सांकेतिक तस्वीर।
बीजिंग। रूस-यूक्रेन जंग के बीच चीन से कुछ हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आई है,दरअसल,हाल हीं में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के अंतर्गत शक्तिशाली रॉकेट फोर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने की ख़बर आई थी। जहां अब इसी यूनिट का कमांडर भी लापता हो गया है। इसके बाद चीन से विदेश मंत्री भी गायब हो गए हैं। ऐसे में चीन विरोधी ऐजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं, जहां इन सभी घटनाओं का इंटरनेशनल लेवल पर बड़ी तेजी से विश्लेषण शुरू हो गया है। वहीं अब चीन के राष्ट्रपति ने खुद ही इस पूरे मामले की कमान संभाल ली है। इस बीच उन्होंने रॉकेट फोर्स के नए प्रमुख की भी नियुक्ति की है।
इस बीच कुछ भारतीय मीडिया समूहों ने भारतीय एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से यह रिपोर्ट किया है कि वू गुओहुआ पीएलए के रॉकेट फोर्स में डेप्युटी कमांडर था और उसकी 6 जून को रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जहां इस मौत को चीनी सेना ने दबा दिया और मौत के सही कारणों को नहीं बताया। इससे पीएलए के रॉकेट फोर्स के अंदर चल रहे उठापटक का संकेत मिला है। बता दे कि चीन ने साल 2015 में अपनी रणनीतिक मिसाइल फोर्स का नाम पीएलए रॉकेट फोर्स कर दिया था।
वहीं,रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि चीन की यह यूनिट रणनीतिक और सामरिक मिसाइलों के जखीरे को संभालती है जिसमें परमाणु मिसाइल भी शामिल है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इरादा साल 2028 तक 1000 अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों को बनाने का है। वू की मौत के बाद उनके सीनियर और पीएलए के रॉकेट फोर्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल ली यूचाओ को भी जून में आयोजित प्रमोशन समारोह से लापता पाया गया था। उनके लापता रहने से यह अटकलें शुरू हो गईं कि चीनी अधिकारी उनकी जांच कर रहे हैं।
दावा किया जा रहा है कि ली यूचाओ को अरेस्ट करके उनके खिलाफ जांच की जा रही है। यह अटकल उस समय और तेज हो गई जब चीन के विदेश मंत्री किन गांग भी ठीक उसी समय लापता हो गए। कई लोग पीएलए के रॉकेट फोर्स में चल रहे संकट और चीनी विदेश मंत्री के लापता होने में कनेक्शन बता रहे हैं। इस दौरान चीन की सेना में पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल याओ चेंग ने भी ट्वीट करके बताया था कि रॉकेट फोर्स के वर्तमान कमांडर को उनके ऑफिस से ले जाया गया है। खबरों के मुताबिक ली यूचाओ का बेटा अमेरिका में पढ़ रहा है। जहां इस बात की आशंका है उसने चीनी सेना के सीक्रेट को बेच दिया है।
यही कारण है कि चीनी सेना के कई उच्चाधिकारियों को भी हिरासत में लिया गया है और उनके साथ भी पूछताछ चल रही है। चीनी सेना के रॉकेट फोर्स में भ्रष्टाचार की भी जांच चल रही है। इन सब घटनाओं के बीच चीनी राष्ट्रपति के सैन्य कमांडरों के साथ बैठक होने की भी पुष्टि की गई है। कुल मिलाकर ये घटनाएं तमाम सवालो और आशंकाओं को जन्म देती है,जो कि जिनपिंग प्रशासन के लिए एक बड़ी मुश्किल साबित हो रही है। हालांकि,चीन में जारी इस तरह की गतिविधियों पर चीन विरोधी ऐजेंसियों की पूरी निगरानी लगातार बनी होने की भी रिपोर्ट है।