यूक्रेनी सैनिक,फोटो साभार-(यूक्रेन के डिफेंस मिनिस्ट्री से)
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मॉस्को और नई दिल्ली के बीच बरकरार नजदिकियों पर अमेरिकी ऐजेंसियों द्वारा लगातार नजर रखने की रिपोर्ट सामने आई है। क्योंकि, अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने लीक हुए अमेरिका खुफिया दस्तावेजों के हवाले से हड़कंप मचाने वाला बड़ा खुलासा किया है,जिससे साफ जाहिर होता है कि अमेरिका दोस्त बनकर भारत में जासूसी की गतिविधियों को लगातार अंजाम दे रहा है।
दरअसल,वॉशिंगटन पोस्ट ने पेंटागन के लीक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस साल 22 फरवरी को रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलय पत्रुशेव से मास्को में मुलाकात के दौरान कहा था कि भारत बहुपक्षीय मंचों पर रूस का समर्थन करेगा। अमेरिका के लीक हुए इस खुफिया दस्तावेज के आधार पर अखबार ने यह भी दावा किया है। इन लीक हुए दस्तावेजों में कथित रूप से डोभाल अपने रूसी समकक्ष से कहते हैं कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि यूक्रेन युद्ध का मुद्दा आगामी जी-20 बैठक में न उठे।
बता दे कि भारत इस समय जी-20 का अध्यक्ष है और कुछ महीने बाद ही इस वैश्विक समूह के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक नई दिल्ली में होने वाली है। इस बैठक में बाइडेन, पुतिन और जी-20 के अन्य राष्ट्राध्यक्षों के आने की उम्मीद है। जबकि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहते हैं कि इस बैठक में उन्हें वर्चुअल तरीके से हिस्सा लेने की अनुमति दी जाए। यूक्रेन की मंत्री ने भी हाल ही में भारत यात्रा के दौरान इसका अनुरोध किया था। हालांकि,यूक्रेन के इस अनुरोध पर अभी भारत ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया है।
इतना ही नहीं इस लीक दस्तावेज में आगे भी कहा गया है कि डोभाल ने रूसी समकक्ष से कहा है कि यूक्रेन मुद्दे को लेकर भारत काफी दबाव है लेकिन वह इसे जी-20 सम्मेलन में आने नहीं देंगे। इसमें डोभाल के हवाले से कहा गया है कि भारत यूक्रेन मामले में अपने पहले ली गई स्थिति से पीछे नहीं हटेगा। यही नहीं यूक्रेन को लेकर संयुक्त राष्ट्र में आए पश्चिमी देशों के प्रस्ताव को समर्थन देने के दबाव के आगे नहीं झुकेगा। मालूम हो कि यह लीक हुआ दस्तावेज अमेरिका के खुफिया दस्तावेजों का हिस्सा है। यह दस्तावेज मैसेजिंग ऐप डिस्कॉर्ड पर लीक हुआ है।
वहीं,इस रिपोर्ट्स के सामने आने के बाद भारत और रूस की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, जबसे रूस-यूक्रेन जंग छिड़ा हुआ है उसके बाद से ही अमेरिका और नाटों देशों के अलावा रूसी तथा चीनी ऐजेंसियां भी लगातार पूरी दुनिया में सक्रिय है। जिसमें इन तमाम ऐजेंसियों के रडार पर भारत भी है। ऐसे में यह कोई बड़ी बात नहीं है,लेकिन फिर भी डिप्लोमैटिक रिलेशन प्रभावित करने में यह हरकत बहुत प्रभावी हो सकता है।