इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

रूस-यूक्रेन जंग के बीच भारत पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटिश मीडिया ने किया बड़ा दावा, कहा रूसी फौज को भारतीय चमड़े के जूतों की हो रही सप्लाई – सतीश उपाध्याय (सीनियर एडिटर)


रात में दुश्मन को टारगेट करते हुए यूक्रेनी सैनिक, फोटो साभार -( यूक्रेन के डिफेंस मिनिस्ट्री के ट्वीटर से)

लंदन। बीते साल में रूस-यूक्रेन जंग जबसे शुरू हुआ है, उसके बाद से ही तमाम देश भारत को यूक्रेन की मदद करने के लिए उस पर तमाम तरह के दबाव बनाने की कोशिश में रहे। वहीं अब ब्रिटिश मीडिया ने इस जंग में रूसी फौज को भारत की तरफ से चमड़े का जूता उपलब्ध कराने का दावा किया है। दरअसल,भारत से चमड़े का व्यापार पूरी दुनिया में मशहूर हैं। वही अब ब्रिटेन का मीडिया भारत की चमड़ा कंपनियों पर युद्ध में रूस की मदद करने का आरोप लगा रहा है। क्योंकि ब्रिटिश मीडिया का मानना है कि रूस में उन कंपनियों को भारतीय चमड़ा मिल रहा है जो मिलिट्री के लिए जूते बनाती हैं।

बता दे कि “द गार्जियन” ने रिपोर्ट किया है कि भारत और रूस के अच्छे संबंध हैं, इसीलिए मोदी सरकार ने अभी तक किसी भी तरह से रूस के हमले की आलोचना नहीं की है और न ही भारतीय कंपनियां रूस से आयात रोक रही हैं। रूस और भारत के बीच व्यापार में 413 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रूस के सस्ते कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदारों में भारत है। रूस भी भारत से उन चीजों को खरीद रहा है जो पश्चिमी देशों से नहीं आ सकते। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भी आरोप लगा चुके हैं कि भारत रूस को पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से बचा रहा है।

रिपोर्ट में आगे यह भी दावा किया गया है कि हरियाणा की कंपनी होमेरा टैनिंग रूस को हर महीने 7.3 करोड़ रुपए का चमड़ा और चमड़े का जूता सप्लाई करती है। भारतीय कंपनी के चमड़े के सबसे बड़े उपयोगकर्ता रूस की फुटवियर कंपनी डोनोबुव और वोस्तोक हैं, जो प्राथमिक तौर पर रूस की सेना को जूते की सप्लाई करते हैं। 2021 के पब्लिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि डोनोबुव ने रूसी सेना के साथ लाखों रुपए के कॉन्ट्रैक्ट किए हैं। लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद कोई डिटेल सामने नहीं आई है। वहीं,होमेरा टैनिंग के डायरेक्टर ताहिर रिजवान ने कहा है कि के ‘चीन और अन्य यूरोपी बाजारों की ही तरह रूस भी है। लेकिन युद्ध के बाद से ही डिमांड तेजी से बढ़ी है। इसका कारण संभवतः पश्चिमी देशों से सामान न मिल पाना हो सकता है।’

हालांकि,यह कोई पहला मौका नहीं है कि जब भारत के खिलाफ इस तरह का प्रोपेगैंडा न किया गया हो, क्योंकि युध्द शुरू होने के कुछ महिने बाद ही यह दावा किया गया था कि रूस, भारत के माध्यम से जंग में हथियारों व मिसाइलों में लगने वाले कलपुर्जे चुपके से ले रहा है। जहां बाद में यह कथित व फर्जी खुलासा करार हुआ। दरअसल, नाटों देश यह चाहते हैं कि भारत अब अपनी विदेश नीति में परिवर्तन करते हुए नाटों या यूरोप के ईशारे पर चले और रूस से सभी संबंध तोड़ ले। इतना ही नहीं भारत पर दबाव बनाने के लिए चीनी हमले का डर दिखाया गया, लेकिन भारत अपनी विदेश नीति पर आज भी अमल कर रहा है। अब ऐसे में चमड़े के जूतों के बहाने इस युध्द में रूस को मदद पहुंचाने का दावा किया जा रहा है जो कि प्रभावहीन है।

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