इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

ईरान के चाबहार पोर्ट के बहाने भारत की जासूसी करने के लिए चीन और पाकिस्तान ने किया ज्वाइंट सीक्रेट मिशन को लांच, दुश्मन ने आॅपरेशन को अंजाम देने के लिए चुना CH-4 ड्रोन – विजयशंकर दूबे (एडिटर इन क्राईम)


सांकेतिक तस्वीर।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान और चीन संयुक्त रूप से ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा के बहाने भारत के खिलाफ एक जासूसी अभियान संचालित करने के लिए अरब सागर की निगरानी और ईरान के चाबहार बंदरगाह की जासूसी के लिए ड्रोन तैनात कर दिया है। ग्वादर बंदरगाह के नजदीक मौजूद तुर्बत नेवल एयरबेस पर ड्रोन स्वाड्रन की तैनाती को काफी महत्वपूर्ण डेवलपमेंट माना जा रहा है। बता दे कि चीन की चाल ईरान में भारत के पैसों से विकसित चाबहार बंदरगाह पर निगाह रखने की भी है। इस एयरबेस से उड़े ड्रोन फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी से होने वाले सबसे व्यस्त व्यापारिक जलमार्ग पर भी नजर रख सकते हैं।

इस बीच यह भी खुलासा हुआ है कि चीन और पाकिस्तान तुर्बत नेवल एयरबेस पर तैनात ड्रोन के जरिए भारत की जासूसी कर सकते हैं। यहां से उड़ान भरने वाले ड्रोन खाड़ी देशों से भारत के तेल आयात, चाबहार के रास्ते, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों को होने वाले निर्यात पर नजर रख सकता है। इतना ही नहीं, तुर्बत नेवल एयरबेस के जरिए अरब सागर में भी भारतीय नौसैनिक गतिविधि पर निगाह रख सकता है। इससे पाकिस्तान के अलावा चीन को भी बड़ा फायदा हो सकता है। वह भारत के पश्चिमी छोर पर अपने जिबूती में मौजूद नेवल बेस के जरिए परेशानी खड़ा कर सकता है।

बताया जा रहा है कि चीन का जासूसी में माहिर यह सीएच-4 ड्रोन अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन की कॉपी है। आशंका है कि चीन ने इस ड्रोन को अमेरिकी तकनीक चुराकर विकसित किया है। सीएच-4 ड्रोन लगातार 30 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन 115 किलोग्राम के बम के साथ उड़ान भरने में भी सक्षम है,यह ड्रोन काफी अधिक ऊंचाई पर उड़ने के कारण सामान्य रडार से बचने में भी सक्षम है। यही कारण है कि चीन और पाकिस्तान ने इस ड्रोन को भारत के खिलाफ इस जासूसी अभियान के लिए चुना है।

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