सांकेतिक तस्वीर।
कलकत्ता। म्यांमार में गुरूवार को वहां की सेना द्वारा 11 लोगों को हाथ पैर बांधकर जिंदा जला दिए जाने की रिपोर्ट सामने आने पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमा सेना के इस कुकृत्य की घोर निंदा की है। वहीं म्यांमार की सेना ने इन खबरों का खंडन किया है लेकिन स्थानीय लोगों ने सेना के इस हरकत की पुष्टि की है। म्यांमार की स्थानीय मीडिया और अन्य लोगों ने जानकारी दिया है कि सेना के काफिले पर हमले के एक दिन बाद सेना ने सगैंग प्रांत के डोंटाव गांव के रहने वाले 11 लोगों को जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल थे इन सभी को पकड़कर उनके हाथ पैर बांधकर उन सभी को जिंदा जला दिया,वहीं म्यांमार सेना द्वारा समर्थित “ग्लोबल लाइट ऑफ म्यांमार” समाचार संस्थान ने इन खबरों
का खंडन करते हुए इस घटना को “फेक न्यूज” करार दिया है और इसे “स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ो का एक बड़ी साजिश का सबूत बताया है। तो वहीं स्थानीय लोगों ने कहा है कि जब सेना अपने हरकत को अंजाम देने के बाद चली गई तो उन लोगों ने”हाथ बंधी हुई धधकती लाशों” को देखा है।
बताते चले कि सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गये एक वीडियो में भी कई जले हुए शव जमीन पर पड़े हुए दीख रहे हैं,वहीं एक अन्य अखबार के भी दावा किया कि सेना ने उन ग्रामीणों को पकड़ा था जो भाग नहीं पायें थे,जहां सेना ने इन सभी पकड़े गए लोगों को जिंदा जलाकर मार डाला। यहां यह भी साफ किया जा रहा है कि इस प्रांत में सेना और आम नागरिकों के बीच अक्सर संघर्ष होते रहते हैं।
बताया जा रहा है कि घटना के प्रतिक्रिया में ‘शांत हड़ताल’ का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने शहरों और कस्बों में सार्वजनिक स्थानों को खाली कर दिया और खुद ही खुद को घरों में बंद कर लिया। यह प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन ही आयोजित किया गया, देश के सबसे बड़े शहर यांगोन में बाजार और दुकानें पूरे बंद रहीं। इसी कड़ी में देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मंडाले में भी इसी तरह के दृश्य सामने आये हैं।
गौरतलब है कि म्यांमार में इसी साल फरवरी में देश की सेना द्वारा किये गये तख्ता पलट के बाद से ही लगातार संघर्ष और विरोध प्रदर्शन जारी है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 1300 से ज्यादा लोग अब तक सेना द्वारा मारे जा चुके हैं।