विजयशंकर दूबे ( एडिटर- क्राइम )
उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉंटेड (Most Wanted of UP) अपराधियों में शुमार बदन सिंह बद्दो के केस (Badan Singh Baddo Case) में पिछले ही दिनों मेरठ पुलिस ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने का आवेदन किया था, लेकिन इंटरपोल ने यह कहकर मना कर दिया कि बद्दो के पासपोर्ट पर कोई एंट्री ही नहीं है इसलिए उसके खिलाफ यह कदम उठाना मुमकिन नहीं है. इससे पहले भी आप कई अपराधियों के मामले में (Criminal Cases) इंटरपोल से इस तरह के नोटिस जारी किए जाने की बात सुनते रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेड कॉर्नर और ब्लू कॉर्नर नोटिस क्या होते हैं?
अक्सर अपराधी कानून से बचने के लिए गुनाह करने के बाद मौका-ए-वारदात से फ़रार हो जाते हैं क्योंकि जब तक वो गिरफ्त में नहीं आएंगे, पुलिस और कोर्ट से उन्हें खतरा नहीं होगा. ऐसे ही कुछ बड़े अपराधी तो देश छोड़कर भाग जाते हैं. यूपी का कुख्यात सज़ायाफ़्ता बद्दो भी इसी श्रेणी का अपराधी रहा है. ये भी जानिए कि बद्दो कौन है और क्यों बड़ा अपराधी है.
क्या होता है रेड कॉर्नर नोटिस?
सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि यह नोटिस अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई अरेस्ट वॉरंट जैसा नहीं होता है. इंटरपोल के मुताबिक, रेड कॉर्नर नोटिस के ज़रिये इस तरह कानून लागू करने का आवेदन किया जाता है कि किसी ऐसे अपराधी को दुनिया भर में खोजा जा सके, जिसका प्रत्यर्पण या इसी तरह का कानूनी एक्शन पेंडिंग है. तलाशने के बाद उसकी प्रोविज़नल गिरफ्तारी संभव हो सकती है.
यह भी जान लीजिए कि रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल सिर्फ सदस्य देशों के आवेदनों पर ही जारी करता है. इस नोटिस में दो तरह की जानकारी शामिल होती है. पहली तो अपराधी की पहचान और हुलिये से जुड़ी होती है जैसे नाम, फर्ज़ी नाम, ज्ञात जन्मतिथि, बालों और आंखों का रंग आदि. दूसरी तरह की जानकारी उसके अपराधों से संबंधित होती है जैसे उसने हत्या, बलात्कार या किस तरह के जुर्म किए हैं.
तो ब्लू कॉर्नर नोटिस क्या है?
सीधा फर्क तो यही है रेड कॉर्नर इंटरपोल द्वारा अपराधी की खोज के लिए जारी किया जाने नोटिस है जबकि ब्लू कॉर्नर के ज़रिये इंटरपोल किसी अपराधी के बारे में जानकारी जुटाता है. यानी इंटरपोल अपने किसी सदस्य देश से किसी अपराधी की पहचान, लोकेशन या उसकी संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारियां मांगने के लिए ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करता है.
यह भी एक तरह से फरार और संदिग्ध अपराधी के बारे में जांच पड़ताल या खोजबीन करने संबंधी नोटिस ही है. लेकिन इंटरपोल के सदस्य देश इस तरह के नोटिसों को इग्नोर नहीं कर सकते और उन्हें मांगी गई वो जानकारी देना होती है, जो उनके पास हो.
कौन है बद्दो और कैसे हुआ फरार?
पुलिस हिरासत से फरार हुआ ढाई लाख का इनामी मोस्ट वॉंटेड बदन सिंह बद्दो को 27 मार्च 2020 को गाज़ियाबाद कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया था. कहा जाता है कि पुलिसकर्मियों की सांठगांठ से पहले वो मेरठ पहुंचा, वहां एक होटल में पार्टी की और वहीं से फरार हो गया. मेरठ पुलिस इस मामले में सवालों के घेरे में रही. इसके बावजूद यह केस कछुआ चाल से ही आगे बढ़ा.
करीब पांच पुलिसकर्मियों को अब तक बर्खास्त किए जाने की खबरें आ चुकी हैं, लेकिन बद्दो का कुछ पता नहीं चला है. बताया जाता है कि उसकी आखिरी लोकेशन नीदरलैंड्स में मिली थी. खबरों की मानें तो बद्दो विदेश में छुपकर जुर्म की दुनिया में अपना पूरा दखल बनाए हुए है. आइए इस फिल्मी किस्म के वास्तविक विलेन बद्दो की कहानी का सार भी जानिए.
कभी मेरठ की गलियों में मामूली गुंडा रहा बद्दो 1970 में पंजाब से मेरठ पहुंचे अपने पिता के ट्रांसपोर्ट के धंधे में अपने बाकी छह भाइयों की तरह लग गया था. यहां से वो जुर्म की दुनिया में दाखिल हुआ और शराब की तस्करी करने लगा. वेस्टर्न यूपी के कुख्यात गैंगस्टर रवींद्र भूरा के गैंग से जुड़कर उसने बाकायदा अपराध जगत में एंट्री ली. हत्या का पहला मामला उसके खिलाफ 1998 में दर्ज हुआ था.
पहले और भी हत्याएं दिनदहाड़े कर चुके बद्दो ने वकील रवींद्र सिंह का क्तल 1996 में किया था. यही केस बद्दो को भारी पड़ा और 31 अक्टूबर 2017 को उसे उम्रकैद की सज़ा हुई. लेकिन सिर्फ 17 महीने जेल में रहने के बाद पुलिस कस्टडी से देश छोड़कर भागने में बद्दो कामयाब रहा.