
सांकेतिक तस्वीर।
मॉस्को/वॉर्सा। रूस-यूक्रेन जंग के बीच रूस के सबसे करीबी देश बेलारूस द्वारा नाटो देशों पोलैंड और लिथुआनिया की सीमा पर जोरदार सैन्य अभ्यास शुरू किये जाने की रिपोर्ट सामने आई है। इतना ही नहीं यह भी खबर है कि इस अभ्यास में रूस की निजी सेना वैगनर ग्रुप के लड़ाके भी शामिल हैं। बेलारूस यह अभ्यास सुवाल्की गैप के पास कर रहा है जो पोलैंड से लेकर लिथुआनिया की सीमा तक फैला हुआ है। इस इलाके में अब बड़ी तादाद में सैनिकों की तैनाती भी की गई है। ऐसे में नाटो देश बेलारूस की इस हरकत से सशंकित है।
इतना ही नहीं इस अभ्यास को लेकर बेलारूस ने दावा किया है कि वर्तमान अभ्यास के दौरान सैनिकों को इस बात के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे युद्ध के दौरान अपनी यूनिट को कंट्रोल कर सकें। वहीं अब नाटो देशों को डर सता रहा है कि यह रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आदेश पर बेलारूस के तानाशाह लुकाशेंको करवा रहे हैं। हालांकि,इस बात की पुष्टि हो गई है कि वैगनर के लड़ाके बेलारूस के सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं ताकि वे लड़ाई लड़ सके। वहीं,पोलैंड ने कहा कि उसने पाया है कि बेलारूस से अवैध घुसपैठ की कोशिश की गई है जिसके बाद पोलैंड को अब 1000 सैनिकों को तैनात करना पड़ा है। बता दे कि सुवाल्की गैप एक संकरा सा इलाका है जो बेलारूस को रूस के कब्जे वाले कालिनग्राद से अलग करता है। कालिनग्राद रूस का सैन्य किला है जहां परमाणु हथियार तक रखे जाने की रिपोर्टें आई हैं।
ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जंग होती है तो सुवाल्की गैप नाटो और यूरोपीय देशों के लिए जिनता अहम होगा, उतना ही रूस के लिए भी होगा। पश्चिमी देशों के लिए यह एकमात्र जमीनी रास्ता है जो पूर्व सोवियत देशों लिथुआनिया, लाटविया और एस्टोनिया को नाटो देशों से जोड़ता है। वहीं पुतिन के लिए यह दुखती रग की तरह से है और नाटो देश कालिनग्राड को पूरी तरह से घेर सकते हैं। रूस अगर इस पर भविष्य में कब्जा करता है तो कालिनग्राड में तैनात अपनी बाल्टिक फ्लीट से सीधे जुड़ जाएगा।
बेलारूस की इस हरकत ने अब यह साफ संकेत दे दिया है कि अब नाटों के खिलाफ दूसरा जंगी मोर्चा भी जल्द खुल सकता है। बता दे कि बेलारूस के इस अभ्यास की रिपोर्ट उस समय आई है, जब अफ्रीका के एक देश में हाल ही सैन्य तख्तापलट के बाद अमेरिका और रूस आमने-सामने आने की तैयारी में है। इतना ही नहीं ईरान भी अमेरिका से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। वहीं, हिंदमहासागर में चीन के कई जंगी युध्दपोतों के अलावा जासूसी जहाज भी घूम रहे हैं, जो कि क्वॉड सदस्य होने के कारण अमेरिका के लिए एक चुनौती है। कुल मिलाकर जिस तरह से हालात बने हुए हैं, उससे साफ हो गया है कि तीसरा विश्वयुद्ध अब दुनिया के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है। जो कि किसी भी समय एक चिंगारी काफी होगी, इस महायुद्ध को होने के लिए।
