एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

मुंबई हमलें के जिस गुनहगार को पाकिस्तान मृतक घोषित कर रखा था अब उसी की गिरफ्तारी का किया बड़ा दावा, इसे भारत की बड़ी डिप्लोमैटिक जीत के रूप में देखा जा रहा – अमरनाथ यादव/बृजेश उपाध्याय


फाईल फोटो, साभार – (सोशल मीडिया)

मुंबई/इस्लामाबाद। पाकिस्तान की तरफ से एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है,जिसमें कहा गया है कि 26/11 मुंबई अटैक के आरोपी आतंकी साजिद मीर को पाकिस्तानी ऐजेंसियों ने अरेस्ट कर लिया है। जबकि इसके पहले पाकिस्तान ने इस आतंकी साजिद को मृत घोषित कर दिया था। वहीं जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को अभी भी पाकिस्तान लापता घोषित किया हुआ है,हालांकि इस गिरफ्तारी के पीछे विशेषज्ञ भारत की बड़ी डिप्लोमैटिक जीत मान रहे है।

दरअसल,इसके पहले पाकिस्तान हमेशा से ही साजिद की देश में मौजूदगी से इंकार करता आया है। इतना ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते इस आतंकी को मृतक तक घोषित किया जा चुका था। लेकिन अब अचानक से उसकी गिरफ्तारी का दावा कर रहा है। जो कि भारत की बड़ी डिप्लोमैटिक जीत के रूप में देखा जा रहा

गौरतलब है कि साजिद मीर पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का टेररिस्ट है। नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों में उसका हाथ था। 20 नवंबर को 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में कई जगहों पर हमले किए थे। इनमें ताज होटल, ओबेरॉय होटल, लियोपार्ड कैफे, चबाड हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस शामिल थे।
वहीं इस आतंकी हमलें में 10 हमलावरों में से सिर्फ एक अजमल आमिर कसाब गिरफ्तार किया जा सका था। बाकी 9 मारे गए थे। कसाब पर केस चलाया गया। दोषी पाए जाने पर उसे 11 नवंबर 2012 को पुणे के यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।

पाकिस्तान के इस ताजे दावें के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह सामने आया है कि पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए प्लानिंग कर रहा है। क्योंकि आतंकवाद रोधी निगरानी संस्था ने कहा है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से तभी हटाया जाएगा,जब वो ये साबित कर दे कि आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने में पाकिस्तान सफल है। फिलहाल,तथ्यों के विश्लेषण से साफ हो गया है कि अब पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय दबावों के चलते अपनी ईमेज को सुधारने के लिए प्रयासरत है,चूंकि FATF की सूची से बाहर होने का मतलब पाकिस्तान के लिए अशुभ संकेत है, ऐसे में इस्लामाबाद की बड़ी मजबूरी है कि वह खुद में सुधार लाने के लिए दुनिया को दिखाये कि वह अब डिप्लोमैटिक रास्ते पर चलना चाहता है न कि आतंकी ईमेज के साथ। हालांकि इसे विशेषज्ञ भारत की बड़ी डिप्लोमैटिक जीत के रूप में देख रहे हैं।

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