एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

LAC पर दुश्मन की बढ़ती सैन्य तैनाती ने बढ़ाई नई दिल्ली की चिंताएं, भारत भी काउंटर की बड़ी तैयारी के मिशन पर है सक्रिय – हेमंत सिंह/नित्यानंद दूबे


फाईल फोटो, साभार -(सोशल मीडिया)

नई दिल्ली/बीजिंग। लाइन आॅफ ऐक्चुअल पर दुश्मन की लगातार बढ़ती गतिविधियां नई दिल्ली की चिंताएं बढ़ा दी है। बता दे कि खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट के अनुसार, चीन ने भारत के साथ लगी सीमा के नजदीक कई नए मिलिट्री कैंप स्थापित किए हैं। इतना ही नहीं, चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से 100 किलोमीटर की रेंज में लंबी दूरी तक मार करने वाले तोपखाने और रॉकेट सिस्टम, अडवांस एयर डिफेंस सिस्टम, रनवे अपग्रेडेशन और लड़ाकू विमानों को रखने के लिए हार्ड एंटी ब्लास्ट शेल्टर्स का निर्माण किया है। यही कारण है कि भारत भी चीन से जुड़ी सीमा के नजदीक तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर रहा है।

इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि एलएसी से जुड़े पूरे पश्चिमी इलाके में भी गतिरोध शुरू होने से पहले 2020 तक 20000 सैनिकों के आवास की व्यवस्था थी। जहां चीन ने अब 1 लाख 20 हजार सैनिकों को सीमा के नजदीक रखने के लिए शेल्टर और मिलिट्री कैंप तैयार कर लिए हैं। उन्होंने इन मिलिट्री कैंप को पावर सप्लाई के लिए एलएसी के साथ-साथ जुड़े इलाकों में कैप्टिव सौर ऊर्जा और छोटी जल विद्युत परियोजनाएं भी स्थापित की हैं। इससे उनकी सर्दियों में रहने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। यह चीन के उन मॉडल गांवों से अलग है,जिसे एलएसी के पास कई इलाकों में बसाया गया है।

बताया जा रहा है कि यह सैन्य निर्माण एलएसी से चीन की तरफ 100 किमी के भीतर है। चीन के शिनजियांग सैन्य जिले के तहत चार पीएलए डिवीजनों को पूर्वी लद्दाख की ओर मूव किया जा रहा है। 2020 में, जब गतिरोध शुरू हुआ, तब इस इलाके में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के चौथे और छठे डिवीजन तैनात थे। 2021 में 8वें और 11वें डिवीजनों को तैनात किया गया था। इस साल, चौथे और छठे डिवीजनों को रोटेशन के हिस्से के रूप में फिर से तैनात किया गया है। ये सभी डिवीजन कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड में परिवर्तित होने की प्रक्रिया में हैं। इन ब्रिगेड के हथियारों और उपकरणों को पहले ही अपग्रेड किया जा चुका है।

इतना ही नहीं चीनी सेना ने चौथे डिवीजन में मौजूद बख्तरबंद रेजिमेंट में ZTQ 15 (टाइप 15) नाम के तीसरी पीढ़ी के आधुनिक लाइट टैंक को शामिल किया है। यह टैंक पहले से मौजूद ZTZ-88 पहली पीढ़ी के टैंकों की जगह ले रहा है। वहीं, छठवें डिवीजन में शामिल टाइप 96 ए सेकेंड जेनरेशन टैंक में फायर कंट्रोल सिस्टम को अपग्रेड किया गया है। इसी तरह दो मैकेनाइज्ड ब्रिगेड, जो व्हील्ड ऑर्मर्ड पर्सनल कैरियर को ऑपरेट करते हैं, उनमें लेटेस्ट ZTL-11 ऑर्मर्ड पर्सनल कैरियर को तैनात किया गया है। यह वाहन पुराने पड़ चुके ZBL-08 एपीसी की जगह ले रहा है। चीन ने अमेरिकी हम्वी की तरह दिखाई देने वाले CSK सीरीज के ज्वाइंट लाइट टेक्टिकल व्हीकल को शामिल किया है।

इस दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि चीन ने इसी तरह एलएसी से सटे इलाकों में एयर डिफेंस सिस्टम और एयरबेस को भी अपग्रेड किया है। इनमें ब्लास्ट रेजिस्टेंस शेल्टर बनाए गए हैं, जहां हमले के दौरान विमानों को छिपाया जा सकता है। वहीं, रनवे का भी विस्तार किया गया है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चीन ने सभी जगहों पर अपने एयरबेस को काफी उन्नत किया है। पीएलए ने शिगात्से और रुडोक में हेलीपोर्ट विकसित किए हैं। वहीं, गर्गुनश, ल्हासा और ग्वांगझू में रनवे का विस्तार कर ब्लास्ट शेल्टर्स का निर्माण किया है। अगस्त 2020 में पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर कैलाश रेंज पर टकराव के बाद भारत और चीन ने 15,000 फीट से अधिक ऊंची पर्वत चोटियों पर टैंक तैनात किए हैं। भारतीय सेना ने हल्के टैंकों की खरीद के लिए एक निविदा भी जारी की है।

इस बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि लंबी दूरी की मारक क्षमता के मामले में, पीएलए ने टॉव्ड हॉवित्जर की जगह 50 किमी की रेंज वाले ट्रक-माउंटेड हॉवित्जर के साथ अपने तोपखाने को अपग्रेड किया है। अधिकारियों ने कहा कि इससे बेहतर गतिशीलता और तेज हमला करने की ताकत मिल गई है। इसके अलावा, PLA ने 100 किलोमीटर से अधिक की रेंज वाले PHL-3 मल्टी-रॉकेट लॉन्च सिस्टम (MRLS) को भी तैनात किया है। यह रूसी Smerch MRLS का एक चीनी वेरिएंट है, जिसकी तीन रेजिमेंट भारतीय सेना में पहले से ही तैनात हैं। चीन ने एलएसी के पास पुराने एयर डिफेंस सिस्टम को हटाकर HQ-17 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को तैनात किया है।

गौरतलब है कि अभी एक दिन पहले ही भारतीय वायु सेना के प्रमुख ने भारत पर चीनी और पाकिस्तानी हमले की संभावना व्यक्त किये है,इतना ही नहीं एअर चीफ मार्शल ने इस दौरान यह भी साफ किया कि भारत को पूरी तैयारी पर रहना होगा। अब ऐसे में आये दिन एक-एक करके इस तरह से चीनी साजिशों का खुलासा हो रहा है,जिससे नई दिल्ली की चिंताएं बढ़ना स्वभाविक है।

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