ईरानी सैन्य हैलीकॉप्टर,फाईल फोटो,साभार -(ईरानी डिफेंस के ट्वीटर से)
वॉशिंगटन/दमिश्क। रुस-यूक्रेन जंग के बीच अचानक सीरिया में 23 मार्च को ईरान द्वारा अमेरिका के सैन्य ठिकाने पर भीषण बीच एयरस्ट्राइक किये जाने की रिपोर्ट सामने आई है। जहां अमेरिकी फोर्स ने भी ईरान समर्थित गुटों पर काउंटर अटैक किया है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का बयान सामने आया है। जहां बाइडेन के कहा हम पीछे नहीं हटने वाले हैं। हम अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेंगे।
दरअसल, गुरुवार को सीरिया में ईरान समर्थित ग्रुप ने अमेरिकी बेस पर हमला किया था। इसमें एक अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर की मौत हो गई वहीं 6 सैनिक घायल हुए। जहां अमेरिका की तरफ से दावा किया गया है कि इस हमले में ईरानी ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया था। वहीं इस हमले के जवाब में अमेरिका ने भी अपने F-15 फाइटर जेट्स से ईरानी बेस पर एयरस्ट्राइक की। इस दौरान अमेरिका के इस हमले में 11 ईरानी सैनिकों की मौत हुई है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक, ईरान ने दोबारा 10 मिसाइल से अटैक किया। इसमें 2 महिलाओं और बच्चों को मामूली चोट पहुंची।
दावा किया जा रहा है कि शुक्रवार को यानि एक दिन पहले ही एक बार फिर 2 अमेरिकी बेस पर हमले किए गए। इसमें 3 ड्रोन और 5 रॉकेट का इस्तेमाल हुआ था। जहां अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि उनकी सेना ने 3 में से 2 ड्रोन को मार गिराया, लेकिन एक उनके बेस तक पहुंच गया। इस हमले में एक सैनिक घायल हुआ जिसकी हालत स्थिर है। वहीं कनाडा के दौरे पर पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हम ईरान से कोई दुश्मनी नहीं चाहते हैं, लेकिन अगर हमारे नागरिकों पर हमला हुआ तो हम पीछे नहीं हटेंगे। हम उनकी रक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेंगे। इस बीच सीरिया में मौजूद ईरानी समर्थित ग्रुप ने भी कहा है कि हमारे हाथ बहुत लंबे हैं और हम अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने की ताकत रखते हैं।
बता दे कि हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मॉस्को दौरे पर थे, इसके बाद हीं ईरान की तरफ से सीरिया में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर इन हमलों को अंजाम दिया गया है,जिससे तनाव चरम पर है। फिलहाल,ईरान का सबसे कट्टर दुश्मन इजरायल इस घटनाक्रम पर अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं कुछ विशेषज्ञों द्वारा इस हमले का कनेक्शन शी जिनपिंग के मॉस्को दौरे से जोड़कर देखा जा रहा हैं। क्योंकि,माना जा रहा है कि पुतिन के ईशारे के बाद ही मिडिल-ईस्ट में जंग का दूसरा फ्रंट खोला गया है। इस घटनाक्रम से अब साफ हो चुका है कि अमेरिका और नाटों के अन्य देशों को दूसरे जंगी फ्रंट पर उलझाने के लिए रूस और चीन एक साथ हो गए हैं। यदि यह संभावना सही साबित होती है तो दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के साथ बेहद भयानक त्रासदी का गवाह बन जायेगी।