इंडियन आर्मी के एक्स लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप बराड़, सामने से कोट में,फोटो साभार -(सोशल मीडिया)
अमृतसर। 80 के दशक में पंजाब में देश के सामने खालिस्तान आतंकी संगठन एक गंभीर चुनौती के रूप में उभरा था,तब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इंडियन आर्मी को इस संगठन को नेस्तनाबूद करने के लिए टास्क दिया था। जहां इस टास्क को इंडियन आर्मी आॅपरेशन “ब्लू स्टार” के तहत अंजाम दी, बता दे कि इस आॅपरेशन को आधिकारिक रूप से लीड करने वाले इंडियन आर्मी के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप बराड़ थे जो कि 39 साल बाद इस सैन्य आॅपरेशन को लेकर बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। जनरल बराड़ ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भिंडरावाला को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शह मिली थी और उसे रोकने में देरी की गई।
दरअसल,एक्स लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ ने एक न्यूज एजेंसी को के साथ बातचीत में कहा कि उस समय पंजाब का माहौल बिगड़ रहा था। खालिस्तान की मांग उठने लगी थी।भिंडरावाला का पंजाब में रुतबा बढ़ने लगा था। इतना ही नहीं भिंडरावाला को केंद्र सरकार की पूरी शह भी मिल रही थी। जहां साल भर में भिंडरावाला अर्श तक पहुंच चुके थे और यह सब इंदिरा गांधी के सामने हो रहा था। तभी तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने हमला करने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं, ब्लू स्टार ऑपरेशन के समय उन्हें चुना गया था। उन्हें यह सोच कर चुना गया था कि जनरल कुलदीप एक सैनिक हैं। एक बार भी यह नहीं देखा गया कि वह एक सिख हैं, हिंदू हैं या पारसी हैं।
मालूम हो कि वर्ष 1984 में लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप बराड़ की लीडरशिप में भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था। गोल्डन टेंपल के अंदर छिपे कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारतीय सेना सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक स्वर्ण मंदिर में दाखिल हुई। इस कार्रवाई में सैकड़ों लोग मारे गए। मरने वालों में जरनैल सिंह भिंडरावाला भी था जिसके नेतृत्व में कट्टरपंथी सिखों के लिए एक अलग राज्य खालिस्तान की मांग कर रहे थे। इस सैन्य कार्रवाई में 492 लोगों की जान गई थी। सेना के 4 अफसरों समेत 83 जवान भी शहीद हुए थे। जनरल बराड़ 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के भी हीरो थे। 16 दिसंबर 1971 को ढाका में प्रवेश करने वाले वह पहले भारतीय सैनिकों में से एक थे।
बता दे कि जनरल कुलदीप बराड़ से कट्टरपंथी सिख आज भी नाराज हैं। 30 सितंबर 2012 को लेफ्टिनेंट जनरल बराड़ पर लंदन में उस समय हमला किया गया, जब वो सेंट्रल लंदन में अपनी पत्नी के साथ कहीं जा रहे थे। तभी उनके गले पर चाकू से वार किया गया। इस हमले के लिए बर्मिंघम के मंदीप सिंह संधू, लंदन के दिलबाग सिंह और हरजीत कौर को जिम्मेदार करार दिया गया था। जहां इस मामले में मंदीप सिंह संधू और दिलबाग सिंह को 14 साल की सजा दी गई, जबकि हरजीत कौर को 11 साल की सजा मिली।
मालूम हो कि जरनैल सिंह भिंडरावाला सिखों की धार्मिक संस्था दमदमी टकसाल का लीडर था। उसकी कट्टर विचारधारा के साथ सिख व पंजाब के लोग जुड़ना शुरू हो गए थे। भिंडरावाला ने गोल्डन टेंपल परिसर में बने श्री अकाल तख्त को अपना मुख्यालय बना लिया। भिंडरावाला के बढ़ते कद को देखते हुए इंदिरा गांधी ने 1 जून 1984 के दिन अमृतसर को सेना के हवाले कर दिया। जहां इस दौरान इंडियन आर्मी ने इन कट्टरपंथियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार लांच किया। इस आॅपरेशन की कमान जनरल कुलदीप सिंह बराड़ को सौंपी गई। 5 जून 1984 को शाम 7 बजे सेना ने कार्रवाई शुरू की। टैंक अंदर भेजे गए, जिससे श्री अकाल तख्त को नुकसान हुआ। 6 जून की देर रात सेना को भिंडरावाला की लाश मिली। 7 जून की सुबह ऑपरेशन ब्लू स्टार खत्म कर दिया गया।