इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट

पाकिस्तान में अब तक BLA के विभिन्न हमलों में कुल 15 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं, हालांकि चीनी नागरिकों की सुरक्षा में पाक ऐजेंसियों ने तमाम इंतजाम किये लेकिन सब साबित हुए हवा-हवाई – राकेश पांडेय/अमरनाथ यादव


सांकेतिक तस्वीर।

इस्लामाबाद/बीजिंग। यूं तो पाकिस्तान में कई बार चीनी नागरिकों को निशाना बनाया गया लेकिन बीजिंग इन हमलों पर कोई तवज्जह नहीं दिया लेकिन जब तीन दिन पहले यानि बीते मंगलवार को कराची यूनिवर्सिटी में BLA की एक महिला फिदायीन के हमले में 3 चीनी नागरिक मारे गए तो चीन भढ़क गया,यही वजह रही कि पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आधी रात को दौड़े-दौड़े चीन की इस्लामाबाद स्थित एम्बेसी पहुंचे और बीजिंग की खरी खोटी सुनते रहे।

वहीं इस हमले के तुरंत बाद हीं बलूच लिबरेशन आर्मी ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए चीन और पाकिस्तान को धमकाया। बता दें कि इसके पहले भी BLA पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों को टारगेट कर चुका है। जहां अभी तक के हमलों में कुल 15 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं।

दरअसल,बलूचिस्तान के नागरिक 1947-1948 से ही खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके बावजूद किसी तरह वो पाकिस्तान के नक्शे पर मौजूद रहे। उन्हें दोयम दर्जे नागरिक माना जाता रहा। पंजाब, सिंध या खैबर पख्तूनख्वा की तरह उन्हें कभी अपने जायज हक भी नहीं मिले। वक्त गुजरता रहा और इसके साथ ही गुस्सा भी बढ़ता गया। फिर वर्ष 1975 में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो एक रैली के लिए क्वेटा पहुंचे। यहां एक हैंड ग्रेनेड फटने से मजीद लांगो नाम के युवक की मौत हो गई। दावा किया गया कि यह भुट्टो को मारने आया था। वास्तव में BLA की नींव यहीं से पड़ी। मजीद के छोटे भाई का नाम भी मजीद ही था। वो वर्ष 2011 में पाकिस्तानी फौज के हाथों मारा गया। इसके बाद BLA का एक अलग दस्ता तैयार हुआ और इसका नाम तभी से मजीद ब्रिगेड पड़ा।

यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि बलूचिस्तान का ईरान के साथ बहुत ही मजबूत संबंध रहा है। इसीलिए ईरान भी चोरी छिपे इनकी मदद करता रहा है। चूंकि BLA का शुरुआती संघर्ष पहाड़ों में शांतिपूर्ण आंदोलन तक सीमित था। लेकिन जब से मजीद ब्रिगेड बनी तो तभी से संघर्ष का रूप बदल गया और फिर यह संगठन पूरी तरह से आर्म्स हो गया। एक रिपोर्ट के अनुसार बताया गया है कि BLA की मजीद ब्रिगेड के विभिन्न हमलों में अब तक करीब 1200 पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं,हालांकि फौज ने सही तादाद कभी नहीं बताई।

आज की तारीख में BLA की यह स्थिति है कि इसके प्रभावित इलाकें में दिन के समय पाक फौज की हिम्मत नहीं पड़ती कि कोई गश्त कर लें रात की तो बात ही छोड़िये। दरअसल,बलूच लिबरेशन आर्मी के मजबूती के पीछे बड़ा कारण यह है कि इसे बाहर से अच्छी खासी आर्थिक सहयोग के अलावा अत्याधुनिक हथियारों की भी सप्लाई मिलती रहती है। और इधर हाल के महिनों पर गौर किया जाए तो अक्सर हीं पाक फौज से मुठभेड़ हुई है जिसमें पाक फौज भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

अब यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर BLA क्यों चीनी नागरिकों को टारगेट कर रही है ? तो इस सवाल का जवाब यहीं है कि चीन ने इन बलोचों की रोजी-रोटी छीन लिया है। दरअसल,करीब 60 अरब अमेरिकी डॉलर का चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बलूचिस्तान के नागरिकों की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है। इसकी ओट में पाकिस्तानी फौज ने जबरिया बलोचों से उनकी जमीन छीन ली। वहां फिश पैकेजिंग और तमाम दूसरी छोटी-छोटी यूनिट्स लगा दीं। खास बात यह है कि इन यूनिट्स में बलोचों को नहीं रखा गया। इनकी जगह चीन ने अपने ही लोगों को नौकरी और ठेके दिए। CPEC की आड़ में पाकिस्तान के सियासतदानों, ब्यूरोक्रेट्स और फौज के जनरलों ने करोड़ों रुपए का कमीशन खाया। पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ और आसिम सलीम बाजवा का नाम भी इस लिस्ट में शुमार है। हालांकि, फौज के आगे बोलने की हिम्मत कौन करता? लिहाजा, मामले दबा दिए गए। चीनी कंपनियों ने हजारों टन वाले ऑटोमैटिक और हाईटेक ट्रॉलर्स के जरिए मछलियां पकड़ना शुरू किया। बलोच पुरानी और छोटी नावों से यह काम करते थे। पाकिस्तानी फौज और चीन ने बलोचों के समंदर में मछली पकड़ने पर ही रोक लगा दी। हालात तब और बिगड़े जब इमरान सरकार ने वर्ष 2018 में चीन की एक बड़ी कंपनी को इलाके में गोल्ड यानी सोने और कॉपर की माइनिंग का ठेका दे दिया। इसके लिए हजारों बलोचियों की घर उजाड़ दिए गए।
बलोचों की रोजी-रोटी का यही जरिया था,जो खत्म हो गया। मजीद ब्रिगेड से एजुकेडेट लोगों के जुड़ने की सबसे बड़ी वजह चीन ही बना। कराची यूनिवर्सिटी में फिदायीन हमला करने वाली शैरी बलोच Mpil थी। उसके पति डॉक्टर और भाई इंजीनियर है।

बताते चले कि दासू डैम प्रोजेक्ट में काम करने वाले चीनी इंजीनियरों पर हमले में उस समय 9 चीनी मारे गए थे।
इस दौरान वर्ष 2020 में चीनियों की सुरक्षा के लिए एक स्पेशल यूनिट बनाई गई थे। इसमें सबसे ज्यादा फौज के लोग हैं। इसके अलावा रेंजर्स और स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट के कर्मचारियों को भी यहां तैनात किया गया था। इंटेलिजेंस यूनिट को भी इन चीनियों की हिफाजत का जिम्मा सौंपा गया है।

वहीं पाकिस्तानी सरकार ने संसद में दिए गए बयान में कहा था कि बलूचिस्तान में मौजूद 3355 चीनी नागरिकों की हिफाजत के लिए पाकिस्तान ने 11 हजार 225 सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं। इसके बाद भी इन चीनीयों पर हमले बदस्तूर जारी हैं।

फिलहाल,BLA के लगातार हमले की वजह से CPEC प्रोजेक्ट पर करीब 3 साल से काम बंद है। चीन ने इसकी फंडिंग भी रोक दी है। क्योंकि अब तक पाकिस्तान में कुल 15 चीनी मारे जा चुके हैं। और सुरक्षा के सारे कड़े इंतजाम सिर्फ दावों तक ही सीमित रह गए।

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