सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली। भारत में अक्सर दुश्मन देशों के लिए जासूसी करने के आरोपों में तमाम लोग पकड़े जाते रहे हैं। जिनमें सेना और रक्षा मंत्रालय से जुड़े लोगों की संख्या अधिक रही है। लेकिन इस डिजीटल और टेक्नोलाजी युग में अभी तक सिर्फ मानवीय जासूसी की हीं घटनाओं का पर्दाफाश होने की रिपोर्ट सामने आती रही है। जो कि समझ से परे है,क्योंकि आज के युग में बाजारों में बेहद सस्ते जासूसी उपकरण मौजूद हैं,जिनकी सहायता से दुश्मन बड़े हीं आराम से और बेहद सुरक्षित तरीके से देश की बेहद संवेदनशील और गोपनीय सूचनाएं इकट्ठा कर सकता है।
बता दे कि इन जासूसी उपकरणों में बेहद सूक्ष्म आडियो डिवाइस है,जो कि GPS सिस्टम के अलावा कैमरों के साथ भी लैश होते हैं। जहां इन उपकरणों को बेहद आसानी से बिना किसी के नजर में आये इन्हें संवेदनशील जगहों पर रखा जा सकता है और इनकी सहायता से दुश्मन थोड़ी दूर से भी पूरी निगरानी कर सकता है। ऐसे में दुश्मन द्वारा इस तरह से जासूसी की घटनाओं को अंजाम दिये जाने की संभावना को कतई नहीं खारिज किया जा सकता। इसलिए भारतीय एजेंसियों को चाहिए कि वे भारतीय सुरक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियों के अलावा राज्यों की ATS हेडक्वार्टर्स व पुलिस हेडक्वार्टर्स की भी समय-समय पर एक विशेष अभियान के तहत निगरानी करती रहे।
और ऐसे तमाम जासूसी उपकरणों की खोजबीन करके उन्हें और उनके हैंडलर को भी एक्सपोज करें। चूंकि,इन जासूसी उपकरणों को बेहद आसानी से संबंधित एजेंसियों के तमाम वाहनों,कार्यालयों तथा इनसे जुड़े अधिकारियों के अलावा कर्मचारियों के घरों में भी लगाया जा सकता है। ऐसे में “सीक्रेट आॅपरेशन” न्यूज पोर्टल समूह की तरफ से भारतीय एजेंसियों को यह बड़ा अहम सुझाव प्रस्तावित किया जाता है कि बिना देर किये एक विशेष गोपनीय अभियान के तहत देश की सुरक्षा से जुड़े सभी संबंधित मंत्रालयों,निदेशालयों व इनसे जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों तथा कर्मचारियों के घरों के अलावा इनसे जुड़े सभी तरह के वाहनों की भी निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ अन्य संदिग्ध स्थानों की भी निगरानी करें।