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गोवा/नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को देश के नौसेना कमांडरों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डाला है कि बाहरी निर्भरता के बिना आत्मनिर्भर होना अनिवार्य रूप से आवश्यक है। उन्होंने आगे भी कहा कि भारतीय नौसेना आत्मनिर्भर भारत अभियान में अग्रिम मोर्चे पर रही है और इसे इसका नेतृत्व करना जारी रखना चाहिए।
इसी कड़ी में राजनाथ सिंह ने आगे भी कहा कि कमांडरों के पिछले सम्मलेन के बाद से आईएनएस विशाखापत्तनम समेत प्रमुख नौसेना इकाइयों को कमीशन करने के लिए मैं हमारी नौसेना की सराहना करता हूं। इनमें पी15बी प्रोजेक्ट का पहला जहाज, चौथी पी75 सबमरीन आईएनएस बेला और नौसेना का आईएनएस हंसा गोवा में दूसरा पी82 स्क्वाड्रन आईएनएएस 316 भी शामिल हैं।
इतना ही नहीं रक्षा मंत्री ने आगे यह भी कहा कि भारतीय नौसेना भारत में विदेशी कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। पिछले चार दशकों में 45 से अधिक मित्र देशओं के 19 हजार से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना हमारे समुद्री हितों की रक्षा करना जारी रखे हुए है। इसके साथ ही नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में एक विश्वसनीय और उत्तरदाई उपस्थिति भी स्थापित की है।
उन्होंने कहा कि ऑर्डर पर मौजूद 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है। जो कि भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है।
गौरतलब है कि जबसे भारत के रक्षा मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह ने पदभार ग्रहण किया है,पूरी सक्रियता से डिफेंस से संबंधित तमाम गंभीर समस्याओं को निस्तारित करते हुए,देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिगत भारतीय शिपयार्ड में देशी पनडुब्बीयों और युध्दपोतों के निर्माण पर जोरों से काम चल रहा है,जहां अभी कुछ महीने पहले ही भारतीय नौसेना ने नव निर्मित देशी पनडुब्बीयों के अलावा युध्दपोत को भी भारतीय नौसेना को शामिल किया।