इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

अपनी दगाबाजियों के लिए पहले से ही पूरी दुनिया में बदनाम चीन का एक और कारनामा आया सामने, दोस्ती के आड़ में रुसी हाइपरसोनिक मिसाइलों का चुराया सीक्रेट टेक्नीक – चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)


रूसी युद्धपोत,एक ड्रिल के दौरान,फोटो साभार-(रूस के MOD से)

बीजिंग/मॉस्को। पूरी दुनिया में अपनी दगाबाजियों के लिए मशहूर चीन ने पूरी दुनिया को एक बार फिर अपने धोखेबाजी वाली फितरत से परिचय कराया है। दरअसल,दोस्ती की आड़ में चीन ने रूस को अब तक का सबसे बड़ा धोखा दिया है। दावा है कि रूस ने हाल में ही हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक के जानकार दो रूसी वैज्ञानिकों को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया है। इन दोनों में से एक वैज्ञानिक रूस की टॉप साइंस इंस्टीट्यूट का डायरेक्टर है। इस वैज्ञानिक पर चीन को हाइपरसोनिक मिसाइल की गुप्त तकनीक को बेचने का आरोप लगा है।

सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि साइबेरिया के क्रिस्टियानोविच इंस्टीट्यूट ऑफ थ्योरेटिकल एंड एप्लाइड मैकेनिक्स (ITAM) के प्रमुख अलेक्जेंडर शिपलुक पर 2017 में चीन में एक वैज्ञानिक सम्मेलन में क्लासिफाइड सामग्री सौंपने का संदेह है। वहीं,अलेक्जेंडर शिपलुक ने खुद को बेगुनाह होने का दावा किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी क्लासिफाइड इंफॉर्मेशन चीन को साझा नहीं की गई है। यह पहले से ही स्वतंत्र रूप से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। कुछ रूसी वैज्ञानिकों ने भी अलेक्जेंडर शिपलुक का समर्थन किया है और कहा है कि वे इस तथ्य से आश्वस्त हैं कि जानकारी गुप्त नहीं थी।

बता दे कि ITAM के डायरेक्टर को पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ आरोपों की प्रकृति की रिपोर्ट पहले नहीं दी गई थी। अलेक्जेंडर शिपलुक का चीनी कनेक्शन ने इस मामले को हाई प्रोफाइल बना दिया है। ITAM विशेषज्ञों पर लगे आरोपों के साथ-साथ चीन से जुड़े जासूसी के मामले में पूछे जाने पर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि देश की सुरक्षा एजेंसियां मातृभूमि के साथ विश्वासघात से संबंधित मामलों पर नजर रख रही हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण काम है। यह लगातार चल रहा है और यहां कि भी तरह की रुझानों के बारे में बात करना शायद ही संभव हो।

इस बीच चीनी विदेश मंत्रालय ने रूसी वैज्ञानिकों से क्लासिफाइड रिसर्च पाने का खंडन किया है। चीन ने कहा कि यह झूठे और मनगढ़ंत आरोप हैं, जिसका लक्ष्य रूस-चीन संबंधों को कमजोर करना है। चीन ने पश्चिमी देशों को शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर निकलने का आग्रह किया। चीन ने पश्चिमी देशों पर रूस के साथ संबंधों को लेकर अफवाह फैलाने का भी आरोप लगाया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश सैन्य और नागरिक स्तर पर काफी मजबूती से जुड़े हुए हैं।

बता दे कि रूस की किंझल हाइपरसोनिक मिसाइले जो कि ध्वनि की गति से 10 गुना तेज उड़ान भरने में सक्षम है। इतना ही रूस की इन हाइपरसोनिक मिसाइलों को दुनिया की कोई भी एयर डिफेंस नहीं गिरा सकती है। हालांकि,इसी महीने यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने रूस की छह किंझल हाइपरसोनिक मिसाइलों को अमेरिकी पेट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से मार गिराया है। लेकिन यूक्रेन के इन दावों को क्रेमलिन ने कभी मान्यता दिया नही है। फिलहाल, अपनी दगाबाजियों के लिए चीन पहले भी पूरी दुनिया में बदनाम होता रहा है। यानि,आज तक चीन ने दुनिया के किसी भी देश के साथ जब भी दोस्ती किया,उन देशों को हमेशा से ही चीन की तरफ से धोखा हीं मिला है। जो कि चीन के लिए यह कोई नयी बात नहीं है। अब ऐसे में क्रेमलिन चीन के उपर आगे कितना भरोसा कर सकता है ? यह अभी साफ नहीं हो सका है।

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