
सांकेतिक तस्वीर।
ताइपे। चीन के साथ जारी भीषण जंगी तनातनी के बीच ताइवान में उस समय हड़कंप मच गया,जब यह खुलासा हुआ कि ताइवान ने अपनी सबसे ताकतवर मिसाइल का एक पार्ट चीन के पास मरम्मत करने भेजा है। बता दे चीन और ताइवान के बीच पिछले कई सालों से लगातार जंगी तनातनी जारी है, स्थिति यहां तक है कि इन दोनों देशों के बीच कभी भी जंग छिड़ सकती है। अब ऐसे में एक जानी दुश्मन के पास अपनी सबसे ताकतवर मिसाइल के पार्ट का मरम्मत करने के लिए भेजना बेहद असहज कर देने वाली खबर है।
दरअसल रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ताइवान की मिसाइल सियुंग फेंग III (सियुंग III) को ठीक करने के लिए चीन भेजा है, जो एक मध्यम दूरी की एंटी शिप मिसाइल है। इसे ताइवान के नेशनल चिंग-शान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने विकसित किया है। सियुंग जमीन और समुद्र दोनों जगहों से हमला करने में सक्षम है। इस ताकतवर मिसाइल का चीन में जाना ताइवान की सुरक्षा में एक बड़ी चूक माना जा रहा है।
इस बीच साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने रिपोर्ट किया है कि ताइवान की मिसाइल का एक थियोडोलाइट जो सटीक ऑप्टिकल उपकरण होता है उसे चीन में मरम्मत करने के लिए भेजा गया है। पिछले दिनों नेशनल चिंग-शान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने कहा, थियोडोलाइट को साल 2021 में स्विस कंपनी लीका से खरीदा गया था और इसे हाल ही में ठीक होने के लिए निर्माता को वापस भेजा गया था।
वहीं,ताइवानी एजेंसी ने दावा किया है कि मिसाइल के उपकरण को वापस भेजने से पहले उसका मेमोरी स्टोरेज कार्ड हटा लिया गया था। इसे बेचने वाले एजेंट को इस हिस्से को स्विट्जरलैंड भेजने के लिए कहा गया था। मरम्मत किए गए थियोडोलाइट को चीन के शेडोंग के एक एयरपोर्ट से ताइवान भेजा गया था, इस बात की जानकारी मिलते ही ताइवान की सुरक्षा एजेंसियां सकते में आ गईं। जब इस बार जांच की गई तो मालूम पड़ा कि इस पार्ट की मरम्म्त स्विट्जरलैंड में न होकर चीन में की गई है। वहीं,थियोडोलाइट को बनाने वाली कंपनी ने सफाई देते हुए कहा कि एशिया में इस पार्ट के मेंटेनेंस की सेंटर चीन के शेंडोंग शहर में है।
कंपनी ने आगे भी कहा कि इसीलिए इस पार्ट को मरम्म्त करने के लिए चीन भेजा गया था। इसके बाद जब ताइवान की एजेंसी नेशनल चिंग-शान इंस्टीट्यूट ने कहा कि महने ने फौरन उपकरण की सुरक्षा की जांच की और यह सुनिश्चित किया कि इसमें कोई मैलवेयर न किया गया है। फिलहाल, यह पूरा घटनाक्रम ताइवान की सुरक्षा में सबसे बड़ी चूक को उजागर करता है, जिसके बारे में बहुत बताने की आवश्यकता नहीं है।
