इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

फ्रंट पर जंग के दौरान यूक्रेनी सैनिकों में पाया गया रहस्यमय वायरस, दो दिन पहले हीं बायोवेपन के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने रूस और चीन को दी थी चेतावनी, मचा हड़कंप – सतीश उपाध्याय (सीनियर एडिटर)


फोटो साभार-(यूक्रेन के डिफेंस डिपार्टमैंट के ट्वीटर से)

कीव/मॉस्को। रूस-यूक्रेन जंग अब 11वें महिने में पहुँच गया है,जहां अभी भी सीजफायर की बात बनती नहीं दीख रही है। इस बीच जंग से जुड़ी बेहद खतरनाक और चौंकाने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके सामने आते हीं पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। दरअसल, फ्रंट पर मौजूद यूक्रेन के कई सैनिकों में एक अजीब तरह के वायरस की मौजूदगी का खुलासा हुआ है, दावा है कि इस अजीबोगरीब वायरस से प्रभावित सैनिकों पर इलाज के दौरान सामान्य दवाओं का कोई असर नहीं हो रहा है। वहीं,इस रिपोर्ट पर कीव से लेकर क्रेमलिन तक चुप्पी साधी गई है, इतना ही नहीं अमेरिका सहित नाटों देशों की तरफ से भी इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

दरअसल,इस खुलासे के ठीक दो दिन पहले हीं अमेरिका का डिफेंस हेडक्वार्टर्स “पेंटागन” ने जंग में बायोवेपन के इस्तेमाल किये जाने को लेकर रूस और चीन को चेतावनी दिया था। जहां इस चेतावनी के ठीक दो दिन बाद हीं यूक्रेन के सैनिकों में इस रहस्यमय वायरस की पहचान की गई है। बताया जा रहा है कि इस वायरस से प्रभावित यूक्रेनी सैनिकों पर सामान्य या परंपरागत ईलाज में इस्तेमाल होने वाली औषधियों का कोई असर नहीं हो रहा है। यहीं कारण है कि इन सैनिकों का जर्मनी में स्थित अमेरिकी एअर फोर्स के एक सैन्य अस्पताल में ईलाज चल रहा है।

हालांकि,अभी तक प्रभावित सैनिकों की संख्या या मौत जैसी संबंधी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। वहीं इस वायरस के खुलासे के बाद अभी तक रूस की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इतना ही नहीं यूक्रेन भी चुप्पी साधे हुए हैं। यहां तक कि अमेरिका या नाटों भी इस पर कुछ बोल नहीं रहा है। चूंकि यूक्रेन या नाटों अथवा अमेरिका का इस संबंध में कोई बयान न जारी करने के पीछे यह आशंका जताई जा रही है कि कही बायोवेपन की पुष्टि होने पर यूक्रेन के सैनिक हतोत्साहित न हो जाए और वे जारी युध्द में शामिल होने से पीछे न हट जाये। जबकि क्रेमलिन की चुप्पी को लेकर विशेषज्ञों का यह मानना है कि रूस नही चाहता कि वह इस बायोवेपन के इस्तेमाल को लेकर अपनी और छवि न खराब करें, क्योंकि इससे पहले भी इस जंग में कई तरह की ऐसी घटनाएं सामने आई है कि जिसमें खुद रूस उन घटनाओं में शामिल होने वाले तमाम दावें को खारिज करता रहा है।

फिलहाल, इस ताजे घटनाक्रम में अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि इस रहस्यमय वायरस का इस्तेमाल किसकी तरफ से हुआ है ? और इसे बायोवेपन के रूप में प्रयोग किया गया है ? या किसी खास साजिश के तहत इस जंग को और भी अधिक भढ़काने की नियत से इसका इस्तेमाल किया गया है। क्योंकि फ्रंट पर मौजूद यूक्रेनी सैनिकों में यह वायरस उस जगह पर डिटेक्ट हुआ है जहां कि आधी आबादी रूसी मूल की है। ऐसे में रूसी नागरिकों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। तो ऐसे में यह आशंका और भी अधिक हो जाती है कि रूस अपने नागरिकों पर इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल कभी नहीं कर सकता। फिर भी अभी इस संबंध में कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

गौरतलब है कि सेकेंड वर्ल्ड वाॅर के बाद से हीं दुनिया के कई देशों में बायोवेपन बनाने की एक प्रतिस्पर्धा सी छिड़ गई थी। जिससे यह अनुमान था कि भविष्य में जब भी तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत होगी तो उसमें परमाणुबमों के अलावा इस तरह के बायोवेपन जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। चूंकि ये हथियार रहस्यमय वायरस से युक्त होते हैं जो कि दुश्मन पर इसके प्रयोग से विभिन्न तरह की रहस्यमयी बिमारियां उत्पन्न होती है जिससे दुश्मन जल्दी ही गिर जाता है। आज इस रूस-यूक्रेन जंग में भी इस वेपन के इस्तेमाल करने को लेकर कई बार दावें सामने आते रहें हैं। जहां अब यूक्रेनी सैनिकों में इसकी पहचान की गई है, ऐसे में अब साफ संकेत मिल रहा है कि यह जंग और भी भयावह होगा जो कि पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है।

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