इस्लामाबाद। पिछले काफी समय से भारी सियासी उथलपुथल का सामना कर रहे पाकिस्तान में जब इसी महीने के बीते 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के साथ-साथ नेशनल असेंबली भंग कर दिया गया तो इमरान खान की बाछें खिल गई,चूंकि उस समय यह भी फैसला किया गया था कि चुनाव तक देश के कार्यकारी प्रधानमंत्री इमरान खान ही रहेंगे,लेकिन इमरान खान के इस खुशी पर अब ग्रहण लगता दिख रहा है,क्योंकि 3 अप्रैल को हीं सदन के इस कार्यवाही का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले लिया था जो कि वर्तमान में नियमित सुनवाई जारी है,जहां अब अगली सुनवाई गुरूवार को होनी है।
बता दें इस दौरान बुधवार को पाकिस्तान में हड़कंप मचाने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें इमरान खान के एक सांसद के हवाले से दावा किया जा रहा है कि विदेशी साजिश की झूठी कहानी से लेकर आर्मी चीफ बाजवा को हटाने तक की साजिश इमरान खान ने ही रची थी,इमरान के इस सांसद ने यहां तक कह दिया कि इमरान खान देशद्रोही है,गद्दार है। फिलहाल,इमरान के इस सांसद के इस ताजे खुलासे से समूचे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है जो कि पहले से ही जारी टकराव में आग में घी का काम करेगा।
तो वहीं सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान पहली बार राष्ट्रपति की तरफ से किसी वकील ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि SC के पास डिप्टी स्पीकर के फैसले पर सुनवाई करने का हक ही नहीं है। जिस तरह कोर्ट के फैसले पर संसद में बहस नहीं हो सकती, उसी तरह संसद की कार्यवाही में कोर्ट भी दखलंदाजी नहीं कर सकता है।
इससे पहले SC ने इमरान सरकार के वकील से नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक के मिनट्स मांगे। जहां इसी मीटिंग में इमरान ने NSC के साथ विदेशी साजिश के सबूत वाला लेटर साझा करने का दावा किया था। खास बात यह है कि फौज और ISI के चीफ भी इस मीटिंग में मौजूद थे। हालांकि,पाक फौज ने मंगलवार रात में एक मीडिया समूह से बातचीत के दौरान साफ कर दिया था कि विदेशी साजिश के सबूत होने का दावा गलत है। चूंकि इस दौरान फौज ने साफ कर दिया है कि इमरान सरकार गिराने के मामले में विदेशी साजिश का कोई सबूत उसे नहीं मिला है। यह खान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
वहीं,बुधवार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखते हुये निर्देश दिया कि देश में 90 दिन के अंदर चुनाव कराया जाये,बताते चले कि इससे पहले मंगलवार को इलेक्शन कमीशन ने साफ कर दिया था कि उसने कभी तीन महीने के अंदर चुनाव कराने से इनकार नहीं किया। फिलहाल पाकिस्तान में जारी सियासी उथलपुथल के बीच ऊंट किस करवट बैठेगा ? अभी कहना मुश्किल है लेकिन माहौल अब इमरान खान के विपरीत है।