एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से मुश्किलें बढ़ेंगीं पाकिस्तान की -चंद्रकांत मिश्र (एडिटर इन चीफ)

अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी सैनिकों (US Troops) की वापसी से पाकिस्तान (Pakistan) की मुसीबत बढ़ने वाली है. इसकी वजह तालिबान (Taliban) का पाकिस्तान में बढ़त बनाना नहीं है, बल्कि इसकी वजह इस्लामाबाद (Islamabad) की आतंकी कारगुजारियां हैं. दरअसल, अमेरिकी स्कोलर माइकल रुबिन (Michael Rubin) ने कहा है कि अमेरिकी सैनिकों की घर वापसी के बाद इस क्षेत्र में वाशिंगटन को इस्लामाबाद की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में अमेरिकी कांग्रेस पाकिस्तान को आतंक का स्पोंसर नामित कर सकती है.
‘नेशनल इंटरेस्ट’ में लिखे अपने ओपिनियन में ‘अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (AEI)’ के स्कोलर ने कहा, पाकिस्तानी अक्सर ही इस बात की शिकायत करते हैं कि अमेरिका मौसम देखकर दोस्ती करता है. इस तरह की आलोचना बिल्कुल सही है, क्योंकि इस्लामाबाद लंबे समय से अमेरिका की दूसरी पसंद रहा है. उन्होंने लिखा, अमेरिका पाकिस्तान को समर्थन तो देता है, लेकिन जब वाशिंगटन को जरूरत पड़ती है तो वह इस्लामाबाद से एकजुटता भी चाहता है. लेकिन जैसे ही अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत नहीं होगी, वह उसे सजा भी देगा.

9/11 की बरसी पर पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ देंगे अमेरिकी सैनिक
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने पिछले महीने ऐलान किया कि एक मई से अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हो जाएगी. ये वापसी 11 सितंबर को इस साल खत्म हो जाएगी, जो 9/11 आतंकवादी हमले की 20 वीं वर्षगांठ को चिन्हित करेगा. इस वजह से ही अफगानिस्तान में युद्ध की शुरुआत हुई थी. अमेरिकी सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास की सबसे लंबी जंग खत्म हो जाएगी.

पाकिस्तान पर आतंक को पनाह देने का आरोप
व्हाइट हाउस (White House) के डिप्टी प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी को शुरू कर दिया है. पाकिस्तान पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने मुल्क में आतंकियों को पनाह देता है. ये बात सच भी साबित होती है, क्योंकि मुंबई हमलों का आरोपी हाफिज सईद पाकिस्तान में खुला घूमता है. इसके अलावा दर्जनों ऐसे आतंकी हैं, जिन पर भारत में हमलों को अंजाम देना का आरोप है. लेकिन वे पाकिस्तान में चैन की जिंदगी जी रहे हैं. यही वजह है कि पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में रखा गया है. इस कारण पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान भी हुआ है.

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