सांकेतिक तस्वीर।
बीजिंग/नई दिल्ली। रुस-यूक्रेन जंग के बीच हाल ही में दुश्मन का एक जासूसी जहाज भारत की जलीय सीमा के बिलकुल नजदीक डिटेक्ट हुआ है। रिपोर्ट है कि “यांग शि यू-760” नाम का यह जासूसी जहाज बंगाल की खाड़ी में गश्त कर रहा है। चीन का यह जासूसी जहाज वर्तमान में पारादीप के तट से 300 किलोमीटर उत्तर पूर्व में मौजूद है। अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में होने के कारण इस जहाज के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है। चीन इस जासूसी जहाज के जरिए बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में गहराई और लवणता जैसे डेटा को इकट्ठा कर रहा है। जहां इस डेटा को भविष्य में बंगाल की खाड़ी में चीनी पनडुब्बी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
बता दे कि चीन का यह जासूसी जहाज है अत्याधुनिक तकनीकी संसाधनों से लैस है। इसे 2015 में टियांजिन में बनाया गया था। इसका वजन 2000 टन है। चीनी नौसेना ऐसे जहाजों को नियमित तौर पर हिंद महासागर में भेजती है। इनका मकसद समुद्री गहराई, लवणता जैसे डेटा को इकट्ठा करना और समुद्र के नीचे का 3डी नक्शा बनाना है। वर्तमान में हिंद महासागर के इलाके में चीनी नौसेना के ऐसे ही दो अन्य जासूसी जहाज भी गश्त कर रहे हैं।
सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि यांग शि यू 760 ने 22 मार्च की रात को मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश किया है। इस जहाज को जनवरी से मई 2023 तक बांग्लादेश के स्पेशल इकॉनमिक जोन में तेल और गैस की खोज करने के लिए बांग्लादेश ने अनुबंधित किया गया है। मालूम हो कि कुछ महीने पहले ही भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा विवाद को सुलझाया गया था। इसके बाद से ही बांग्लादेश चीन की मदद से बंगाल की खाड़ी में तेल और गैस के ब्लॉक की खोज कर रहा है।
वहीं,भारतीय नौसेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस चीनी जासूसी जहाज ने भारतीय स्पेशल इकॉनमिक जोन में प्रवेश नहीं किया है और ना ही किसी अनुसंधान गतिविधि को अंजाम दिया है। फिलहाल,भारतीय नौसेना इस चीनी जासूसी जहाज की गतिविधियों पर करीबी नजर बनाए हुए है। हालांकि,चीन के जासूसी जहाज से भारत के कोलकाता और हल्दिया बंदरगाह से होने वाले समुद्री व्यापार को खतरा होने की संभावना है। चीन इस इलाके का डेटा इकट्ठा कर अपनी पनडुब्बियों को गश्त के लिए भेज सकता है। पानी के नीचे पनडुब्बियों को डिटेक्ट करना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में भारत की चिंता बढ़ सकती है।
गौरतलब है कि इससे पहले पिछले अगस्त में इसी तरह का चीन का एक और जासूस जहाज चर्चा में आया था जो कि श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर रूकने वाला था। जिसे लेकर नई दिल्ली से लेकर पेंटागन तक बवाल मचा हुआ था। जहां शुरूआत में तो कोलंबो ने भारत को निश्चिंत किया मगर बाद में अपने वादा से पलट गया था। जिसे लेकर नई दिल्ली और कोलंबो के बीच थोड़ा तनाव बढ़ गया था। दरअसल,उस समय चीन अपने उस जासूसी जहाज युआन-5 को हिंदमहासागर में एक सीक्रेट मिशन पर भेजने वाला था, चूंकि उस समय भारत के उड़ीसा में मिसाइल टेस्ट होने वाला था जिसे लेकर भारतीय नौसेना ने समुद्र में अलर्ट जारी कर रखा था। ऐसे में भारतीय ऐजेंसियों द्वारा यह आशंका जताई गई थी कि युआन-5 के जरिये दुश्मन भारतीय मिसाइल टेस्ट के डाटा को इंटरसेप्ट कर सकता है। यही कारण था कि भारतीय ऐजेंसियों ने दुश्मन के उस जहाज को हिंदमहासागर में उतरने नहीं दिया था।