इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट आॅपरेशन मीडिया हाउस का चौंकाने वाला बड़ा खुलासा, पाकिस्तान में जारी भीषण आर्थिक तंगी भारत सहित पूरी दुनिया को गुमराह करने वाली बेहद घातक साजिश – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली। भारतीय मीडिया में इस समय पाकिस्तान की कमरतोड़ महंगाई को खूब जोर-शोर से उठाया जा रहा है। इतना ही नहीं वहां के तमाम लोगों के उन बयानों पर भी खूब चर्चा की जा रही है जिसमें भारत को इस समय बहुत मजबूत बताया जा रहा है। यही कारण है कि देश के करीब सभी वर्ग इसे सौ फीसदी सच मान बैठे हैं। इतना ही नहीं सत्ता पक्ष से जुड़े लोग भी इसे मोदी सरकार का दुश्मन के खिलाफ सबसे सफल सीक्रेट मिशन के रूप में देख रहे हैं,जबकि विपक्ष मानसिकता के लोग इस पर खामोश होकर इस पाकिस्तानी पिक्चर को अपनी मौन सहमति से समर्थन कर रहे हैं। लेकिन हमारी पड़ताल में यह दुश्मन की कोई खतरनाक चाल समझ में आ रही है, ताकि हमारी ऐजेंसियां और सेना दुश्मन की तरफ से निश्चिंत हो जाए।

क्योंकि, हमारी तफ़तीश में कई ऐसे गंभीर सवाल सामने आ रहे है जिसका जवाब ये ढोल पीटने वाले लोगों के पास नहीं है। हां,इसका उत्तर एक प्रोफेशनल जासूस या डिफेंस से जुड़े लोगों के पास जरूर हो सकता है, अफसोस वे इन सवालों के जवाब को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। दरअसल,हमारी नजर में एक तरफ पाकिस्तान की आसमान छूती महंगाई जरूर दीख रही है तो वहीं मुझे अभी तक ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिल रहा है कि जिससे यह साबित हो सकें कि दुश्मन की सारी व्यवस्था चरमरा गई हो यानि साफ शब्दों में यह है कि दुश्मन की केंद्रीय खुफिया ऐजेंसी (ISI) के भारत विरोधी सारे सीक्रेट मिशन पूरी तरह से फेल हो चुके हों, भारत के कश्मीर में ISI का सारा का सारा नेटवर्क आर्थिक संकट के चलते बर्बाद हो गया हो यहां तक कि दुश्मन द्वारा समर्थित सारे आतंकी संगठन इस आर्थिक बदहाली के चलते कश्मीर से पूरी तरह से पलायन कर चुके हो अथवा भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिये हो।

यहां तक कि भारत के पंजाब सेक्टर या कश्मीर के बार्डर पर दुश्मन की तरफ से लगातार आ रहे ड्रोन भी अब पूरी तरह से रूक गए हों। इतना ही नहीं पाकिस्तान में लगातार सक्रिय विद्रोही संगठन “टीटीपी” या बलूच विद्रोहियों के आगे पाक फौज इस आर्थिक संकट के चलते सरेंडर कर चुकी हो। या अफगानिस्तान के बार्डर पर स्थित डूरंड लाईन विवाद को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया हो। यानि कुल मिलाकर पाकिस्तान का पूरा डिफेंस सिस्टम पूरी तरह से पहले जैसा अब भी अपने संसाधनों के साथ पाकिस्तान की सुरक्षा और उसके दुश्मनों के खिलाफ जारी तमाम गतिविधियां अभी भी बदस्तूर जारी है। जिससे प्रथम दृष्टया यह साफ हो जाता है कि पाकिस्तान में जारी भीषण आर्थिक संकट का पाकिस्तान के डिफेंस पर अभी तक बिल्कुल भी असर नहीं पड़ा है। क्योंकि यदि ऐसा होता तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान की सीमा में घुसकर टीटीपी के उपर एअर स्ट्राइक करने का खतरा बिल्कुल भी मोल नहीं लेता। बता दे कि अभी हाल ही में पाकिस्तानी एअर फोर्स ने अफगानिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकानों पर भीषण बमबारी किया था। जिससे अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच भीषण तनातनी बढ़ गई थी।

फिलहाल,हमारा बिंदुवार विश्लेषण तो सीधे तौर पर यह कह रहा है कि पाकिस्तान का डिफेंस सिस्टम अभी भी पूरी ताकत के साथ खड़ा है। अब वहीं दूसरे पहलू पर भी गौर किया जाये कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? यानि पाकिस्तान पूरी दुनिया में खुद को भीषण आर्थिक संकट से पीड़ित देश के तौर पर क्यों प्रदर्शित कर रहा है ? तो इसके कई संभावित उत्तर हो सकते हैं, जैसे उसका दुश्मन उसकी तरफ से पूरी तरह से बेखबर रहे। ताकि पाकिस्तान को कई ऐसे सुनहरे अवसर मिल जाए जिसमें वह अपनी ताकत में लगातार इजाफा करते हुए दुश्मन को चौंका सकें। यहां चौंकाने शब्द के कई अर्थ निकलते है।

मालूम हो कि जब भी कोई देश अपनी ताकत में इजाफा करने के मिशन पर लगातार सक्रिय रहता है तो उस समय दुश्मन की लगातार निगरानी से उसका मिशन पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है, ऐसे में इस तरह के देश दुश्मन को गुमराह करने के लिए कई तरह के छद्म खेल करते हैं ताकि दुश्मन उसके छद्म जाल के झांसें में पड़कर गुमराह हो जाए जिससे उसका सीक्रेट मिशन आसानी से पूरा हो सकें। इसके एक दो नहीं हजारों उदाहरण हैं। इसलिए कुल मिलाकर सीक्रेट आॅपरेशन मीडिया हाउस की पड़ताल में पाकिस्तान का यह आर्थिक संकट पूरी तरह से भारत सहित पूरी दुनिया को गुमराह करने वाला महज छद्म साजिश है जो कि प्रथम दृष्टया साबित भी हो रही है। क्योंकि पाकिस्तान का एक भी सैन्य आॅपरेशन या उसके खुफिया ऐजेंसियों द्वारा संचालित तमाम सीक्रेट मिशन इस आर्थिक बदहाली के चपेट में दिखाई नहीं दे रहा है। और ना ही इसका कोई असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में भारत समेत दुनिया के तमाम देशों को पाकिस्तान के इस तथाकथित संकट को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए बल्कि इस पर और भी गहराई से निगरानी बढ़ा देना चाहिए। जिससे दुश्मन का यह छद्म साजिश का खुलासा हो सकें जिससे संबधित देशों को संभलने का मौका मिल सकें।

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