ईरान के ड्रोन फैक्टरी पर हमले के वक्त, साभार -(सोशल मीडिया)
तेल अवीव/तेहरान। दुनिया में एक तरफ रूस-यूक्रेन जंग जारी है तो वहीं दूसरी ओर मिडिल-ईस्ट के ईरान में बीते दो दिनों के भीतर हुए दो लगातार हमलों ने तनाव को पहले से कही अधिक बढ़ा दिया है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि ईरान इन हमलों को लेकर कोई बड़ी कार्यवाही कर सकता है। लेकिन ऐसा होता दीख नहीं रहा है। क्योंकि,ईरान इन हमलों के लिए किसी और देश को जिम्मेदार ठहराने का बहाना ढूढता दीख रहा है। यही कारण है कि उसने पहले अजरबैजान के विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, फिर अब यूक्रेन के राजनयिक को तलब किया है। जबकि पूरी दुनिया और हमले से जुड़े सभी साक्ष्य चीख-चीखकर सीधे तौर पर इन हमलों के लिए इजरायल को जिम्मेदार मान रहे हैं।
फिर भी ईरान इसे जानबूझकर नजर अंदाज करने की कोशिश कर रहा है। तेहरान ऐसा क्यों कर रहा है ? इसके पीछे कई वजह हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख कारण यह हो सकता है कि वह इजरायल से सीधे टकराना नहीं चाहता, बताने की जरूरत नहीं है। क्योंकि,ईरान को बखूबी मालूम है कि इजरायल के सामने वह कितना मजबूत है ? इतना ही नहीं इजरायल के साथ अमेरिका खुलकर साथ में खड़ा है। यही नहीं नाटों भी इजरायल के साथ है, ऐसे में इजरायल के साथ टकराने का मतलब खुदकुशी होगी।
बता दे कि इससे पहले भी ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर संबंधित ईरानी वैज्ञानिकों और अन्य ईरानी सेना के सीनियर कमांडर इजरायली खुफिया ऐजेंसी मोसाद के सीक्रेट मिशन में मारे जा चुके हैं। जहां उस समय ईरान सिर्फ धमकियों तक हीं सीमित रहा। ऐसे में अब लगभग साफ हो चुका है कि ईरान इन हमलों को लेकर सिर्फ जांच तक हीं सीमित रहने के साथ इसे जान बूझकर संदिग्ध हमले के तौर पर डायवर्ट करने की कोशिश करेगा,ताकि इज्जत बच सके।
जबकि इजरायली मीडिया इसे इजरायली ऐजेंसी मोसाद का एक सफल सीक्रेट मिशन के रूप में करार कर रही है। यही नहीं अमेरिकी मीडिया में इसे इजरायली हमला बताया जा रहा है। और ईरान का इतिहास रहा भी है कि जब भी इजरायल की तरफ से इस तरह के हमलों को अंजाम दिया जाता है तो वह सिर्फ धमकियों तक हीं सीमित रहा है। या उसे संदिग्ध मानकर जांच के नाम पर इस मामले को खुद दबाने की कोशिश में रहता है।
दरअसल, कई दशकों से ईरान मिडिल-ईस्ट के कई देशों में विभिन्न आतंकी संगठनों को घातक हथियारों की सप्लाई देने के लिए जाना जाता रहा है। जिनमें कुछ ऐसे संगठन है जो कि इजरायल में हमले करते रहे हैं। ऐसे में जब भी इजरायली ऐजेंसियों को इनपुट मिलता है, बिना देर किये तेल अवीव इस तरह के हमलों से बिल्कुल भी नहीं चूकता। बता दे कि इजरायल अक्सर ईरानी सप्लाई और उत्पादन को ज्यादा टारगेट करता है।
उल्लेखनीय है कि बीते गुरुवार को ईरान की राजधानी तेहरान में स्थित अजरबैजान के दूतावास पर हमला होता है, जिसमें सिक्योरिटी चीफ की मौत हो जाती है। जहां इस हमले के दूसरे दिन यानि शनिवार की आधी रात में ईरान के कई शहरों में बेहद खतरनाक ड्रोन अटैक होता है, जिसमें ईरानी ड्रोन तैयार करने वाली इसफान फैक्टरी पर भी हमला किया जाता है। हालांकि, इस हमले में नुकसान की पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है। इतना ही नहीं इस ड्रोन हमलों को ईरान नाकाम करने का दावा भी करता है। वही इस हमले के बाद ईरान, अजरबैजान से संपर्क करता तथा अब यूक्रेन के राजनयिक को भी तलब किया है। जहां यह सब चल ही रहा था कि इसी बीच 24 घंटे के भीतर दूसरी बार सीरिया-ईराक बार्डर पर ईरानी ट्रकों को निशाना बनाया जाता है। इतना ही नहीं इन हमलों को लेकर पूरी दुनिया साफ तौर पर इजरायल को जिम्मेदार मान रही है, हालांकि, इजरायल का इतिहास रहा है कि जब वह इस तरह के मिशन को अंजाम देता है तो खामोश हो जाता है। जहां उसकी खामोशी को हीं मौन सहमति मान लिया जाता है। ऐसे में ईरान द्वारा जान बूझकर इजरायल को नजर अंदाज करना, साफ संकेत देता है कि ईरान इसका कोई काउंटर डिफेंस नहीं करेगा।