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26 जून को इस्लामाबाद में स्थित भारतीय दूतावास के उपर मंडराया संदिग्ध ड्रोन, भारत ने जताई कड़ी आपत्ति- राजेंदर दूबे (स्पेशल एडिटर)

इस्लामाबाद
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित भारतीय दूतावास के ऊपर ड्रोन को उड़ते हुए देखा गया है। जिसके बाद भारत ने इस मामले को पाकिस्तानी अधिकारियों के सामने उठाते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। यह ड्रोन भारतीय दूतावास के अधिकारियों के आवास के ऊपर उड़ता हुआ दिखा था। ऐसा पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान में भारतीय मिशन के अंदर ड्रोन दिखाई दिया है। इस्लामाबाद के अति सुरक्षित क्षेत्र में ऐसी घटना से भारतीय मिशन के अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है।

26 जून को दूतावास के ऊपर दिखा था ड्रोन
रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 26 जून की है। ड्रोन के दिखाई देने के समय भारतीय मिशन के अंदर एक कार्यक्रम चल रहा था। अभी तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है कि यह ड्रोन कहां से आया था और इससे भारतीय दूतावास की सुरक्षा को कोई खतरा तो नहीं हुआ।

जम्मू हवाई अड्डे की घटना से मिल रही तारीख
संयोग की बात यह भी है कि उसी तारीख को जम्मू स्थित भारतीय वायु सेना के अड्डे पर ड्रोन से विस्फोटक गिराए गए थे। 27 जून को भारतीय वायुसेना ने इस विस्फोट की जानकारी दी थी। इस हमले में भी पाकिस्तानी आतंकियों के हाथ होने की आशंका जाहिर की गई थी। जांच में पता चला था कि जम्मू हवाई अड्डे पर हमले के लिए मिलिट्री ग्रेड के विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था।

भारतीय दूतावास के अधिकारियों को परेशान करता है पाकिस्तान
पाकिस्तान लगातार वियना संधि का उल्लंघन करता रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भारतीय राजनयिकों को परेशान करने का काम भी करती है। कई बार भारतीय राजनयिकों का पीछा किया जाता है। इस्लामाबाद के अति सुरक्षित क्षेत्र में राजनयिकों के आवास होने के बावजूद लोगों को इकट्ठा करवाकर भारतीय मिशनों के आगे शोरगुल भी किया जाता है।

क्या है वियना संधि
साल 1961 में आजाद देशों के बीच राजनयिक संबंधों को लेकर वियना संधि हुई थी। इस संधि के तहत राजनयिकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। इस संधि के दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इंटरनेशनल लॉ कमीशन द्वारा तैयार एक और संधि का प्रावधान किया, जिसे वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस कहा गया। इस संधि को 1964 में लागू किया गया था।

राजनयिकों को लेकर हैं ये नियम
इस संधि के तहत मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनयिकों को विशेष दर्जा देता है। कोई भी देश दूसरे देश के राजनयिकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है। न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है। वहीं, राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी तरह का कस्टम टैक्स नहीं लगाया जा सकता है।

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