इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

खुफिया रिपोर्ट के खुलासे से मचा हड़कंप,तालिबान की मदद के लिए ब्रिटेन से आतंकी पाकिस्तान के रास्ते पहुंच रहे हैं अफगानिस्तान – रविशंकर मिश्र (एडिटर इन आपरेशन)

ब्रिटिश जेहादी खुफिया तरीके से अफगानिस्तान जाकर तालिबान में शामिल हो रहे हैं। ऐसा दावा एक मीडिया रिपोर्ट में किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश जेहादियों के ही एक समूह ने अफगानिस्तान की दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार समेत कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया है।

दस सन ने एक खुफिया एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से एक रिपोर्ट छापी है। इसके अनुसार उन्होंने फोन पर ब्रिटिश भाषा में आतंकियों की बातचीत सुनी है। उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि लगभग 30 की उम्र के ब्रिटिश लोगों को उन्होंने बातचीत करते हुए सुना है।

अफगान सरकार के खिलाफ हथियार उठा रहे ब्रिटिश जेहादी
द सन से बातचीत करते हुए खुफिया एजेंसी के अधिकारी ने कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ हथियार उठाए कुछ लोगों को देखा है, जो ब्रिटिश नागरिक जैसे दिखते हैं। हालांकि, अभी यह नहीं कहा जा सकता कि वे असल में कौन हैं। रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा अधिकारियों को यकीन है कि ब्रिटिश नागरिक पाकिस्तान के आदिवासी क्षेत्र होते हुए अफगानिस्तान में घुसे हैं। कुछ दिन पहले तालिबान के कमांडर जनरल मुबीन को एक फेसबुक वीडियो में बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में भाग लेते हुए सुना भी गया था।

जेहाद के लिए कहीं भी पहुंचने के लिए दी जा रही ट्रेनिंग
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का नेतृत्व कर चुके कर्नल रिर्चड केंप ने द सन को बताया कि 9/11 हमले के बाद कई ब्रिटिश व अन्य विदेशी जेहादी अफगानिस्तान पहुंचे हैं। इसके साथ ही उन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी जा रही है, जिससे वे जेहाद के लिए कहीं भी आ या जा सकें। उन्होंने कहा कि तालिबान को इससे लाभ हुआ है।

आईएस जैसे बड़े खतरे की कगार पर
अगर देश का एक बड़ा हिस्सा तालिबान के कब्जे में हमेशा के लिए आ गया तो वह आतंक फैलाने के लिए सबसे सुरक्षित स्थान होगा, जैसा कि 9/11 हमले के पहले था। उन्होंने कहा कि इससे हम आईएस से भी बड़े खतरे की कगार पर पहुंच जाएंगे।

यह मामला तब सामने आया है जब ब्रिटेन की सरकार ने अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों व अन्य अधिकारयों को सुरक्षित निकालने के लिए 600 सुरक्षा बलों को तैनात करने का फैसला लिया है। वहीं अमेरिका ने भी अपने 3000 सैनिकों को अफगानिस्तान भेजने का फैसला किया है, जिससे काबुल स्थित दूतावास ने उसके अधिकारियों को निकाला जा सके।

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