एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

अपने फायदे के लिए चीन ने अपने हीं दोस्त पाकिस्तान के खिलाफ रची घातक साजिश, खूंखार आतंकी संगठन TTP के आगे पाक फौज को झुकने के लिए किया मजबूर – अमरनाथ यादव (डिप्टी एडिटर)


सांकेतिक तस्वीर।

इस्‍लामाबाद/बीजिंग। पाकिस्‍तान की खूंखार आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (TTP) के सामने पाकिस्तानी फौज के सरेंडर करने की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है और उससे भी अधिक हैरानी भरी रिपोर्ट यह है कि बीजिंग के निर्देश पर पाक फौज ऐसा करने के लिए मजबूर हुई है। जो कि पाकिस्तानी अवाम के लिए बेहद घातक साबित होगा,वहीं विशेषज्ञ चीन की इस हरकत को पाकिस्तान के खिलाफ बेहद खतरनाक साजिश मान रहे हैं। बता दे कि पाकिस्‍तानी सेना टीटीपी के साथ एक समझौता करने जा रही है जिससे पाकिस्‍तान के अंदर एक ‘अलग’ इस्‍लामिक देश का रास्‍ता साफ होगा। जहां टीटीपी आतंकियों के शासन वाले इस इलाके में शरिया कानून लागू होगा।

बताते चले कि टीटीपी आतंकी पाकिस्‍तान की लोकतांत्रिक सरकार की जगह पर अपनी सत्‍ता चाहते हैं जो शरिया कानून पर आधारित होगी। टीटीपी आतंकी अगस्‍त 2021 से लेकर मार्च 2022 के बीच में अब तक कम से कम 119 पाकिस्‍तानी सैनिकों की बेहद क्रूरतापूर्वक हत्‍या कर चुके हैं। जहां पिछले कुछ महिनों से टीटीपी ने शांति समझौते को लेकर हो रही बातचीत को देखते हुए ‘अनिश्चित काल के लिए सीजफायर’ का ऐलान किया था। वहीं पाकिस्‍तान की सरकार टीटीपी के शीर्ष नेताओं और कमांडरों को जेल से रिहा करने पर सहमत हो गई है।

दरअसल,इससे पहले पाकिस्‍तानी सेना और टीटीपी के बीच इस समझौते को तालिबानी गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्‍कानी द्वारा कराये जाने की रिपोर्ट सामने आई थी। बता दे कि सिराजुद्दीन हक्‍कानी एक कुख्‍यात आतंकी है जिसका अलकायदा के साथ मजबूत रिश्‍ता है।

चूंकि टीटीपी की शुरू से ही प्रमुख मांग है कि उसके नियंत्रण वाले इलाकों में शरिया कानून लागू किया जाए। इसमें पाकिस्‍तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वा कबायली इलाका जिसे फाटा कहा जाता था,यही नहीं टीटीपी फाटा को फिर से खैबर पख्‍तूनख्‍वा से अलग करना चाहता है। उधर,इस डील का विरोध कर रहे पाकिस्‍तानी नेताओं का मानना है कि टीटीपी फाटा को ठीक उसी तरह से ‘मिनी इस्‍लामिक अमीरात’ बनाना चाहता है, जैसे तालिबान ने सत्‍ता पर कब्‍जा करने के बाद अफगानिस्‍तान में बनाया है। इन नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर टीटीपी खुद को विघटित करने की पाकिस्‍तानी सेना की मांग को स्‍वीकार भी कर लेता है तो भी वह अफगान तालिबान की तरह से फाटा में शरिया कानून लागू करने वाला मुख्‍य संगठन होगा।

वहीं एक अन्य रिपोर्ट में यह कहा गया है कि टीटीपी की बढ़ती क्षमता के पीछे चीन का भी समर्थन है। क्योंकि चीन बार-बार कह रहा है कि वह तालिबान के अपने इस्‍लामिक परंपरा के हिसाब से शासन करने के अधिकार का समर्थन करता है। उधर, पाकिस्तान के एक नेता ने खुलासा करते हुए बताया कि चीन टीटीपी के साथ समझौता करने के लिए पाकिस्‍तानी फौज पर दबाव डाल रहा है। इस समझौते के बीच में चीन का आने का सबसे बड़ा कारण यह है कि टीटीपी के आतंकियों ने हाल के दिनों में चीन के प्रॉजेक्‍ट और उनके लोगों पर कई हमले किए हैं। जहां चीन के लिए यह जरूरी है कि पाकिस्‍तान टीटीपी की कुछ मांगों को मान ले ताकि सीपीईसी के खिलाफ हो रहे हमले ताकि बंद हो जाएं। इतना नहीं यह भी कहा गया कि टीटीपी ने इस डील के बाद चीन के खिलाफ हमले नहीं करने का वादा किया है।
पर्दे के पीछे से चीन की यह हरकत पाकिस्तानी अवाम के लिए एक बेहद खतरनाक साजिश है जो कि अपने प्रोजेक्ट और अपने फायदे के लिए TTP जैसे खूंखार आतंकी संगठन के सामने पाक फौज को झुकने के लिए मजबूर कर दिया है। अब ऐसे में कहने की जरूरत नहीं है कि TTP पाकिस्तान में कितना तांडव करेगा ?

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