
वैगनर लड़ाके, फाईल फोटो।
लंदन/मॉस्को। दुनिया भर के कई मोर्चों पर जारी भीषण जंगी मोर्चाबंदी के बीच रूस की प्राइवेट आर्मी “वैगनर फोर्स” एक बार फिर से चर्चा में है। इससे पहले रूस के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह के बाद से ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वैगनर चीफ “येवगेनी प्रिगोझिन” से नाराज चल रहे हैं। क्योंकि,येवगेनी प्रिगोझिन के नेतृत्व में ही वैगनर लड़ाकों ने रूस के खिलाफ विद्रोह किया था। जहां इस विद्रोह के बाद रूस ने वैगनर ग्रुप के साथ अपने सभी संबंधों को तोड़ते हुए देश छोड़कर जाने का आदेश दिया था। लेकिन हाल ही में वैगनर लड़ाकों को अफ्रीकी देश नाइजर में सैन्य तख्तापलट के बाद वहां की सेना के साथ गश्त लगाते देखा गया है। ऐसे में नाटों एलाएंस इस बात की तप्तींस में जुटा हुआ है कि इस सैन्य समूह को फंडिंग कौन कर रहा है ? चूंकि,क्रेमलिन पहले ही इस समूह से पल्ला झाड़ चुका है।
इस बीच ब्रिटेन की डिफेंस मिनीस्ट्री ने अपने एक बयान में कहा कि बड़ी संभावना है कि रूस अब भाड़े के वैगनर समूह की गतिविधियों को फंडिंग या फाइनेंस नहीं करेगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रक्षा मंत्रालय ने आगे भी कहा कि जून 2023 में रूसी सेना के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ असफल विद्रोह का नेतृत्व करने के बाद रूस ने वैगनर के मालिक येवगेनी प्रिगोझिन के कुछ अन्य व्यावसायिक हितों के खिलाफ काम किया है।
इसी कड़ी में ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने आगे भी कहा कि अगर रूस अब वैगनर को भुगतान नहीं कर रहा है तो दूसरा सबसे प्रशंसनीय भुगतानकर्ता बेलारूसी अधिकारी हैं। हालांकि, आकार में बड़ा होने के कारण बेलारूस के लिए वैगनर को फाइनेंस करना और फंड उपलब्ध कराना संभावित रूप से नुकसान पहुंचाएगा। रक्षा मंत्रालय ने यह भी दावा किया कि इसके परिणाम स्वरूप वैगनर समूह संभवत पैसों की तंगी के वक्त में लड़ाकों के वेतन खर्चों को बचाने के लिए आकार में कमी और अपने फॉर्मेशन को छोटा करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
वहीं,एक अन्य रिपोर्ट के हवाले से यह भी दावा किया जा रहा है कि वैगनर ग्रुप का संयुक्त अरब अमीरात से भी मजबूत कनेक्शन है। चूंकि,यूएई ने वैगनर को 2018 में अफ्रीका में एक ब्रिजहेड प्रदान किया जिससे समूह को अन्य क्षेत्रीय राज्यों में खुद को स्थापित करने की अनुमति मिली। इस एहसान को चुकाने के लिए वैगनर लड़ाकों ने तब से अरबों डॉलर की कीमत का सोना अफ्रीका से यूएई पहुंचाया है। सोना का यूएई की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान माना जाता है। ऐसे में वैगनर को बचाए रखने में यूएई का अपना फायदा है। अगर यूएई वैगनर समूह को सहायता देता है तो इससे रूस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन बहुत पहले एक प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के रूप में विकसित किया था, जिसे क्रेमलिन की तरफ से फंडिग की जाती रही। यह फोर्स अफ्रीकी देशों के अलावा अन्य देशों में भी क्रेमलिन के ईशारे पर सक्रिय रहा करती थी,इतना ही नहीं यूक्रेन के खिलाफ जारी लड़ाई में भी क्रेमलिन ने इस फोर्स का भरपूर इस्तेमाल किया था। लेकिन क्रेमलिन को झटका तब लगा जब जून 2023 में वैगनर के लड़ाके रूस के रक्षा मंत्री और आर्मी चीफ की कुछ नीतियों से नाराज होकर रूस के हीं खिलाफ सशस्त्र विद्रोह कर दिया था। जहां बेलारूस के राष्ट्रपति के हस्तक्षेप के बाद कुछ घंटे बाद ही नाटकीय ढंग से वैगनर फोर्स ने सीजफायर का ऐलान करते हुए क्रेमलिन के इशारे पर देश छोड़कर बेलारूस चली गई। लेकिन नाइजर में बीते दिनों पूर्व हुए सैन्य तख्तापलट के बाद वैगनर फोर्स एक बार फिर से चर्चा मे है।
