काबुल
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के लौटते ही तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आतंकी समूह ने अमेरिकी सैनिकों की मदद करने वालों को धमकी दी है और उन्हें तालिबानी कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है। अभी तक आतंकी समूह अपना ‘उदार’ चेहरा दुनिया को दिखा रहा था लेकिन अब तालिबान का असली चेहरा सभी के सामने है। नए तालिबानी राज में उन अफगान नागरिकों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है जिन्होंने 20 साल तक चली लड़ाई में विदेशी सैनिकों की मदद की थी।
हाजिर न होने पर मौत की सजा
तालिबान ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों की मदद करने वाले तालिबान की अदालत में हाजिर हों। लोगों को धमकी दी गई है कि अगर ये सामने नहीं आते हैं तो इन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि तालिबान काबुल में लोगों के घर-घर जाकर सैनिकों की मदद करने वाले अफगानियों की तलाश कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि तालिबान ने धमकी दी है कि अगर ये लोग सामने नहीं आते हैं तो इनके परिवार वालों को नुकसान पहुंचाया जाएगा।
घर-घर जाकर तालिबान का तलाशी अभियान
काबुल से अमेरिकी सैनिकों के लौटने के दौरान आई एक मीडिया रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि अमेरिका ने तालिबान को ऐसे अफगान नागरिकों की सूची सौंपी थी जिन्होंने उनकी मदद की। ताकि इन लोगों को निकासी अभियान के तहत देश से बाहर ले जाने के लिए काबुल एयरपोर्ट के परिसर में घुसने की अनुमति दी जा सके। निकासी अभियान के दौरान काबुल एयरपोर्ट के बाहरी क्षेत्र की सुरक्षा तालिबान के हाथ में थी जबकि एयरपोर्ट के भीतर अमेरिकी सैनिक तैनात थे।
एक दिन पहले ही लौटे अमेरिकी सैनिक
अफगानिस्तान में तालिबान की डेडलाइन से पहले ही अमेरिका ने अपनी सैन्य उपस्थिति समाप्त कर दी है। अफगानिस्तान से अमेरिका के आखिरी विमान C-17 ने 30 अगस्त को देर रात काबुल के हामिद करजई एयरपोर्ट से उड़ान भरी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अपने कमांडरों की खतरनाक वापसी के लिए धन्यवाद किया। इसी के साथ अमेरिकी ने अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति को भी खत्म कर दिया है।