एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

चीन के जासूसी गुब्बारे को एक स्पेशल ऑपरेशन के दौरान अमेरिकी लड़ाकूं विमानों ने किया ढेर, बाइडेन ने पायलट को दी बधाई, बौखलाया चीन – राकेश पांडेय (स्पेशल एडिटर)


चीन के जासूसी गुब्बारे को ढेर करते समय,फोटो साभार -(अमेरिका के नेवल इंस्टीयूट के ट्वीटर से)

बीजिंग/वॉशिंगटन। पिछले कई दिनों से पेंटागन का सिरदर्द बने चीन के जासूसी गुब्बारे को आखिर काफी मशक्कत के बाद अटलांटिक महासागर के ऊपर मार गिराया गया। इस गुब्बारे को अमेरिकी वायु सेना के एफ-22 रैप्टर विमान ने AIM-9X SIDEWINDER मिसाइल से मारा गया है। बता दे कि इस आॅपरेशन को अंजाम देने के लिए लड़ाकूं विमान ने वर्जीनिया के लैंगली एयर फोर्स बेस से उड़ान भरी थी। वहीं इस आॅपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि वह मिशन में शामिल पायलट को बधाई देना चाहते हैं। हालांकि, चीन ने अमेरिकी मिलिट्री एक्शन पर गुस्से का इजहार करते हुए कहा है कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। चीन ने पहले भी दावा किया था कि यह एक मौसम की जानकारी जुटाने वाला गुब्बारा है, जो रास्ता भटककर अमेरिका पहुंच गया था।

दरअसल,पिछले कुछ दिनों से अमेरिका के मोंटाना शहर के उपर एक चीनी गुब्बारा देखा गया, जिसे शुरूआत में तो नजरअंदाज किया गया,लेकिन जब यह गुब्बारा वहां मौजूद एक एअर फोर्स स्टेशन के उपर लगातार मंडराने लगा तो अमेरिकी ऐजेंसियां हरकत में आ गई। चूंकि इस बेस में अमेरिका भारी संख्या में परमाणु मिसाइलों को रखा हुआ है। जहां इस गुब्बारे की कई ऐंगल से जांच की गई। जिसके बाद इसे चीन का जासूसी गुब्बारा करार दिया गया और इसकी रिपोर्ट फौरन अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमैंट “पेंटागन” को देने के साथ इस पर सेटेलाईट और फाइटेर एअरक्राफ्ट की मदद से लगातार नजर रखा जाने लगा।

जहां इसी बीच अमेरिका के लैटिन में भी ठीक इसी तरह का एक और गुब्बारा देखा गया, फिर क्या था। पेंटागन में हड़कंप मच गया। क्योंकि, रूस-यूक्रेन जंग के साथ-साथ चीन-ताइवान के साथ भी तनाव अपने चरम पर है। ऐसे में रूस,चीन,उत्तर कोरिया और ईरान के साथ जारी भीषण तनातनी के बीच इस तरह का जासूसी गुब्बारा अमेरिका में दहशत मचा दिया। चूंकि, इसे मार गिराने में इसलिए जल्दबाजी नहीं की गई क्योंकि डर इस बात का था कि कहीं इसके भीतर कोई बायो वेपन तो नहीं है जो जमीन पर बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।

यही कारण था कि इस पर करीब से निगरानी करते हुए इसे समुंदर या पहाड़ के उपर पहुंचने का इंतजार किया गया। ताकि इसे नष्ट करने के बाद इसके मलबे से आम लोगों को कोई नुकसान ना हो। जहां अब इसे अटलांटिक महासागर के उपर एक स्पेशल ऑपरेशन के दौरान मार गिराने का दावा किया जा रहा है। और इसके मलबे को भी सुरक्षित रूप से रिकवर कर लिया गया है। जहां इस पर जांच भी शुरू कर दिया गया है। बता दे कि इस दौरान चीन और अमेरिका के बीच तनातनी पहले से कही अधिक बढ़ गई है।

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