म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट के खिलाफ चल रहे व्यापक जन आंदोलन के दौरान कई नस्लीय हथियारबंद गुटों ने अपने को इस प्रतिरोध से अलग रखा है। पिछले दो महीने से चल रहे आंदोलन के दौरान करेन और कचिन बगियों ने तो हमले किए हैं, लेकिन कई दूसरे नस्लीय बागी समूह या तो चुप बैठे हुए हैं या उनमें से कई ने सैनिक शासकों के साथ सहयोग किया है।
गौरतलब है कि जब पिछले एक फरवरी को तख्ता पलट हुआ, तब नस्लीय बागी गुटों के संगठन इथनिक आर्म्ड ऑर्गनाइजेशन (ईएओ) ने सैनिक शासन के खिलाफ बयान जारी किया था। उन्होंने नए शासन को ‘हत्यारा’ तक कहा था। लेकिन वेबसाइट एशिया टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक उसके बाद से कुछ नस्लीय गुटों ने सशस्त्र हमले किए हैं, कुछ ने केवल सख्त बयान जारी किए हैं, जबकि कुछ ने पूरी चुप्पी साधे रखी है। ऐसे में कई विश्लेषकों के लिए ये समझना मुश्किल हो गया है कि जब ये तमाम गुट म्यांमार की सेना को अपना दुश्मन नंबर एक मानते रहे हैं, तो वे ऐसे मौकों पर क्यों निष्क्रिय हैं, जब आम माहौल सेना के खिलाफ है?