इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

सीक्रेट आॅपरेशन समूह का बड़ा दावा, चीन नहीं करेगा ताइवान पर हमला – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


ताइवानी फोर्स की टैंकों की फ्लीट,फोटो साभार -(ताइवान के MOD से)

ताइपे/नई दिल्ली। ताइवान को लेकर इस समय चीन और अमेरिका आमने-सामने है। इस बीच दुनिया भर में तमाम रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि चीन किसी भी वक्त ताइवान पर हमला कर सकता है। बता दे कि इस भीषण जंगी तनातनी में अमेरिका और ताइवान भी खुद स्वीकार कर चुके हैं कि इस समय चीन जंग की पूरी तैयारी कर चुका है। क्योंकि,चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के ईस्टर्न थिएटर कमांड द्वारा ताइवान द्वीप के चारों ओर कई तरह के लड़ाकूं विमानों और युद्धपोतों के बेड़े के साथ गश्त और सैन्य अभ्यास शुरू किया गया है। लेकिन सीक्रेट आॅपरेशन न्यूज पोर्टल समूह इस तनाव से जुड़े तमाम तथ्यों एवं अन्य सभी संबंधित रिपोर्ट्स के हवाले से यह दावा करता है कि जब तक अमेरिका पूरी ताकत के साथ ताइवान के साथ खड़ा है चीन उस पर कभी नहीं हमला करेगा।


ताइवानी सैनिक,एक रॉकेट लांचिंग सिस्टम के साथ फोटो साभार-(ताइवानी MOD से)

दरअसल,शीतयुध्द के दौर से ही अब तक कई बार ऐसा माहौल बना कि जिससे पूरी दुनिया को लगने लगता था कि चीन किसी भी वक्त ताइवान पर हमला कर देगा। लेकिन ऐसा आज तक कभी हुआ नहीं। बता दे कि अक्सर कई बार ऐसा देखा गया है कि जब ताइवान के साथ चीन का तनाव चरम पर होता है तो वह ताइवान को धमकी देने के साथ-साथ अमेरिका को भी खुली चुनौती देता रहा है। जहां अब तक चीन सिर्फ कोरी धमकियों तक हीं सीमित रहा है। चीन सिर्फ एक ही परिस्थिति में ताइवान या अपने अन्य किसी दुश्मन पर हमला कर सकता है वो भी तब,जब अमेरिका रूस के साथ बेहद गंभीर रूप से उलझेगा।

चूंकि,अभी हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मॉस्को के दौरे से लौटे है,ऐसे में कयास लगना स्वभाविक है कि चीन इस बार ताइवान को लेकर बहुत गंभीर है। लेकिन शीतयुद्ध के दौर में वर्ष 1962 के इतिहास का भी विश्लेषण करना चाहिए,जिसमें जब क्यूबा संकट के दौरान अमेरिका और रूस आमने-सामने आ गए थे,जहां इसे सुनहरे अवसर के रूप में लाभ उठाने की नियत से बीजिंग ने भारत पर हमला कर दिया था। क्योंकि,चीन जानता था कि दुनिया की दो महाशक्तियां (अमेरिका और रूस) इस समय क्यूबा में उलझे हुए हैं और उन दोनों में से कोई भी भारत की मदद नहीं कर सकता,और यहीं हुआ भी। लेकिन अमेरिका पूरी ताकत के साथ भारत की मदद में सामने आ गया,जहां चीन की हालत पतली हो गई और वह सीजफायर का ऐलान कर दिया।

बता दे कि जब भी चीन ताइपे के खिलाफ आक्रामक होता है तो बिना देर किये अमेरिका ताइवान की मदद में सामने आ जाता है,यही कारण है कि चीन अभी तक हमला नहीं किया। अब चीन इंतजार कर रहा है उस वक्त का जब अमेरिका रूस के साथ सीधे उलझे। फिलहाल,अमेरिका अभी तक रूस के साथ सीधे उलझने से बचता रहा है। ऐसे में सीक्रेट आॅपरेशन मीडिया हाउस तमाम ऐतिहासिक तथ्यों व अन्य संबंधित रिपोर्ट्स के आधार पर पूरी जिम्मेदारी के साथ दावा करता है कि चीन तब तक ताइवान पर या अन्य किसी दुश्मन देश पर हमला नहीं करेगा जब तक कि अमेरिका,रूस के साथ सीधे उलझता नहीं है।

उल्लेखनीय है कि ताइवान को लेकर इस समय तनाव चरम पर है,जहां इस बीच चीनी सेना PLA के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने एक बयान में बड़ा दावा करते हुए कहा है कि “हमारे लड़ाकूं विमानों ने ताइवान के सेलेक्टेड टारगेट्स पर गोला-बारूद से हमला किया है। इस मिलिट्री एक्सरसाइज में शेनडोंग युद्धपोत भी शामिल है”। वहीं,ताइवान की सेना ने भी चीन की ओर अपना एयर डिफेंस सिस्‍टम और लड़ाकूं विमानों को तैनात किया है। ताइवान को कई अत्‍याधुनिक सैन्‍य-साजो-सामान अमेरिका से मिले हैं। उसके पास अमेरिकी हेलिकॉप्‍टर, क्रूज मिसाइलें और अमेरिकी कंपनियों द्वारा तैयार किए गए विमान हैं। इतना ही नहीं ताइवान के पास अमेरिकन किलर मिसाइलें भी हैं,जो कि चीनी सेना के संभावित हमलों का जवाब देने के लिए तैनात की गई हैं। ऐसे में यदि चीनी सेना ताइवान पर हमला करेगी तो वे मिसाइलें चीनी सेना पर कहर बनकर बरसेंगी।

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