दोनों आरोपी (फाईल फोटो)
मुंबई। राष्ट्रीय स्तर पर आतंकी गतिविधियों से संबंधित कार्यवाही व जांच करने वाली देश की सबसे बड़ी ऐजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को खूंखार आतंकी संगठन ISIS में शामिल होने में दो आरोपियों ने अपना जुर्म खुद से कबूलने के लिए इस अदालत में अर्जी लगाई थी जहां अदालत ने इन दोनों दोषी पाते हुए इन आरोपियों मोहसिन सैय्यद और रिजवान अहमद को 8 साल की सजा सुनाई है। इन्हें अदालत ने गुरुवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 20 के तहत दोषी ठहराया था। दोनों पर 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। इसे अदा नहीं करने की स्थिति में सजा 3-3 महीने बढ़ा दी जाएगी।
बता दें कि इन दोनों आरोपियों ने इस विशेष न्यायालय में अपने द्वारा दिये गए अर्जी में खुद से अपने जुर्म को कबूलते हुए अदालत को बताया था कि वर्ष 2015 में खूंखार आतंकी संगठन ISIS में ये दोनों लोग शामिल हुए थे। जहां इन दोनों आरोपियों को NIA की विशेष न्यायालय ने यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत दोनों को 8 साल की सजा सुनाई है। जबकि ये दोनों खुद से अपना जुर्म स्वीकार किये थे इसीलिए इन दोनों को सिर्फ 8 साल की ही सजा सुनाई है,वहीं आरोपियों ने अदालत को बताया कि उन्हें पहले से इस सजा के बारे में जानकारी थी, इसके बावजूद दोनों ने अपनी इच्छा से अपना अपराध स्वीकार करने की मांग की थी।
गौरतलब है कि अभियोजन पक्ष के अनुसार मुंबई के उपनगरीय मालवाणी में रहने वाले चार लोगों ने साल 2015 में ISIS में शामिल होने के लिए अपना घर छोड़ा था। इस दौरान NIA ने दावा किया कि सैय्यद और अहमद ने मालवाणी के आर्थिक रूप से कमजोर मुस्लिम पुरुषों को उकसाया, धमकाया और प्रभावित किया। इसके साथ ही मुस्लिम लड़कों को आतंकी संगठन में शामिल होने और फिदायीन बनने के लिए भी मजबूर किया।
जहां बाद में मुंबई के कालाचौकी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। इन सभी पर भारत के संबद्ध राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आईएस/आईएसआईएल/आईएसआईएस का सदस्य बनने के लिए विदेश यात्रा करने का आरोप था। आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) मामले की जांच कर रहा था। बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया, जिसने फिर से मामला दर्ज किया था। इसके बाद ऐजेंसी ने जुलाई 2016 में NIA की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी।