इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

अमेरिका में उड़ रहे चीन के जासूसी गुब्बारों के रिपोर्ट के बीच भारत कनेक्शन भी आया सामने, हाल ही में भारत के कई हिस्सों में भी इसी तरह के डिटेक्ट हुए थे संदिग्ध गुब्बारे, मचा हड़कंप – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


अमेरिकी फाइटेर जेट की फ्लीट,फाईल फोटो,साभार-(यूस एअर फोर्स के ट्वीटर से)

वाशिंग्टन/नई दिल्ली। चीन का जासूसी गुब्बारा इस समय अमेरिका के आसमान में उड़ रहा है। और यह इतना खतरनाक है कि अमेरिका की ताकतवर फौज भी इसको मार नहीं पा रही। डर है कि कहीं इस गुब्बारे में बायो वेपन हो सकता है। जो पल भर में तबाही भी मचा सकता है। इसीलिए इसकी लगातार निगरानी करने के लिए पेंटागन फाइटेर एअरक्राफ्ट और सेटेलाईट की मदद ले रहा है।

चीन का यह जासूसी गुब्बारा पहले अमेरिका के मोंटाना और अब लैटिन अमेरिका में लगातार उड़ान भर रहा है। पेंटागन की रिपोर्ट के बाद यूएस फाइटर जेट तुरंत अलर्ट कर दिए गए। बस तैयारी थी कि इसको तुरंत गिरा दिया जाएगा। मगर रोक दिया गया,और इसकी खबर राष्ट्रपति बाइडेन को दी गई। उन्होंने तुरंत डिफेंस स्पेशलिस्ट से विचार विमर्श किया और अमेरिकी एयरफोर्स को इसे हिट करने से रोक दिया। दरअसल,इसे नष्ट करने से अमेरिका इसलिए हिचक रहा है कि इस बलून के अंदर क्या है ? किसी को नहीं पता ? बता दे कि ये धरती से 35000 फिट की ऊंचाई में उड़ रहा है। आमतौर पर इतनी ऊंचाई में फाइटर जेट्स के अलावा कोई और विमान नहीं उड़ते। अगर इसको फोड़ा गया तो हो सकता है नीचे रहने वाली आबादी को नुकसान हो जाए। क्योंकि किसी को आइडिया नहीं है कि इसमें क्या है ?

इस बीच कुछ अन्य रिपोर्ट्स के हवाले से यह दावा किया जा रहा है कि हाल ही में इसी तरह के गुब्बारे भारत के पोर्ट ब्लेयर में डिटेक्ट किये गये थे। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई थी। लेकिन माना जा रहा था कि वो भी चीन का ही जासूसी गुब्बारा था। वहीं,पेंटागन रिपोर्ट के बाद अमेरिका का दावा है कि यह चीन का ही स्पाई बैलून है। यह काफी हाइट पर उड़ रहा है और ये सूचना एकत्रित करने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में मंडरा रहा है। इस बीच यह भी खुलासा हुआ है कि मोंटाना के जिस लोकेशन पर यह बैलून डिटेक्ट हुआ है,वहां अमेरिका के तीन न्यूक्लियर लॉन्चिंग पैड है।

वहीं, अब यह रिपोर्ट सामने आ रही है कि अमेरिका में जबसे चीन का जासूसी गुब्बारा डिटेक्ट हुआ है,उसके बाद से ही दुनिया के वें सभी चीन विरोधी देश अब अपने यहां पूर्व में इस तरह के संदिग्ध गुब्बारों के उड़ानों की गोपनीय जांच शुरू कर दिये है, इस जांच में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि ऐसे संदिग्ध गुब्बारे जिस-जिस लोकेशन पर उड़े है क्या वहां डिफेंस से जुड़ी कोई बेस या कोई संवेदनशील इलाका रहा है ? क्योंकि, इन जासूसी गुब्बारों को लेकर अमेरिकी ऐजेंसियां जिस तरह से लगातार हरकत में है, इससे चीन विरोधी देशों में हड़कंप मचना स्वभाविक है। हालांकि, चीन इस घटनाक्रम पर बार-बार सफाई दे रहा है कि यह जासूसी गुब्बारा नहीं है,यह मौसम के अध्ययन के लिए उड़ाया गया है। लेकिन अमेरिकी ऐजेंसियां चीन के इस दलील से कतई सहमत नहीं दिख रही, उल्टा वें चीन के प्रति पहले से कही अधिक आक्रामक हो गई है।

बताया जा रहा है कि ये बलून बेहद हल्के होते हैं। इनके अंदर हीलियम गैस भरी होती है। इसमें अत्याधुनिक कैमरे लगे होते हैं। साथ ही कुछ अन्य जासूसी उपकरण भी। इन्हें जमीन से लॉन्च किया जा सकता है और हवा में ऊपर भेजा जाता है। जहां ये 60,000 फीट (18,000 मीटर) और 150,000 फीट (45,000 मीटर) के बीच की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं। एक बार हवा में पहुंचने के बाद काफी हद तक हवा के ऊपर डिपेंड होते हैं। इसके एयर पॉकेट्स स्टीयरिंग के रूप में कार्य कर सकते हैं।

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