ताइवान के पूर्व राष्ट्रपति मा यिंग,साभार -(सोशल मीडिया)
बीजिंग/ताइपे। चीन के साथ जारी भीषण जंगी तनातनी के बीच ताइपे प्रोटोकॉल के विरूद्ध ताइवान के पूर्व राष्ट्रपति मा यिंग जेउ पहली बार चीन पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले लोग मूल रूप से चीनी हैं और एक ही पूर्वज के वंशज हैं। उनके इस बयान की ताइवान की सत्तारूढ़ पार्टी ने आलोचना की है। बता दे कि मा यिन जेउ 2008 से 2016 तक ताइवान के राष्ट्रपति रहे हैं और वह चीन का दौरा करने वाले पहले पूर्व ताइवानी राष्ट्रपति भी हैं। ताइवान के किसी भी वर्तमान राष्ट्रपति ने अभी तक चीन का दौरा नहीं किया है।
वहीं,मा यिंग जेउ के चीन विजिट को लेकर ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने सवाल किया है कि चीन ने हाल में ही ताइवान के एक राजनयिक सहयोगी होंगुरास पर दबाव बढ़ाकर संबंधों को खत्म करवा दिया था। ऐसे में मा यिंग चीन क्यों जा रहे हैं ? वर्तमान में ताइवान का सिर्फ 13 देशों के साथ राजनयिक संबंध है। मा यिंग सन यात-सेन की समाधि वाले शहर नानजिंग पहुंचे थे। सन यात-सेन को 1911 में अंतिम चीनी सम्राट को उखाड़ फेंकने और गणतंत्र की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है। ताइवान के पूर्व राष्ट्रपति मा ने सन यात-सेन की खूब तारीफ की।
इस बीच मा यिंग जेउ के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने नानजिंग यात्रा के दौरान कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों के लोग चीनी लोग हैं। दोनों यान और यलो इंपरर्स के वंशज हैं। मा ने अपनी राष्ट्रीयता का जिक्र करने के बजाय चीनी जातीयता के लोगों का जिक्र किया। यान और यलो इंपरर्स के वंशज चीनी लोगों के साथ एक साझा पूर्वज की बात करना चीन का समर्थन माना जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त से ही ताइवान और चीन के बीच जारी भीषण जंगी तनातनी अभी तक बरकरार है। जहां इस दौरान आये दिन चीन ताइपे को धमकाता रहा है। इतना ही नहीं अमेरिका द्वारा ताइवान की सैन्य मदद पहुंचाने पर भी चीन कई बार आपत्ति जता चुका है। फिलहाल,ताइवान के पूर्व राष्ट्रपति का इस तरह से दुश्मन के यहां पहुंचना और दुश्मन के हितों को ध्यान में रखकर आधिकारिक बयान जारी करना निश्चित रूप से ताइपे सहित अमेरिका व अन्य सहयोगी देशों की चिंताएं बढ़ा सकती है।