत यह लिस्ट साझा करते हैं।
दरअसल,भारत-पाकिस्तान के बीच 31 दिसंबर 1988 को यह समझौता किया गया था। इसे 27 जनवरी 1991 को लागू किया गया था और पहली लिस्ट 1 जनवरी 1992 को साझा की गई थी। इसके बाद से हर साल 1 जनवरी को दोनों देश यह लिस्ट साझा करते हैं। इतना ही नहीं भारत-पाकिस्तान के बीच एटमी खतरे को लेकर भी समझौता है, जिसे 2017 में पांच साल के लिए बढ़ाया गया था। यह समझौता एटमी हथियारों से जुड़े हादसों का खतरा कम करने के लिए किया गया था। इस समझौते के तहत दोनों देश अपने क्षेत्र में एटमी हथियारों से हादसा होने पर एक-दूसरे को सूचना देंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि रेडिएशन की वजह से सीमा पार भी नुकसान हो सकता है। यह समझौता 21 फरवरी 2007 को लागू किया गया था। पहली बार इसे 2012 में पांच साल के लिए बढ़ाया गया था।