गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर इजरायली हमले के दौरान, फोटो साभार-(सोशल मीडिया)
तेल अवीव/नई दिल्ली। एक दिन पहले सुबह जैसे ही इजरायल पर हमास की तरफ से सरप्राइज अटैक की रिपोर्ट सामने आई,इजरायल ही नहीं पूरी दुनिया शाक्ड हो गई। घोर हैरानी इस बात को लेकर हुई कि जिस इजरायल को एक अभेद्य किला के रूप में जाना जाता था, आज वह देश महज चंद हथियार बंद आतंकियों के आगे लाचार सा हो गया। जहां इस दौरान ये आतंकी आटोमेटिक हथियारों से फायरिंग करते रहे, निर्दोष इजरायली नागरिकों को मारते रहे फिर तुरंत तमाम इजरायली नागरिकों जिनमें महिलाएं, बच्चो, सैन्य अधिकारियों समेत कई सैनिकों को भी अपहरण कर अपने साथ ले गए।
इतना ही नहीं कई सैन्य चौकियों को भी निशाना बनाया गया, पुलिस स्टेशन भी नहीं छोड़े गए। दरअसल इन आतंकियों की जिस तरह से इजरायल में घुसपैठ हुई उसका जरा सा भी अंदाजा नहीं था। बताया जा रहा है कि ये घुसपैठ जमीन, हवा और समुद्र के रास्ते हुई थी। लेकिन लौटने का रूट केवल जमीन के हीं रास्ते था। बता दे कि ये आतंकी जो तांडव किये है इसे इजरायल कभी नहीं भूल सकता,एक माने में यह हमला इजरायल के इतिहास का सबसे बड़ा सरप्राइज अटैक के रूप में माना जाएगा।
वहीं, इस हमले को लेकर दुनिया बड़े ही तेजी से ध्रुवीकरण की स्थिति में आ गई, जहां इस दौरान इंटरनेशनल लेवल पर नाटों, भारत समेत अजरबैजान ये सबके सब इजरायल के साथ खुलकर खड़े दिखे, जबकि खाड़ी देशों में सऊदी संतुलित दिखा लेकिन ईरान, कतर जैसे देश तेल अवीव के विरोध में थे। इस बीच रूस भी संतुलित हीं दिखा, लेकिन ईशारों में इस घटना के लिए अमेरिका को हीं जिम्मेदार माना। जबकि चीन भी संतुलित है।
हालांकि, इजरायल ने हमास के खिलाफ भीषण जंग का ऐलान करते हुए काउंटर आपरेशन “आयरन आफ स्वार्ड” लांच कर दिया है। जिसके अनुसार इजरायली एअर फोर्स गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर हवाई हमला शुरू कर दिया है। जिसमें भारी नुकसान की रिपोर्ट सामने आ रही है, जो कि यह सैन्य आपरेशन अभी भी जारी है। वही इस पूरे घटनाक्रम के लिए इजरायल की खुफिया ऐजेंसी मोसाद को जिम्मेदार माना जा रहा है, चूंकि मोसाद दुश्मन की लगातार निगरानी करता रहा है। इसके बावजूद भी दुश्मन इजरायल के मुंह पर तमाचा मारने में सफल रहा। फिलहाल, इजरायल में घुसपैठ करने वाले आतंकियों को भारी संख्या में गिरफ्तार करने में इजरायली बल सफल रहे हैं।
लेकिन, हमारी पड़ताल में इस घटना के लिए अकेले मोसाद ही नहीं जिम्मेदार है, क्योंकि मोसाद अमेरिका समेत कई सहयोगी देशों की खुफिया ऐजेंसियों के साथ मिलकर तमाम ज्वाइंट सीक्रेट मिशन लीड करती रही है। जहां इस दौरान ये तमाम सहयोगी ऐजेंसिया लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहकर एक-दूसरे को इंटल इनपुट शेयर करती हैं, ताकि ये संबंधित ऐजेंसिया अपने-अपने देशों को सुरक्षा विषयक इंटल इनपुट देती रहे। ऐसे में अकेले मोसाद को हीं जिम्मेदार ठहराया जाना न्याय संगत बिल्कुल भी नहीं है।
इस बीच कुछ अप्रत्याशित जानकारियां भी सामने आ रही है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि रूस-यूक्रेन जंग में अमेरिका और नाटों की तरफ से यूक्रेन को लगातार सैन्य मदद पहुंचाये जाने से रूस बेहद खफा है और वह इन देशों को इजरायल संकट के बहाने खाड़ी देशों में उलझाये रखना चाहता है, जिसकी कमांडिंग ईरान के द्वारा कराके, चूंकि ईरान तेल अवीव के खिलाफ तमाम देशों व अन्य कई आतंकी समूहों को पहले से ही लगातार गोला-बारूद तथा घातक राकेट की आपूर्ति करता रहा है। हालांकि,इस संकट के लिए रूस से जुड़े तार वाले दावों की पुष्टि हम नहीं करते हैं।
फिलहाल, यहां यह कहना बिलकुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इस तरह से उकसावें की कार्यवाही करके इजरायल के खिलाफ कोई बड़ा ट्रैप मिशन हो सकता है। क्योंकि, दुश्मन को इजरायली हमलों का बहुत अच्छा अनुभव है, ऐसे में दुश्मन इजरायल को चकमा देने के लिए जानबूझकर अपनी युध्द रणनीति बदलते हुए, इजरायल को पुरानी रणनीति के आधार पर हमला करने का निमंत्रण दे रहा हो ताकि इस बार इजरायल धोखे का शिकार बन जाए, ऐसे में इजरायल को थोड़ा संभलकर अपने काउंटर आपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देना चाहिए। जिससे वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।